"रूपक अलंकार" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, | + | जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, उस [[अलंकार]] को रूपक अलंकार कहा जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई पड़े।<ref>{{cite web |url=http://www.hindikunj.com/2009/08/blog-post_29.html |title=अलंकार |accessmonthday=[[4 मई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=हिन्दीकुंज |language=हिन्दी }}</ref> |
;<u>उदाहरण</u> | ;<u>उदाहरण</u> | ||
+ | <poem> | ||
बीती विभावरी जाग री। | बीती विभावरी जाग री। | ||
− | अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी। | + | अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।</poem> |
− | |||
*यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है। | *यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है। | ||
06:56, 5 जनवरी 2011 का अवतरण
जिस जगह उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, उस अलंकार को रूपक अलंकार कहा जाता है, यानी उपमेय और उपमान में कोई अन्तर न दिखाई पड़े।[1]
- उदाहरण
बीती विभावरी जाग री।
अम्बर-पनघट में डुबों रही, तारा-घट उषा नागरी।
- यहाँ पर अम्बर में पनघट, तारा में घट तथा उषा में नागरी का अभेद कथन है।
|
|
|
|
|