"गीता 15:6" के अवतरणों में अंतर
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उपर्युक्त लक्षणों वाले पुरुष जिसे प्राप्त करते हैं, वह अविनाशी पद कैसा है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर उस परमेश्वर के स्वरूप भूत परम पद की महिमा कहते हैं – | उपर्युक्त लक्षणों वाले पुरुष जिसे प्राप्त करते हैं, वह अविनाशी पद कैसा है ? ऐसी जिज्ञासा होने पर उस परमेश्वर के स्वरूप भूत परम पद की महिमा कहते हैं – | ||
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− | जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परमपद को न < | + | जिस परमपद को प्राप्त होकर मनुष्य लौटकर संसार में नहीं आते, उस स्वयं प्रकाश परमपद को न [[सूर्य]]<ref>सूर्य [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए।</ref> प्रकाशित कर सकता है, न [[चन्द्रमा देवता|चन्द्रमा]]<ref>पौराणिक संदर्भों के अनुसार चंद्रमा को तपस्वी [[अत्रि]] और [[अनुसूया]] की संतान बताया गया है, जिसका नाम 'सोम' है।</ref> और न [[अग्नि देव|अग्नि]]<ref>अग्निदेवता [[यज्ञ]] के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र [[प्रकाश]] करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं।</ref> ही; वही मेरा परमधाम है ।।6।। |
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10:52, 6 जनवरी 2013 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-15 श्लोक-6 / Gita Chapter-15 Verse-6
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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