अंगारा

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अंगारा - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अङ्गारक प्राकृत अंगारअ)[1]

'अंगार'
मुहावरा

अंगारा बनना = क्रोध के कारण मुंह लाल होना, गुस्से में होना।

अंगारा हो जाना = 'अंगारा बनना'

अंगारा होना = क्रोध से लाल होना।

अंगारे उगलना = कटु वचन कहना, जली कटी सुनाना।

अंगारे फाँकना = असह्य फल देने वाला काम करना।

अंगारे बरसना = 1. अत्यंत अधिक गर्मी पड़ना, आग बरसना। 2. दैवी कोप होना।

अंगारों पर पैर रखना = 1. जान बूझकर हानिकारक कार्य करना या अपने को संकट में डालना। 2. जमीन पर पैर न रखना, इतरा कर चलना।

अंगारों पर लोटना = 1. अत्यंत रोष प्रकट करना, आग बबूला होना, झल्लाना। 2. डाह से जलना, ईर्ष्या से व्याकुल होना। उदाहरण - 'वह मेरे बच्चे को देखकर अंगारों पर लोट गई'। 3. तड़पना, व्याकुल होना। उदाहरण - 'शाम से ही लोटना है मुझको अंगारों पे आज।'[2]

अंगारों पर लोटना = 1. जलाना, दाह करना। 2. तड़पाना, दु:खी करना।

लाल अंगारा = 1. बहुत लाल, खुब सुर्ख। उदाहरण - 'काटने पर तरबूज लाल अंगारा निकला'। 2. अत्यंत क्रुद्ध, उदाहरण - यह सुनते ही वह लाल अंगारा हो गयी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 09 |
  2. शेर ओ सुखन, भाग 1, पृ. 659

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