"और काहि माँगिये, को मागिबो निवारै -तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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साहब सब बिधि सुजान, दान खड्ग सूरो॥ | साहब सब बिधि सुजान, दान खड्ग सूरो॥ | ||
सुखमय दिन द्वै निसान सबके द्वार बाजै। | सुखमय दिन द्वै निसान सबके द्वार बाजै। | ||
− | कुसमय दसरथ के दानि! तैं | + | कुसमय दसरथ के दानि! तैं ग़रीब निवाजै॥ |
सेवा बिनु गुन बिहीन दीनता सुनाये। | सेवा बिनु गुन बिहीन दीनता सुनाये। | ||
जे जे तैं निहाल किये फूले फिरत पाये॥ | जे जे तैं निहाल किये फूले फिरत पाये॥ |
09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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और काहि माँगिये, को मागिबो निवारै। |
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