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| | [[राजस्थान]] की प्रमुख जनजातियाँ निम्नलिखित हैं- |
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| | * [[मीणा]] |
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| | * [[गरासिया]] |
| [[राजस्थान की जनजातियाँ]] | | * [[साँसी]] |
| ==भील जनजाति==
| | * [[सहरिया जनजाति|सहरिया]] |
| * कर्नल जेम्स टोड ने भीलों को वनपुत्र कहा था. | | * [[कंजर]] |
| * ‘भील’ शब्द की उत्पति ‘बील’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘ कमान; है. | | * [[डामोर]] |
| * सबसे प्राचीन जनजाति | | * [[कथौडी]] |
| * बासवाडा, डूंगरपुर, उदयपुर (सर्वाधिक), चित्तौड़गढ़ जिलो में निवास करती है. | | * [[कालबेलिया जाति|कालबेलिया]] |
| * दूसरी सबसे बड़ी जनजाति | |
| * प्रथाएँ | |
| इस जनजाति के बड़े गाँव को पाल तथा छोटे गाँव को फला कहा जाता है.
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| पाल का नेता मुखिया या ग्रामपति कहलाता है.
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| * अटक –किसी एक हि पूर्वज से उत्पन्न गौत्रो को भील जनजाति में अटक कहते है.
| | {{seealso|राजस्थान में जनजातियाँ}} |
| * कू – भीलों के घरों को कू कहा जाता है.
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| * टापरा - भीलों के घरों को टापरा भी कहते है.
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| * झूमटी(दाजिया)-आदिवासियों द्वारा मैदानी भागों को जलाकर जो कृषि की जाती उसे झूमटी कहते है.
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| * चिमाता- भीलों द्वारा पहाड़ी ढालों पर की जाने वाली कृषि को चिमाता कहते है.
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| * गमेती- भीलों के गाँवो के मुखिया को गमेती कहते है.
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| * भील केसरिनाथ के चढ़ी हुई केसर का पानी पीकर कभी झूट नहीं बोलते है.
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| * ठेपाडा- भील जनजाति के लोग जो तंग धोती पहनते है.
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| * पोत्या-सफेद साफा जो सिर पर पहनते है.
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| * पिरिया- भील जाती में विवाह के अवसर पर दुल्हन जो पीले रंग का जो लहंगा पहनती है. लाल रंग की साड़ी को ‘सिंदूरी’ कहा जाता है.
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| * भराड़ी – वैवाहिक अवसर पर जिस लोक देवी का भित्ति चित्र बनाया जाता है.
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| * फाइरो -फाइररो भील जनजाति का रणघोष
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| * टोटम à भील जनजाति के लोग टोटम (कुलदेवता) की पूजा करते है.
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| ये लोग झूम कृषि भी करते है.
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| ==मीणा जनजाति==
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| * मीणा का शाब्दिक अर्थ ‘मछली’ है. मीणा ‘मीन’ धातु से बना है.
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| * सबसे बड़ी जनजाति
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| * सबसे अधिक मीणा जयपुर(सर्वाधिक), सवाई माधोपुर, उदयपुर, आदि जिलो में निवास करती है.
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| * मीणा पुराण – रचियता –आचार्य मुनि मगन सागर
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| * लोक देवी – जीणमाता (रैवासा, सीकर)
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| * नाता प्रथा – इस प्रथा में स्त्री अपने पति, बच्चो को छोड़कर दूसरे पुरष से विवाह कर लेती है.
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| मीणा जनजाति के मुख्यत: दो वर्ग है - प्रथम वर्ग जमीदारो का है तथा द्वितीय वर्ग चौकीदारो का है .
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| मीणा जनजाति २४ खापो में विभाजित है.
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| मीणा जनजाति के बहिभाट को 'जागा' कहा जाता है.
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| मीणा जनजाति में संयुक्त परिवार प्रणाली पाई जाती है.
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| ये लोग मांसाहारी होते है.
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| इनका नेता - पटेल कहलाता है.
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| गाँव का पटेल पंच पटेल कहलाता है.
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| विवाह - राक्षस विवाह, ब्रह्मा विवाह, गांधर्व विवाह
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| ये लोग दुर्गा माता और शिवजी की पूजा करते है.
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| ==गरासिया जनजाति==
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| गरासिया जनजाति अपने को चौहान राजपूतो का वंशज मानती है
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| ये लोग शिव दुर्गा और भैरव की पूजा करते है
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| * सिरोही, गोगुन्दा (उदयपुर), बाली(पाली), जिलो में निवास करती है.
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| * सोहरी – जिन कोठियों में गरासिया अपने अन्नाज का भंडारण करते है. उसे सोहरी कहते है.
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| * हूरें – व्यक्ति की मृत्यु होने पर स्मारक बनाते है.
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| * सहलोत – मुखिया को सहलोत कहते है.
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| * मोर बंधिया – विशेष प्रकार का विवाह जिसमे हिन्दुओ की भांति फेरे लिए जाते है.
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| * पहराबना विवाह – नाममात्र के फेरे लिए जाते है , इस विवाह में ब्राह्मण की आवश्यकता नही पडती है.
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| * ताणना विवाह – इसमें न सगाई के जाती है, न फेरे है . इस विवाह में वर पक्ष वाले कन्या पक्ष वाले को कन्या मूल्य वैवाहिक भेंट के रूप में प्रदान करता है.
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| इनमे सफेद रंग के पशुओं को पवित्र माना जाता है.
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| ===साँसी जनजाति===
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| *भरतपुर जिले में निवास करती है.
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| यह एक खानाबदोश जीवन व्यतीत करने वाली जनजाति है.
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| * साँसी जनजाति की उत्पति सांसमल नामक व्यक्ति से मानी जाती है.
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| * विवाह – युवक-युवतियों के वैवाहिक संबंध उनके माता-पिता द्वारा किये जाते है. विवाह पूर्व यौन संबंध को अत्यन्त गंभीरता से लिया जाता है.
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| * सगाई – यह रस्म इनमे अनोखी होती है , जब दो खानाबदोश समूह संयोग से घूमते-घूमते एक स्थान पर मिल जाते है, तो सगाई हो जाती है.
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| * साँसी जनजाति को दो भागों में विभिक्त है à बीजा और माला .
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| इनमे होली और दिवाली के अवसर पर देवी माता के सम्मुख बकरों की बली दी जाती है.
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| ये लोग वृक्षों की पूजा करते है.
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| मांस और शराब इनका प्रिय भोजन है.
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| मांस में ये लोमड़ी और सांड का मांस पसन्द करते है.
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| ==सहरिया जनजाति==
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| सहरिया –
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| * बारां जिले की किशनगंज तथा शाहाबाद तहसीलों में निवास करती है.
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| * सहराना – इनकी बस्ती को सहराना कहते है.
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| इनमे वधूमूल्य तथा बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन है.
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| ये लोग काली माता की पूजा करते है.
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| ये दुर्गा पूजा विशेष उत्साह के साथ करते है.
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| * कोतवाल – मुखिया को कोतवाल कहते है.
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| * ये लोग स्थानांतरित खेती करते है.
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| * ये लो जंगलो से जड़ी-बूटियों को एकत्रत कर विभिन्न प्रकार की दवाएं बनाने में दक्ष होते है.
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| ये राजस्थान की एकमात्र आदिम जनजाति है.
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| * सहरिया जनजाति राज्य की सर्वाधिक पिछड़ी जनजाति होने के कारण भारत सरकार ने राज्य की केवल इसी जनजाति को आदिम जनजाति समूह की सूची में रखा गया है.
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| * सहरिया शब्द की उत्पति ‘सहर’ से हुई है जिसका अर्थ जगह होता है.
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| इस जनजाति के लोग जंगलो से कंदमूल एवं शहद एकत्रित कर अपनी जीविका चलाते है.
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| ये लोग मदिरा पान भी करते है.
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| ==कंजर जनजाति==
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| * ‘कंजर’ शब्द की उत्पति ‘काननचार’/’कनकचार’ से हुई है जिसका अर्थ है ‘ जंगलो में विचरण करने वाला’.
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| * झालावाड, बारां, कोटा ओर उदयपुर जिलो में रहती है.
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| * कंजर एक अपराध प्रवृति के लिए कुख्यात है.
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| * पटेल – कंजर जनजाति के मुखिया
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| * पाती माँगना –ये अपराध करने से पूर्व इश्वर का आशीर्वाद लेते है.उसको पाती माँगना कहा जाता है.
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| * हाकम राजा का प्याला – ये हाकम राजा क प्याला पीकर कभी झूठ नही बोलते है.
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| इन लोगो के घरों में भागने के लिए पीछे की तरफ खिडकी होती है परन्तु दरवाजे पर किवाड़ नही होते है.
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| ये लोग हनुमान और चौथ माता की पूजा करते है.
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| ==डामोर==
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| *बाँसवाड़ा और डूंगरपुर जिले की सीमलवाडा पंचायत समिति में निवास करती है.
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| *मुखी – डामोर जनजाति की पंचायत का मुखिया
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| *ये लोग अंधविश्वासी होते है.
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| *ये लोग मांस और शराब के काफी शौक़ीन होते है.
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| ==कथौडी==
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| *यह जनजाति बारां जिले और दक्षिणी-पश्चिम राजस्थान में निवास करते है.
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| *मुख्य व्यवसाय – खेर के वृक्षों से कत्था तैयार करना.
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| ==कालबेलिया==
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| *मुख्य व्यवसाय – साँप पकडना है.
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| *इस जनजाति के लोग सफेरे होते है.
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| *ये साँप का खेल दिखाकर अपना पेट भरते है.
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| *राजस्थान का कालबेलिया नृत्य यूनेस्को की विरासत सूची में (पारंपरिक छाऊ नृत्य )
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| ==बाहरी कड़ियाँ== | | ==बाहरी कड़ियाँ== |
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| ==संबंधित लेख== | | ==संबंधित लेख== |
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