आँख का आँसू -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

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आँख का आँसू -अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
अयोध्यासिंह उपाध्याय
कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म 15 अप्रैल, 1865
जन्म स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 16 मार्च, 1947
मृत्यु स्थान निज़ामाबाद, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'प्रियप्रवास', 'वैदेही वनवास', 'पारिजात', 'हरिऔध सतसई'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचनाएँ

आँख का आँसू ढलकता देखकर,
जी तड़प कर के हमारा रह गया,
क्या गया मोती किसी का है बिखर,
या हुआ पैदा रतन कोई नया?

ओस की बूँदें कमल से हैं कहीं,
या उगलती बूँद हैं दो मछलियाँ,
या अनूठी गोलियाँ चांदी मढ़ी,
खेलती हैं खंजनों की लड़कियाँ।

या जिगर पर जो फफोला था पड़ा,
फूट कर के वह अचानक बह गया,
हाय था अरमान, जो इतना बड़ा,
आज वह कुछ बूँद बन कर रह गया।

पूछते हो तो कहो मैं क्या कहूँ,
यों किसी का है निरालापन भया,
दर्द से मेरे कलेजे का लहू,
देखता हूँ आज पानी बन गया।

प्यास थी इस आँख को जिसकी बनी,
वह नहीं इस को सका कोई पिला,
प्यास जिससे हो गयी है सौगुनी,
वाह क्या अच्छा इसे पानी मिला।

ठीक कर लो जांच लो धोखा न हो,
वह समझते हैं सफर करना इसे,
आँख के आँसू निकल करके कहो,
चाहते हो प्यार जतलाना किसे?

आँख के आँसू समझ लो बात यह,
आन पर अपनी रहो तुम मत अड़े,
क्यों कोई देगा तुम्हें दिल में जगह,
जब कि दिल में से निकल तुम यों पड़े।

हो गया कैसा निराला यह सितम,
भेद सारा खोल क्यों तुमने दिया,
यों किसी का है नहीं खोते भरम,
आँसुओ, तुमने कहो यह क्या किया?


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