मैं हरि, पतित पावन सुने -तुलसीदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
मैं हरि, पतित पावन सुने -तुलसीदास
तुलसीदास
कवि तुलसीदास
जन्म 1532 सन
जन्म स्थान राजापुर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1623 सन
मुख्य रचनाएँ रामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
तुलसीदास की रचनाएँ

मैं हरि, पतित पावन सुने।
मैं पतित, तुम पतित-पावन, दोउ बानक बने॥
ब्याध गनिक अगज अजामिल, साखि निगमनि भने।
और अधम अनेक तारे, जात कापै गने॥
जानि नाम अजानि लीन्हें नरक जमपुर मने।
दास तुलसी सरन आयो राखिये अपने॥

संबंधित लेख