तुरमली रत्न

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तुरमली ऐसा रत्न है जो अनगिनत रंगों में पाया जाता है। रंगों के अनुसार इसकी निम्र किस्में होती हैं-

  • एक्रोआइट:- यह रंगहीन तुरमली के नाम से जाना जाता है। यह बहुत कम पाया जाता है।
  • रूबेलाइट:- यह गुलाबी (गाजरी) से लाल और कभी-कभार हल्का बैंगनी होता है।
  • ड्रेवाइट:- यह पीला-भूरा से गहरा भूरा होता है।
  • वर्डिलाइट:- यह हरा पत्थर होता है जिसमें हरी छाया दिखाती है। यह तुरमली का प्रमुख रूप है।
  • इनडिहोलाइट:- यह पत्थर नीला होता है।
  • साइबोराइट:- यह बैंगनी अथवा नीले रंग का होता है।
  • स्कोर्ल:- इसका सामान्य रंग काला होता है। यह प्रायः आभूषणों में जड़ा जाता है।

कई पर्तों में अनेक रंग वाले भी रत्न पाए जाते हैं। परन्तु मिले-जुले रंगों का तुरमली बहुत दुर्लभ है। बहुत से मणिभ अनेक रंगों और आभाओं में पाए जाते हैं। यह ब्राज़ील, अंगोला, भारत ,आस्ट्रेलिया, अफ़गानिस्तान, नामीबिया, तंज़ानिया, थाईलैंड में काफ़ी मात्रा में पाया जाता है। ब्राज़ील में ऐसे रत्न मिलते हैं। जिनका अंदरूनी रंग हरा तथा सफ़ेद होता है। कुछ तुरमली की बहारी त्वचा हरी एवं अन्दर से लाल होता है। उन्हें तरबूज़ भी कहा जाता है।

कैट्स आई तुरमली विभिन्न रंगों में पाए जाते हैं, लेकिन गुलाबी और हरे संयुक्त रंग का रत्न बहुत तेज हुता है इसमें बहुत अधिक क्रिस्टल होता हैं। कुछ तुरमली पत्थरों का रंग कृत्रिम रोशनी में बदल जाता है। श्रीलंका और मेलागासी गणराज्य के अलावा ब्राज़ील व मोजाम्बिक में इन रत्नो का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। अनेक रंगों में उपलब्ध होने के कारण तुरमली विभिन्न प्रकार के रत्नों- कटैला, पन्ना, माणिक्य, क्राइसोबेरिल, डेमनटोइड, सिटरीन, पेड़ीडॉट इत्यादि का भ्रम पैदा कर सकाता है। अधिक दोहरा परावर्तन तथा मज़बूत तिरंगापन इसकी पहचान करने में सहायक हैं।

रत्न
  • क़ीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते हैं।
  • रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते हैं, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते हैं।
  • रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
  • ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रूप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते हैं।
  • रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।

प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।


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