"कबीर की साखियाँ -कबीर": अवतरणों में अंतर
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|मृत्यु स्थान= [[मगहर]], [[उत्तर प्रदेश]] | |मृत्यु स्थान= [[मगहर]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|मुख्य रचनाएँ=साखी, सबद और रमैनी | |मुख्य रचनाएँ=[[साखी]], [[सबद]] और [[रमैनी]] | ||
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कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ। | |||
ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ | ऐसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ | ||
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माला फेरत जुग भया, मिटा ना मन का फेर। | माला फेरत जुग भया, मिटा ना मन का फेर। | ||
कर का मन का छाड़ि के मन का मनका फेर॥ | कर का मन का छाड़ि के, मन का मनका फेर॥ | ||
माया मुई न मन मुआ, मरि मरि गया सरीर। | माया मुई न मन मुआ, मरि मरि गया सरीर। | ||
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तपन बुझावे और की, अपनो पारस लाय॥ | तपन बुझावे और की, अपनो पारस लाय॥ | ||
सोना सज्जन साधु जन, टुटी जुड़ै सौ बार। | सोना, सज्जन, साधु जन, टुटी जुड़ै सौ बार। | ||
दुर्जन कुंभ कुम्हार के, | दुर्जन कुंभ कुम्हार के, एकै धकै दरार॥ | ||
जिहिं धरि साध न पूजिए, हरि की सेवा नाहिं। | जिहिं धरि साध न पूजिए, हरि की सेवा नाहिं। | ||
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तिनका कबहुँ ना निन्दिए, जो पायन तले होय। | तिनका कबहुँ ना निन्दिए, जो पायन तले होय। | ||
कबहुँ उड़न | कबहुँ उड़न आँखन परै, पीर घनेरी होय॥ | ||
बोली एक अमोल है, जो कोइ बोलै जानि। | बोली एक अमोल है, जो कोइ बोलै जानि। |
05:42, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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कस्तूरी कुँडली बसै, मृग ढूँढे बन माहिँ। |
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