श्रेणी:हिन्दी कविता
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"हिन्दी कविता" श्रेणी में पृष्ठ
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- अँधेरे का दीपक -हरिवंश राय बच्चन
- अँधेरे में (कविता) -गजानन माधव मुक्तिबोध
- अंखियां तो झाईं परी -कबीर
- अंग अंग चंदन वन -कन्हैयालाल नंदन
- अंगारे को तुम ने छुआ -कन्हैयालाल नंदन
- अंजलि के फूल गिरे जाते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी
- अंतरात्मा की सुनो -रश्मि प्रभा
- अंतरिक्ष -अनूप सेठी
- अंतिम बूँद -गोपालदास नीरज
- अंधियार ढल कर ही रहेगा -गोपालदास नीरज
- अग्निधर्म -कन्हैयालाल नंदन
- अजेय -अजेय
- अज्ञात देश से आना -भगवतीचरण वर्मा
- अट नहीं रही है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- अति अनियारे मानौ सान दै सुधारे -रहीम
- अति जीवन -अजेय
- अदालत -अवतार एनगिल
- अदावत दिल में -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- अधिकार -महादेवी वर्मा
- अनुभव -शिवदीन राम जोशी
- अनुभूति -सुमित्रानंदन पंत
- अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार -काका हाथरसी
- अनूठी बातें -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- अनोखा दान -सुभद्रा कुमारी चौहान
- अपनी महफ़िल -कन्हैयालाल नंदन
- अब कैसे बीते ये उम्र सारी -वंदना गुप्ता
- अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज
- अब तुम्हारा प्यार भी -गोपालदास नीरज
- अब तो मज़हब -गोपालदास नीरज
- अब न चढ़े कोई भी रंग सखी री -कैलाश शर्मा
- अब बुलाऊँ भी तुम्हें -गोपालदास नीरज
- अब मन बृज में लागत नाहीं -कैलाश शर्मा
- अब लौं नसानी, अब न नसैहों -तुलसीदास
- अब वह बनी मुक्तधारा -दिनेश सिंह
- अभिनव कोमल सुन्दर पात -विद्यापति
- अभी न जाओ प्राण! -गोपालदास नीरज
- अमर गान -दिनेश सिंह
- अमर राष्ट्र -माखन लाल चतुर्वेदी
- अमर स्पर्श -सुमित्रानंदन पंत
- अम्बर बदन झपाबह गोरि -विद्यापति
- अम्मा मेरे बाबा को भेजो री -अमीर ख़ुसरो
- अरुण यह मधुमय देश हमारा -जयशंकर प्रसाद
- अर्ज़ियाँ -कुलदीप शर्मा
- अलि अब सपने की बात -महादेवी वर्मा
- अलि! मैं कण-कण को जान चली -महादेवी वर्मा
- अल्हड़ बीकानेरी -काका हाथरसी
- अवधूता युगन युगन हम योगी -कबीर
- अशाँत कस्बा -अनूप सेठी
- अश्क कैसे बहाऊँ? -वंदना गुप्ता
- अश्रु यह पानी नहीं है -महादेवी वर्मा
- अस्मिता की नुमाइश -अशोक कुमार शुक्ला
- अहम् ब्रह्मास्मि -किरण मिश्रा
- अहसास का घर -कन्हैयालाल नंदन
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- आ घिर आई दई मारी घटा कारी। -अमीर ख़ुसरो
- आँख का आँसू -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- आँख पर पट्टी रहे -अदम गोंडवी
- आँसू और आँखें -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- आई में आ गए -काका हाथरसी
- आओ अब समय नहीं बाक़ी -कैलाश शर्मा
- आओ, हम अपना मन टोवें -सुमित्रानंदन पंत
- आख़िर अपनों से कैसी पर्दादारी? -वंदना गुप्ता
- आग की भीख -रामधारी सिंह दिनकर
- आग के इलाक़े में आओ -अजेय
- आग के इलाके का आदमी -अजेय
- आज कितनी अच्छी धूप है ! -अजेय
- आज जब वह जा रही है -अजेय
- आज तुम मेरे लिए हो -हरिवंश राय बच्चन
- आज नयन के बँगले में -माखन लाल चतुर्वेदी
- आज प्रथम गाई पिक -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- आज प्रथम गाई पिक पंचम -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- आज मदहोश हुआ जाए रे -गोपालदास नीरज
- आज मानव का -भगवतीचरण वर्मा
- आज मानव का सुनहला प्रात है -भगवतीचरण वर्मा
- आज रहने दो यह गृह-काज -सुमित्रानंदन पंत
- आज शाम है बहुत उदास -भगवतीचरण वर्मा
- आज़ादी की पूर्व संध्या पर (2) -कुलदीप शर्मा
- आज़ादी की पूर्व संध्या पर -कुलदीप शर्मा
- आजाद -सुमित्रानंदन पंत
- आजु नाथ एक व्रत -विद्यापति
- आतंक -कुलदीप शर्मा
- आत्म विश्वास (1) -शिवदीन राम जोशी
- आत्म विश्वास (2) -शिवदीन राम जोशी
- आत्मबोध -कन्हैयालाल नंदन
- आत्महत्या -काका हाथरसी
- आत्मा का चिर-धन -सुमित्रानंदन पंत
- आत्मकथ्य -जयशंकर प्रसाद
- आदमी के अंदर बसता है शहर -रोहित ठाकुर
- आदमी को प्यार दो -गोपालदास नीरज
- आदमी जो चौक़ उठता है नींद में -सुभाष रस्तोग़ी
- आदरें अधिक काज नहि बंध -विद्यापति
- आधुनिकता -काका हाथरसी
- आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है जिंदगी -अदम गोंडवी
- आप से आप तक अपने आप -नीलम प्रभा
- आमंत्रण -किरण मिश्रा
- आरती श्री उल्लूजी की -काका हाथरसी
- आराधना -सुभद्रा कुमारी चौहान
- आर्कटिक वेधशाला में कार्यरत वैज्ञानिक मित्रों के कुछ नोटस -अजेय
- आर्कटिक वेधशाला से कुछ नोट्स -अजेय
- आलपिन कांड -अशोक चक्रधर
- आलू का सीज़न -अजेय
- आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर
- आस-पास एक पृथ्वी चाहिए -अजेय
- आसक लता लगाओल सजनी -विद्यापति
- आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद
- आहे सधि आहे सखि -विद्यापति
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उ
- उक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उचित बसए मोर -विद्यापति
- उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी
- उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल
- उत्तर -महादेवी वर्मा
- उत्सव मनाना छोड़ ज़िंदगी -सीमा सिंघल
- उत्साह -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- उन सबके लिए जो निर्वासित हैं -रोहित ठाकुर
- उपदेश -शिवदीन राम जोशी
- उपदेश का अंग -कबीर
- उपालम्भ -माखन लाल चतुर्वेदी
- उपेक्षा -सुभद्रा कुमारी चौहान
- उमीदों के कई रंगीं फ़साने -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- उम्मीद -अनूप सेठी
- उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा
- उल्लास -सुभद्रा कुमारी चौहान
- उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी
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- ए धनि माननि करह संजात -विद्यापति
- एअर कंडीशन नेता -काका हाथरसी
- एक अंत:कथा -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक इमरोज़ चाहिए -नीलम प्रभा
- एक कवि कहता है -राजेश जोशी
- एक तुम हो -माखन लाल चतुर्वेदी
- एक तुम्हारा चित्र बनाया -दिनेश सिंह
- एक तेरे बिना प्राण ओ प्राण के -गोपालदास नीरज
- एक नदी जिसे हम पीना चाहते हैं -अजेय
- एक नाम अधरों पर आया -कन्हैयालाल नंदन
- एक पत्र -रामधारी सिंह दिनकर
- एक परिवार की कहानी -अवतार एनगिल
- एक बुद्ध कविता में करुणा ढूँढ रहा है -अजेय
- एक बूँद -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- एक भूतपूर्व विद्रोही का आत्म-कथन -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक मिस्ड काल -अशोक कुमार शुक्ला
- एक मौक़ा मृत्यु के बाद -वंदना गुप्ता
- एक लड़की जब रोती है -रोहित ठाकुर
- एक लड़की सोचती है -रोहित ठाकुर
- एक विलुप्त कविता -रामधारी सिंह दिनकर
- एक शहर की कहानी -अवतार एनगिल
- एक सत्य -वंदना गुप्ता
- एक स्वप्न कथा -गजानन माधव मुक्तिबोध
- एकतरफ़ा प्रेम के स्वामी -वंदना गुप्ता
ऐ
ओ
क
- कंटक माझ कुसुम परगास -विद्यापति
- कथनी-करणी का अंग -कबीर
- कब आओगे -त्रिलोक सिंह ठकुरेला
- कब देखौंगी नयन वह मधुर मूरति -तुलसीदास
- कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो -तुलसीदास
- कबाड़ -अनूप सेठी
- कबीर की साखियाँ -कबीर
- कबीर के पद -कबीर
- कम से कम -अशोक चक्रधर
- कमरे की लॉरी -अनूप सेठी
- कमल-दल नैननि की उनमानि -रहीम
- कमी कुछ और है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- करघा -रामधारी सिंह दिनकर
- करम गति टारै नाहिं टरी -कबीर
- कर्ण-कृष्ण तत्कालीन संवाद -रश्मि प्रभा
- कर्मवीर -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- कल के लिए -कुलदीप शर्मा
- कल सहसा यह सन्देश मिला -भगवतीचरण वर्मा
- कलकत्ता: 300 साल -राजेश जोशी
- कलम, आज उनकी जय बोल -रामधारी सिंह दिनकर
- कलह-कारण -सुभद्रा कुमारी चौहान
- कलि नाम काम तरु रामको -तुलसीदास
- कवि और कविता -दिनेश सिंह
- कवि का हृदय सूना -दिनेश सिंह
- कवि-श्री -आरसी प्रसाद सिंह
- कविता
- कविता के बारे में कुछ कविताएं -अजेय
- कविता नहीं लिख सकते -अजेय
- कहते हैं तारे गाते हैं -हरिवंश राय बच्चन
- कहाँ रहेगी चिड़िया -महादेवी वर्मा
- कहाँ हो पहाड़ -अनूप सेठी
- कहां खुश देख पाती है -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
- कहीं यह आखिरी कविता न हो -अजेय
- काका के हँसगुल्ले -काका हाथरसी
- काका दोहावली -काका हाथरसी
- काजू भुने पलेट में -अदम गोंडवी