अयनांत
अयनांत (अंग्रेज़ी: Solstice) सूर्य की परिक्रमा करने के दौरान पृथ्वी की वह स्थिति जिसमें उसकी धुरी का झुकाव, उसकी परिक्रमा के तल पर अधिकतम 23½° होता है। ऐसी स्थिति वर्ष में दो बार 21 जून/22 जून और 22 दिसंबर/23 दिसंबर को होती है। जून की स्थिति में उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका हुआ होता है। इसलिए उस समय उस गोलार्द्ध में सबसे अधिक गर्मी होती है तथा दिन सबसे बड़ा होता है। इस स्थिति को “ग्रीष्म अयनांत” कहते हैं। 22/23 दिसंबर को दक्षिणी गोलार्द्ध का झुकाव सूर्य की ओर होता है। इसलिए उस समय उस गोलार्द्ध में सबसे अधिक गर्मी होती है। इस स्थिति को “शीत अयनांत” कहते हैं क्योंकि उस समय उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती है।
आमतौर पर यह समझा जाता है कि गर्मी (उत्तरी गर्मी) में पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य के निकटतम होता और सर्दी (उत्तरी सर्दी) में वह भाग सूर्य से अधिकतम दूरी पर रहता है। पर वास्तविकता ऐसी नहीं है। 1 जनवरी के आसपास पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य के निकटतम होता है और 1 जुलाई के आसपास सबसे दूर। इन दोनों स्थितियों में लगभग 40 लाख कि.मी. का अंतर होता है परंतु इसके कारण पृथ्वी को सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा में केवल 7 प्रतिशत की ही कमी होती है। वह समय जब सूर्य भूमध्य रेखा के उत्तर अथवा दक्षिण अपने अधिकतम ऊँचाई पर होता है और दोनों अयन वृतों में से किसी एक (कर्क रेखा अथवा मकर रेखा) पर लम्बवत् चमकता है। इस स्थिति में भूमध्य रेखा से सूर्य का झुकाव अधिकतम ( 230 -30`) होता है।
लगभग 21 जून को दोपहर को जब सूर्य कर्क रेखा पर सिर के ठीक ऊपर रहता है, इसे उत्तर अयनांत या कर्क संक्रांति कहते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सर्वाधिक लम्बे दिन होते हैं और ग्रीष्म ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में इसके विपरीत सर्वाधिक छोटे दिन होते हैं और शीत ऋतु का समय होता है। अतः कर्क संक्रांति को उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म संक्रांति और दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत संक्रांति भी कहते हैं। लगभग 22 दिसम्बर को जब सूर्य दोपहर को मकर रेखा पर सिर के ठीक ऊपर होता है, इसका दक्षिणी झुकाव अधिकतम (230 30`) होता है। इसे दक्षिणी अयनांत या मकर संक्रांति कहते हैं। इस समय दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन की लम्बाई अधिकतम तथा उत्तरी गोलार्द्ध में न्यूनतम होती है। मकर संक्रांति को वहाँ विद्यमान ऋतु के अनुसार उत्तरी गोलार्द्ध में शीत संक्रांति और दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
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