संधि

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पास-पास स्थित पदों के समीप विद्यमान वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। संधि के तीन भेद होते हैं-स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि।

स्वर संधि

पास-पास स्थित दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। जैसे-

सुर+अरि = सुरारि अ+अ = आ
विद्या+आलय = विद्यालय आ+आ = आ
मुनि+इन्द्र = मुनीन्द्र इ+इ = ई
श्री+ईश = श्रीश ई+ई+ = ई
गुरु+उपदेश = गुरुपदेश उ+उ = ऊ

व्यंजन संधि

पास-पास स्थित दो व्यंजनों के मेल से होने वाले विकार को व्यंजन संधि कहते हैं। जैसे-

जगत्+नाथ = जगन्नाथ त्+न = न्न
सत्+जन = सज्जन त्+ज = ज्ज
उत्+हार = उद्धार त्+ह =द्ध
सत्+धर्म = सद्धर्म त्+ध =द्ध
आ+छादन = आच्छादन आ+छा = च्छा

विसर्ग संधि

जहाँ किसी पद में विसर्ग के आगे किसी व्यंजन का मेल होने पर जो विकार होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे-

मन:+बल = मनोबल विसर्ग+ब = ओब
नि:+चल = निश्चल विसर्ग+च =श्च
नि:+संदेह = निस्संदेह विसर्ग+स =स्स
धनु:+टंकार = धनुष्टंकार विसर्ग+ट =ष्ट


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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