"मनीराम बागड़ी": अवतरणों में अंतर
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'''मनीराम बागड़ी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Maniram Bagri'' ; जन्म- [[1 जनवरी]], [[1920]], [[हिसार]], [[हरियाणा]]; मृत्यु- [[31 जनवरी]], [[2012]]) समाजवादी विचार धारा के प्रसिद्ध नेता थे, जो तीन बार ([[:Category:द्वितीय लोकसभा सांसद|दूसरी]], [[:Category:छठी लोकसभा सांसद|छठी]] और [[:Category:सातवीं लोकसभा सांसद|सातवीं]]) [[लोकसभा]] में [[संसद]] के सदस्य रहे थे। साधारण [[परिवार]] से संबंध रखने वाले मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की लड़ाई लड़ी। चाहे 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उनकी सभी में सक्रिय भागीदारी थी। | '''मनीराम बागड़ी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Maniram Bagri'' ; जन्म- [[1 जनवरी]], [[1920]], [[हिसार]], [[हरियाणा]]; मृत्यु- [[31 जनवरी]], [[2012]]) समाजवादी विचार धारा के प्रसिद्ध नेता थे, जो तीन बार ([[:Category:द्वितीय लोकसभा सांसद|दूसरी]], [[:Category:छठी लोकसभा सांसद|छठी]] और [[:Category:सातवीं लोकसभा सांसद|सातवीं]]) [[लोकसभा]] में [[संसद]] के सदस्य रहे थे। साधारण [[परिवार]] से संबंध रखने वाले मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की लड़ाई लड़ी। चाहे 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उनकी सभी में सक्रिय भागीदारी थी। | ||
==संक्षिप्त परिचय== | ==संक्षिप्त परिचय== | ||
मनीराम बागड़ी का जन्म [[1 जनवरी]], [[1920]] को [[हरियाणा]] के [[हिसार]] में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम 'हरजीराम' था। इनका [[विवाह संस्कार|विवाह]] 'धानी देवी' से हुआ था। इनके दो [[पुत्र]] और तीन पुत्रियाँ हैं। | मनीराम बागड़ी का जन्म [[1 जनवरी]], [[1920]] को [[हरियाणा]] के [[हिसार]] में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम 'हरजीराम' था। इनका [[विवाह संस्कार|विवाह]] 'धानी देवी' से हुआ था। इनके दो [[पुत्र]] और तीन पुत्रियाँ हैं। | ||
==राजनीतिक जीवन== | ==राजनीतिक जीवन== | ||
समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर मनीराम बागड़ी [[1945]] के बाद राजनीति में आ गए। उन्होंने हिसार को अपना कार्यक्षेत्र माना। [[वर्ष]] [[1953]] में फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से मनीराम बागड़ी ने पहला चुनाव जीता था, लेकिन 1954 में ही अदालत ने उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। [[1962]] के लोकसभा चुनाव में वे हिसार से सांसद चुन लिए गए। [[समाजवादी पार्टी]] में रहते ही मनीराम बागड़ी [[हिसार]] से [[मथुरा]] चले गए और वहां [[1969]] में [[लोकसभा]] का चुनाव लड़ा। वे थोडे़ से अंतराल से यह चुनाव हार बैठे। इसके बाद उन्होंने हिसार से [[1971]] में फिर चुनाव लड़ा, किंतु इस बार भी पराजय झेलनी पड़ी। [[1977]] में मनीराम बागड़ी फिर मथुरा पहुंच गए और इस बार [[जनता पार्टी]] की टिकट पर उन्हें जीत मिली। वर्ष 1977 के बाद [[1980]] में वे लोकदल की टिकट पर हिसार से फिर चुनाव जीत गए। | समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर मनीराम बागड़ी [[1945]] के बाद राजनीति में आ गए। उन्होंने हिसार को अपना कार्यक्षेत्र माना। [[वर्ष]] [[1953]] में फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से मनीराम बागड़ी ने पहला चुनाव जीता था, लेकिन 1954 में ही अदालत ने उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। [[1962]] के लोकसभा चुनाव में वे हिसार से सांसद चुन लिए गए। [[समाजवादी पार्टी]] में रहते ही मनीराम बागड़ी [[हिसार]] से [[मथुरा]] चले गए और वहां [[1969]] में [[लोकसभा]] का चुनाव लड़ा। वे थोडे़ से अंतराल से यह चुनाव हार बैठे। इसके बाद उन्होंने हिसार से [[1971]] में फिर चुनाव लड़ा, किंतु इस बार भी पराजय झेलनी पड़ी। [[1977]] में मनीराम बागड़ी फिर मथुरा पहुंच गए और इस बार [[जनता पार्टी]] की टिकट पर उन्हें जीत मिली। वर्ष [[1977]] के बाद [[1980]] में वे लोकदल की टिकट पर हिसार से फिर चुनाव जीत गए। | ||
==योगदान== | ==योगदान== | ||
*मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की ही लड़ाई लड़ी। 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उन्होंने सभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। | *मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की ही लड़ाई लड़ी। 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उन्होंने सभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
05:34, 31 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
मनीराम बागड़ी
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पूरा नाम | मनीराम बागड़ी |
जन्म | 1 जनवरी, 1920 |
जन्म भूमि | हिसार, हरियाणा |
मृत्यु | 31 जनवरी, 2012 |
मृत्यु स्थान | हिसार, हरियाणा |
पति/पत्नी | धानी देवी |
संतान | दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनेता |
विशेष योगदान | मनीराम बागड़ी ने देश में पहली बार पुलिस यूनियन का गठन किया और 24 घंटे ड्यूटी देने के फैसले के ख़िलाफ़ लड़ाई जीती। |
अन्य जानकारी | देश की आज़ादी के बाद मनीराम बागड़ी ने हरियाणा में मज़दूरों के लिए 1952 में पहला आंदोलन चलाया। उनके इस आंदोलन से खेत में काम करने वाले मज़दूर को उसी जमीन का मालिक बना दिया गया। |
मनीराम बागड़ी (अंग्रेज़ी: Maniram Bagri ; जन्म- 1 जनवरी, 1920, हिसार, हरियाणा; मृत्यु- 31 जनवरी, 2012) समाजवादी विचार धारा के प्रसिद्ध नेता थे, जो तीन बार (दूसरी, छठी और सातवीं) लोकसभा में संसद के सदस्य रहे थे। साधारण परिवार से संबंध रखने वाले मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की लड़ाई लड़ी। चाहे 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उनकी सभी में सक्रिय भागीदारी थी।
संक्षिप्त परिचय
मनीराम बागड़ी का जन्म 1 जनवरी, 1920 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। इनके पिता का नाम 'हरजीराम' था। इनका विवाह 'धानी देवी' से हुआ था। इनके दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ हैं।
राजनीतिक जीवन
समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर मनीराम बागड़ी 1945 के बाद राजनीति में आ गए। उन्होंने हिसार को अपना कार्यक्षेत्र माना। वर्ष 1953 में फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से मनीराम बागड़ी ने पहला चुनाव जीता था, लेकिन 1954 में ही अदालत ने उनके चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। 1962 के लोकसभा चुनाव में वे हिसार से सांसद चुन लिए गए। समाजवादी पार्टी में रहते ही मनीराम बागड़ी हिसार से मथुरा चले गए और वहां 1969 में लोकसभा का चुनाव लड़ा। वे थोडे़ से अंतराल से यह चुनाव हार बैठे। इसके बाद उन्होंने हिसार से 1971 में फिर चुनाव लड़ा, किंतु इस बार भी पराजय झेलनी पड़ी। 1977 में मनीराम बागड़ी फिर मथुरा पहुंच गए और इस बार जनता पार्टी की टिकट पर उन्हें जीत मिली। वर्ष 1977 के बाद 1980 में वे लोकदल की टिकट पर हिसार से फिर चुनाव जीत गए।
योगदान
- मनीराम बागड़ी ने हमेशा कमेरे वर्ग की ही लड़ाई लड़ी। 'मुजारा आंदोलन' हो या अध्यापकों, किसानों और कर्मचारियों का आंदोलन, उन्होंने सभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वे ही एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने देश में पहली बार पुलिस यूनियन का गठन किया और 24 घंटे ड्यूटी देने के फैसले के ख़िलाफ़ लड़ाई जीती।
- ऐसे अनेक आंदोलन थे, जिनके मनीराम बागड़ी जन्मदाता रहे। देश की आज़ादी के बाद मनीराम बागड़ी ने हरियाणा में मज़दूरों के लिए 1952 में पहला आंदोलन चलाया। उनके इस आंदोलन से खेत में काम करने वाले मज़दूर को उसी जमीन का मालिक बना दिया गया। पांच साल तक उनकी यह लड़ाई चली थी और हर मज़दूर को फायदा हुआ था।
निम्रल हृदय
मनीराम बागड़ी रिक्शा में कभी नहीं बैठे। कहते थे बड़ी गलत बात है कि एक आदमी ही दूसरे को खींच रहा है। वे खुद खाना बनाते और अपने ड्राइवर व अन्य व्यक्ति को खिला देते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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