"कैलाश मन्दिर, एलोरा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 10 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[एलोरा]] का '''कैलाश मन्दिर''' [[महाराष्ट्र]] के [[औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र|औरंगाबाद ज़िले]] में प्रसिद्ध '[[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा की गुफ़ाओं]]' में स्थित है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्‍थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को तैयार करने में क़रीब 150 [[वर्ष]] लगे और लगभग 7000 मजदूरों ने लगातार इस पर काम किया। पच्‍चीकारी की दृष्टि से कैलाश मन्दिर अद्भुत है। मंदिर एलोरा की गुफ़ा संख्या 16 में स्थित है।
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
 +
|चित्र=Kailash-Temple-Ellora.jpg
 +
|चित्र का नाम=कैलाश मन्दिर, एलोरा
 +
|विवरण=[[एलोरा]] का 'कैलाश मन्दिर' [[महाराष्ट्र]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में में से एक है, जो [[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा की गुफ़ओं]] में स्थित है।
 +
|राज्य=[[महाराष्ट्र]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[औरंगाबाद महाराष्ट्र|औरंगाबाद]]
 +
|निर्माता=
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=[[राष्ट्रकूट वंश]] के शासकों द्वारा
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=[[औरंगाबाद]], [[महाराष्ट्र]] के उत्तर में 26 किमी की दूरी पर एलोरा गुफ़ाएँ स्थित है।
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=
 +
|कब जाएँ=[[अक्तूबर]] से [[मार्च]]
 +
|कैसे पहुँचें=हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
 +
|हवाई अड्डा=औरंगाबाद हवाई अड्डा
 +
|रेलवे स्टेशन=औरंगाबाद रेलवे स्टेशन
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=सिटी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा
 +
|क्या देखें=मठ, मंदिर और 34 गुफ़ाएं
 +
|कहाँ ठहरें=
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=
 +
|ए.टी.एम=
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=[[अजंता की गुफ़ाएं]], [[बीबी का मक़बरा]]
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=कैलाश मंदिर को [[हिमालय]] के [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] का रूप देने में [[एलोरा]] के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। [[शिव]] का यह दोमंजिला मंदिर [[पर्वत]] की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
[[एलोरा]] का '''कैलाश मन्दिर''' [[महाराष्ट्र]] के [[औरंगाबाद ज़िला, महाराष्ट्र|औरंगाबाद ज़िले]] में प्रसिद्ध '[[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा की गुफ़ाओं]]' में स्थित है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्‍थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को तैयार करने में क़रीब 150 [[वर्ष]] लगे और लगभग 7000 मज़दूरों ने लगातार इस पर काम किया। पच्‍चीकारी की दृष्टि से कैलाश मन्दिर अद्भुत है। मंदिर एलोरा की गुफ़ा संख्या 16 में स्थित है। इस [[मन्दिर]] में [[कैलास पर्वत]] की अनुकृति निर्मित की गई है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=227|url=}}</ref>
 
==गुफ़ाएँ==
 
==गुफ़ाएँ==
 
[[एलोरा]] में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं-
 
[[एलोरा]] में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं-
पंक्ति 6: पंक्ति 46:
 
#दिगंबर जैन गुफ़ाएँ
 
#दिगंबर जैन गुफ़ाएँ
  
इन गुफ़ाओं में केवल एक गुफ़ा 12 मंजिली है, जिसे 'कैलाश मंदिर' कहा जाता है। यह गुफ़ा शिल्प कला का अद्भुत नमूना है। एक ही चट्टान में काट कर बनाए गए विशाल मंदिर की प्रत्येक मूर्ति का शिल्प उच्च कोटि का है। इन गुफ़ाओं से एक किलोमीटर की दूरी पर [[एलोरा|एलोरा गाँव]] है। इसी गाँव के नाम पर ये '[[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा गुफ़ाएँ]]' कहलाती हैं।
+
इन गुफ़ाओं में केवल एक गुफ़ा 12 मंजिली है, जिसे 'कैलाश मंदिर' कहा जाता है। मंदिर का निर्माण [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] शासक [[कृष्ण प्रथम]] ने करवया था। यह गुफ़ा शिल्प कला का अद्भुत नमूना है। एक ही चट्टान में काट कर बनाए गए विशाल मंदिर की प्रत्येक मूर्ति का शिल्प उच्च कोटि का है। इन गुफ़ाओं से एक किलोमीटर की दूरी पर [[एलोरा|एलोरा गाँव]] है। इसी गाँव के नाम पर ये '[[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा गुफ़ाएँ]]' कहलाती हैं।
 
==मूर्तिकला==
 
==मूर्तिकला==
 
कैलाश मंदिर को छोड़कर शेष मंदिर 600-750 ई. के आस-पास बने बताए जाते हैं। एलोरा की मूर्तिकला अनुपम है। [[गुप्त काल]] के बाद इतना भव्य निर्माण और किसी काल खंड में नहीं हुआ। एलोरा की गुफ़ाओं का  सीधा संबंध [[बौद्ध]], [[हिन्दू]] और [[जैन धर्म]] से है, इसलिए इन धर्मों के अनुयायियों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इसके अतिरिक्त देशी-विदेशी पर्यटकों की भी यहाँ पूरे साल चहल-पहल रहती है। इन गुफ़ाओं में इतना आकर्षण और कौशल है कि यहाँ आने वाले सभी पर्यटक इन्हें देखकर चकित हो उठते हैं। पूरा क्षेत्र बहुत खुला और शांत है। एलोरा के पास ही 'घृष्णेश्वर महादेव' का मंदिर है।<ref>{{cite web |url=http://www.divyahimachal.com/careers-and-jobs/spirituality/%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0/|title=एलोरा गुफ़ा मंदिर|accessmonthday=25 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
कैलाश मंदिर को छोड़कर शेष मंदिर 600-750 ई. के आस-पास बने बताए जाते हैं। एलोरा की मूर्तिकला अनुपम है। [[गुप्त काल]] के बाद इतना भव्य निर्माण और किसी काल खंड में नहीं हुआ। एलोरा की गुफ़ाओं का  सीधा संबंध [[बौद्ध]], [[हिन्दू]] और [[जैन धर्म]] से है, इसलिए इन धर्मों के अनुयायियों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इसके अतिरिक्त देशी-विदेशी पर्यटकों की भी यहाँ पूरे साल चहल-पहल रहती है। इन गुफ़ाओं में इतना आकर्षण और कौशल है कि यहाँ आने वाले सभी पर्यटक इन्हें देखकर चकित हो उठते हैं। पूरा क्षेत्र बहुत खुला और शांत है। एलोरा के पास ही 'घृष्णेश्वर महादेव' का मंदिर है।<ref>{{cite web |url=http://www.divyahimachal.com/careers-and-jobs/spirituality/%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AB%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0/|title=एलोरा गुफ़ा मंदिर|accessmonthday=25 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
====भव्‍य नक़्क़ाशी====
 
====भव्‍य नक़्क़ाशी====
एलोरा की गुफ़ा-16 सबसे बड़ी गुफा है, जिसमें सबसे ज़्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यहाँ के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक़्क़ाशी है, जो कि [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] के स्‍वामी [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित है। कैलाश मंदिर 'विरुपाक्ष मन्दिर' से प्रेरित होकर [[चालुक्य राजवंश]] के शासन के दौरान बनाया गया था। अन्‍य गुफाओं की तरह इसमें भी प्रवेश द्धार, मंडप तथा मूर्तियाँ हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/ellora/attractions/brahmanical-group-of-caves/ |title=ब्राह्मण या हिंदू गुफ़ाओं के ग्रुप, एलोरा|accessmonthday=25 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
+
एलोरा की गुफ़ा-16 सबसे बड़ी गुफा है, जिसमें सबसे ज़्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यहाँ के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक़्क़ाशी है, जो कि [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] के स्‍वामी [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित है। कैलाश मंदिर 'विरुपाक्ष मन्दिर' से प्रेरित होकर [[राष्ट्रकूट वंश]] के शासन के दौरान बनाया गया था। अन्‍य गुफाओं की तरह इसमें भी प्रवेश द्धार, मंडप तथा मूर्तियाँ हैं।
 
==अनुपम वास्तुशिल्प==
 
==अनुपम वास्तुशिल्प==
कैलाश मंदिर को [[हिमालय]] के [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] का रूप देने में [[एलोरा]] के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दोमंजिला मंदिर [[पर्वत]] की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है कि प्राय: 30 लाख हाथ पत्थर इसमें से काटकर निकाल लिया गया है। कैलाश के इस परिवेश में, समीक्षकों का अनुमान है, समूचा ताज मय अपने आँगन में रख दिया जा सकता है। एथेंस का प्रसिद्ध मंदिर 'पार्थेनन' इसके आयाम में समूचा समा सकता है और इसकी ऊँचाई पार्थेनन से कम से कम ड्योढ़ी है। कैलाश के भैरव की मूर्ति जितनी भयकारक है, [[पार्वती]] की उतनी ही स्नेहशील है और तांडव का वेग तो ऐसा है, जैसा पत्थर में अन्यत्र उपलब्ध नहीं। [[शिव]]-[[पार्वती]] का परिणय भावी सुख की मर्यादा बाँधता है, जैसे [[रावण]] का कैलाशत्तोलन पौरुष को मूर्तिमान कर देता है। उसकी भुजाएँ फैलकर कैलाश के तल को जैसे घेर लेती हैं और इतने जोर से हिलाती हैं कि उसकी चूलें ढीली हो जाती हैं और [[उमा]] के साथ ही कैलाश के अन्य जीव भी संत्रस्त काँप उठते हैं। फिर [[शिव]] पैर के अँगूठे से पर्वत को हल्के से दबाकर रावण के गर्व को चूर-चूर कर देते हैं। [[कालिदास]] ने [[कुमारसंभव]] में जो रावण के इस प्रयत्न से कैलाश की संधियों के बिखर जाने की बात कही है, वह इस दृश्य में सर्वथा कलाकारों ने प्रस्तुत कर दी है। एलोरा का वैभव [[भारतीय मूर्तिकला]] की मूर्धन्य उपलब्धि है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/node/32731|title=एलोरा|accessmonthday= 25 फ़रवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref>
+
कैलाश मंदिर को [[हिमालय]] के [[कैलाश पर्वत|कैलाश]] का रूप देने में [[एलोरा]] के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दोमंजिला मंदिर [[पर्वत]] की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है कि प्राय: 30 लाख हाथ पत्थर इसमें से काटकर निकाल लिया गया है। कैलाश के इस परिवेश में, समीक्षकों का अनुमान है, समूचा ताज मय अपने आँगन में रख दिया जा सकता है। एथेंस का प्रसिद्ध मंदिर 'पार्थेनन' इसके आयाम में समूचा समा सकता है और इसकी ऊँचाई पार्थेनन से कम से कम ड्योढ़ी है। कैलाश के भैरव की मूर्ति जितनी भयकारक है, [[पार्वती]] की उतनी ही स्नेहशील है और तांडव का वेग तो ऐसा है, जैसा पत्थर में अन्यत्र उपलब्ध नहीं।
 +
 
 +
[[शिव]]-[[पार्वती]] का परिणय भावी सुख की मर्यादा बाँधता है, जैसे [[रावण]] का कैलाशत्तोलन पौरुष को मूर्तिमान कर देता है। उसकी भुजाएँ फैलकर कैलाश के तल को जैसे घेर लेती हैं और इतने जोर से हिलाती हैं कि उसकी चूलें ढीली हो जाती हैं और [[उमा]] के साथ ही कैलाश के अन्य जीव भी संत्रस्त काँप उठते हैं। फिर [[शिव]] पैर के अँगूठे से पर्वत को हल्के से दबाकर रावण के गर्व को चूर-चूर कर देते हैं। [[कालिदास]] ने [[कुमारसंभव]] में जो रावण के इस प्रयत्न से कैलाश की संधियों के बिखर जाने की बात कही है, वह इस दृश्य में सर्वथा कलाकारों ने प्रस्तुत कर दी है। एलोरा का वैभव [[भारतीय मूर्तिकला]] की मूर्धन्य उपलब्धि है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.indiawaterportal.org/node/32731|title=एलोरा|accessmonthday= 25 फ़रवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language= हिन्दी}}</ref>
 +
 
 +
*[[यूनेस्को]] द्वारा [[1983]] से '[[विश्‍व विरासत स्‍थल]]' घोषित किए जाने के बाद [[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] और [[एलोरा]] की तस्‍वीरें और शिल्‍पकला [[बौद्ध]] धार्मिक कला के उत्‍कृष्‍ट नमूने माने गए हैं और इनका [[भारत]] में कला के विकास पर गहरा प्रभाव है।
  
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==वीथिका==
 +
<gallery>
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-4.jpg|सुन्दर दृश्य कैलाश मन्दिर, एलोरा
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-3.jpg|अद्भुत कारीगरी, कैलाश मन्दिर, [[एलोरा]]
 +
चित्र:A-Statue-in-Ellora-Caves-1.jpg|कैलाश मन्दिर स्थित एक प्रतिमा
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-2.jpg|कैलाश मन्दिर,एलोरा, ([[महाराष्ट्र]])
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-1.jpg|कैलाश मन्दिर, (एलोरा)
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-7.jpg|[[शिव|भगवान शिव]] की मूर्ति, कैलाश मन्दिर, महाराष्ट्र
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-6.jpg|कैलाश मन्दिर, [[महाराष्ट्र]]
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-5.jpg|कैलाश मन्दिर, [[एलोरा]]
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-8.jpg|सुन्दर कला, कैलाश मन्दिर, [[महाराष्ट्र]]
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-9.jpg|सुंदर शिल्‍पकला, कैलाश मन्दिर
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-10.jpg|भव्‍य नक़्क़ाशी, कैलाश मन्दिर, [[महाराष्ट्र]]
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-12.jpg|कैलाश मन्दिर स्थित एक प्रतिमा
 +
चित्र:Cave-16-Kailasa-Temple-Ellora.jpg|कैलाश मन्दिर का शानदार दृश्य
 +
चित्र:Kailash-Temple-Ellora-11.jpg|कैलाश मन्दिर, एलोरा
 +
चित्र:A-Statue-in-Ellora-Caves.jpg|कैलाश मन्दिर स्थित एक प्रतिमा
 +
</gallery>
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
+
[[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]]
 +
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}}
 
{{महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल}}

06:54, 9 मई 2020 के समय का अवतरण

कैलाश मन्दिर, एलोरा
कैलाश मन्दिर, एलोरा
विवरण एलोरा का 'कैलाश मन्दिर' महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में में से एक है, जो एलोरा की गुफ़ओं में स्थित है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला औरंगाबाद
स्थापना राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा
मार्ग स्थिति औरंगाबाद, महाराष्ट्र के उत्तर में 26 किमी की दूरी पर एलोरा गुफ़ाएँ स्थित है।
कब जाएँ अक्तूबर से मार्च
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा औरंगाबाद हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन औरंगाबाद रेलवे स्टेशन
यातायात सिटी बस, टैक्सी, ऑटोरिक्शा
क्या देखें मठ, मंदिर और 34 गुफ़ाएं
संबंधित लेख अजंता की गुफ़ाएं, बीबी का मक़बरा


अन्य जानकारी कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने में एलोरा के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दोमंजिला मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है।

एलोरा का कैलाश मन्दिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में प्रसिद्ध 'एलोरा की गुफ़ाओं' में स्थित है। यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्‍थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को तैयार करने में क़रीब 150 वर्ष लगे और लगभग 7000 मज़दूरों ने लगातार इस पर काम किया। पच्‍चीकारी की दृष्टि से कैलाश मन्दिर अद्भुत है। मंदिर एलोरा की गुफ़ा संख्या 16 में स्थित है। इस मन्दिर में कैलास पर्वत की अनुकृति निर्मित की गई है।[1]

गुफ़ाएँ

एलोरा में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं-

  1. महायानी बौद्ध गुफ़ाएँ
  2. पौराणिक हिंदू गुफ़ाएँ
  3. दिगंबर जैन गुफ़ाएँ

इन गुफ़ाओं में केवल एक गुफ़ा 12 मंजिली है, जिसे 'कैलाश मंदिर' कहा जाता है। मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने करवया था। यह गुफ़ा शिल्प कला का अद्भुत नमूना है। एक ही चट्टान में काट कर बनाए गए विशाल मंदिर की प्रत्येक मूर्ति का शिल्प उच्च कोटि का है। इन गुफ़ाओं से एक किलोमीटर की दूरी पर एलोरा गाँव है। इसी गाँव के नाम पर ये 'एलोरा गुफ़ाएँ' कहलाती हैं।

मूर्तिकला

कैलाश मंदिर को छोड़कर शेष मंदिर 600-750 ई. के आस-पास बने बताए जाते हैं। एलोरा की मूर्तिकला अनुपम है। गुप्त काल के बाद इतना भव्य निर्माण और किसी काल खंड में नहीं हुआ। एलोरा की गुफ़ाओं का  सीधा संबंध बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म से है, इसलिए इन धर्मों के अनुयायियों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इसके अतिरिक्त देशी-विदेशी पर्यटकों की भी यहाँ पूरे साल चहल-पहल रहती है। इन गुफ़ाओं में इतना आकर्षण और कौशल है कि यहाँ आने वाले सभी पर्यटक इन्हें देखकर चकित हो उठते हैं। पूरा क्षेत्र बहुत खुला और शांत है। एलोरा के पास ही 'घृष्णेश्वर महादेव' का मंदिर है।[2]

भव्‍य नक़्क़ाशी

एलोरा की गुफ़ा-16 सबसे बड़ी गुफा है, जिसमें सबसे ज़्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यहाँ के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक़्क़ाशी है, जो कि कैलाश के स्‍वामी भगवान शिव को समर्पित है। कैलाश मंदिर 'विरुपाक्ष मन्दिर' से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था। अन्‍य गुफाओं की तरह इसमें भी प्रवेश द्धार, मंडप तथा मूर्तियाँ हैं।

अनुपम वास्तुशिल्प

कैलाश मंदिर को हिमालय के कैलाश का रूप देने में एलोरा के वास्तुकारों ने कुछ कमी नहीं की। शिव का यह दोमंजिला मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है कि प्राय: 30 लाख हाथ पत्थर इसमें से काटकर निकाल लिया गया है। कैलाश के इस परिवेश में, समीक्षकों का अनुमान है, समूचा ताज मय अपने आँगन में रख दिया जा सकता है। एथेंस का प्रसिद्ध मंदिर 'पार्थेनन' इसके आयाम में समूचा समा सकता है और इसकी ऊँचाई पार्थेनन से कम से कम ड्योढ़ी है। कैलाश के भैरव की मूर्ति जितनी भयकारक है, पार्वती की उतनी ही स्नेहशील है और तांडव का वेग तो ऐसा है, जैसा पत्थर में अन्यत्र उपलब्ध नहीं।

शिव-पार्वती का परिणय भावी सुख की मर्यादा बाँधता है, जैसे रावण का कैलाशत्तोलन पौरुष को मूर्तिमान कर देता है। उसकी भुजाएँ फैलकर कैलाश के तल को जैसे घेर लेती हैं और इतने जोर से हिलाती हैं कि उसकी चूलें ढीली हो जाती हैं और उमा के साथ ही कैलाश के अन्य जीव भी संत्रस्त काँप उठते हैं। फिर शिव पैर के अँगूठे से पर्वत को हल्के से दबाकर रावण के गर्व को चूर-चूर कर देते हैं। कालिदास ने कुमारसंभव में जो रावण के इस प्रयत्न से कैलाश की संधियों के बिखर जाने की बात कही है, वह इस दृश्य में सर्वथा कलाकारों ने प्रस्तुत कर दी है। एलोरा का वैभव भारतीय मूर्तिकला की मूर्धन्य उपलब्धि है।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 227 |
  2. एलोरा गुफ़ा मंदिर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 फ़रवरी, 2014।
  3. एलोरा (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 25 फ़रवरी, 2014।

संबंधित लेख