"केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "वरन " to "वरन् ")
 
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
<poem>
<poem>
केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ।
केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ।
बरनीं न जाइ अवरन बै गई॥
बरनीं न जाइ अवरन् बै गई॥


कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं।
कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं।

07:37, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

केसरि से बरन सुबरन -बिहारी लाल
बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

केसरि से बरन सुबरन बरन जीत्यौ।
बरनीं न जाइ अवरन् बै गई॥

कहत बिहारी सुठि सरस पयूष हू तैं।
उष हू तैं मीठै बैनन बितै गई॥

भौंहिनि नचाइ मृदु मुसिकाइ दावभाव।
चचंल चलाप चब चेरी चितै कै गई॥

लीने कर बेली अलबेली सु अकेली तिय।
जाबन कौं आई जिय जावन सौं दे गई॥







संबंधित लेख