नाम हमारा खाक है, हम खाकी बन्दे। खाकही ते पैदा किये, अति गाफिल गन्दे॥1॥ कबहुँ न करते बंदगी, दुनियामें भूले। आसमानको ताकते, घोड़े चढ़ि फूले॥2॥ जोरू-लड़के खुस किये, साहेब बिसराया। राह नेकीकी छोड़िके, बुरा अमल कमाया॥3॥ हरदम तिसको यादकर, जिन वजूद सँवारा। सबै खाक दर खाक है, कुछ समुझ गँवारा॥4॥ हाथी घोड़े खाकके, खाक खानखानी। कहैं मलूक रहि जायगा, औसाफ निसानी॥5॥