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− | '''सफ़दरजंग''' [[अवध]] | + | '''सफ़दरजंग''' [[अवध]] के प्रथम नवाब [[सआदत ख़ाँ]] की बहिन का पुत्र था। वह अपने मामा की मृत्यु के उपरांत अवध का नवाब बना था। वह अवध वंश का दूसरा नवाब था। उसने 1708 से [[5 अक्टूबर]], 1754 ई. तक शासन किया था। |
− | *सफ़दरजंग का मूल नाम 'मिर्ज़ा मुकिम अबुल मंसूर ख़ान' था। | + | *सफ़दरजंग का मूल नाम 'मिर्ज़ा मुकिम अबुल मंसूर ख़ान' था। वह [[शुजाउद्दौला]] का पिता था। |
− | *[[मुग़ल काल]] में वह सन 1719-1748 ई. में [[मुहम्मदशाह रौशन अख्तर|बादशाह मुहम्मदशाह]] की अवधि में | + | *[[मुग़ल काल]] में वह सन 1719-1748 ई. में [[मुहम्मदशाह रौशन अख्तर|बादशाह मुहम्मदशाह]] की अवधि में [[वज़ीर]] नियुक्त हुआ था। 'सफ़दरजंग' की उपाधि उसे बादशाह मुहम्मदशाह ने ही दी थी। |
*[[मुग़ल साम्राज्य]] की अवनति होने पर [[अवध]] के नवाब सफ़दरजंग ने [[काशी]] पर अधिकार कर लिया था, किंतु उसके पौत्र ने उसे [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] को दे डाला। | *[[मुग़ल साम्राज्य]] की अवनति होने पर [[अवध]] के नवाब सफ़दरजंग ने [[काशी]] पर अधिकार कर लिया था, किंतु उसके पौत्र ने उसे [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] को दे डाला। | ||
+ | *ग़ाज़ीउद्दीन की शत्रुता ने कभी सफ़दरजंग का पीछा नहीं छोड़ा। [[वर्ष]] 1753 ई. में ग़ाज़ीउद्दीन ने उसे परास्त किया और अगले ही वर्ष सफ़दर जंग की मृत्यु हो गई। | ||
*[[दिल्ली]] में नवाब '[[सफ़दरजंग का मक़बरा]]' भी [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] की, जो उससे केवल मील-भर दूर है, एक नक़ल मात्र है। | *[[दिल्ली]] में नवाब '[[सफ़दरजंग का मक़बरा]]' भी [[हुमायूँ का मक़बरा|हुमायूँ के मक़बरे]] की, जो उससे केवल मील-भर दूर है, एक नक़ल मात्र है। | ||
− | *[[फ़ैजाबाद]] की गुलाबबाड़ी का निर्माण स्वयं [[शुजाउद्दौला|नवाब शुजाउद्दौला]] ने 1719 से 1775 ई. में कराया था। सन | + | *[[फ़ैजाबाद]] की गुलाबबाड़ी का निर्माण स्वयं [[शुजाउद्दौला|नवाब शुजाउद्दौला]] ने 1719 से 1775 ई. में कराया था। सन 1754 ई. में नवाब सफ़दरजंग का इंतकाल हो जाने के बाद उसका पार्थिव शरीर भी कुछ समय के लिये यहाँ रखा गया था, जो बाद में [[दिल्ली]] ले जाया गया; लेकिन क़ब्र के निशान आज भी यहाँ मौजूद हैं। |
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12:02, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
सफ़दरजंग अवध के प्रथम नवाब सआदत ख़ाँ की बहिन का पुत्र था। वह अपने मामा की मृत्यु के उपरांत अवध का नवाब बना था। वह अवध वंश का दूसरा नवाब था। उसने 1708 से 5 अक्टूबर, 1754 ई. तक शासन किया था।
- सफ़दरजंग का मूल नाम 'मिर्ज़ा मुकिम अबुल मंसूर ख़ान' था। वह शुजाउद्दौला का पिता था।
- मुग़ल काल में वह सन 1719-1748 ई. में बादशाह मुहम्मदशाह की अवधि में वज़ीर नियुक्त हुआ था। 'सफ़दरजंग' की उपाधि उसे बादशाह मुहम्मदशाह ने ही दी थी।
- मुग़ल साम्राज्य की अवनति होने पर अवध के नवाब सफ़दरजंग ने काशी पर अधिकार कर लिया था, किंतु उसके पौत्र ने उसे अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कंपनी को दे डाला।
- ग़ाज़ीउद्दीन की शत्रुता ने कभी सफ़दरजंग का पीछा नहीं छोड़ा। वर्ष 1753 ई. में ग़ाज़ीउद्दीन ने उसे परास्त किया और अगले ही वर्ष सफ़दर जंग की मृत्यु हो गई।
- दिल्ली में नवाब 'सफ़दरजंग का मक़बरा' भी हुमायूँ के मक़बरे की, जो उससे केवल मील-भर दूर है, एक नक़ल मात्र है।
- फ़ैजाबाद की गुलाबबाड़ी का निर्माण स्वयं नवाब शुजाउद्दौला ने 1719 से 1775 ई. में कराया था। सन 1754 ई. में नवाब सफ़दरजंग का इंतकाल हो जाने के बाद उसका पार्थिव शरीर भी कुछ समय के लिये यहाँ रखा गया था, जो बाद में दिल्ली ले जाया गया; लेकिन क़ब्र के निशान आज भी यहाँ मौजूद हैं।
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