"ना वह रीझै जप तप कीन्हे -मलूकदास" के अवतरणों में अंतर
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ना वह रीझै धोती टाँगे, ना कायाके पखाँरे॥ | ना वह रीझै धोती टाँगे, ना कायाके पखाँरे॥ | ||
दाया करै धरम मन राखै, घरमें रहे उदासी। | दाया करै धरम मन राखै, घरमें रहे उदासी। | ||
− | अपना-सा | + | अपना-सा दु:ख सबका जानै, ताहि मिलै अबिनासी॥ |
सहै कुसब्द बादहूँ त्यागै, छाँड़े, गरब गुमाना। | सहै कुसब्द बादहूँ त्यागै, छाँड़े, गरब गुमाना। | ||
यही रीझ मेरे निरंकारकी, कहत मलूक दिवाना॥ | यही रीझ मेरे निरंकारकी, कहत मलूक दिवाना॥ |
14:04, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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ना वह रीझै जप तप कीन्हे, ना आतमका जारे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |