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| class="headbg30" colspan="2" style="border:1px solid #d9b4b9;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg29" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | | class="headbg30" colspan="2" style="border:1px solid #d9b4b9;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg29" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | ||
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मूर्ति कला मथुरा]]'''</div> | ||
[[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]] | |||
चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon> मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं । '''[[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]''' | |||
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| class="headbg4" style="border:1px solid #AE9F93;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg3" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''चयनित लेख'''</span></div> | | class="headbg4" style="border:1px solid #AE9F93;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg3" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''चयनित लेख'''</span></div> |
09:11, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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