मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल। कैसे घर दीन्हीं बकस मोरी माल। निजामुद्दीन औलिया को कोई समझाए, ज्यों-ज्यों मनाऊँ वो तो रुसो ही जाए। चूडियाँ फूड़ों पलंग पे डारुँ इस चोली को मैं दूँगी आग लगाए। सूनी सेज डरावन लागै। बिरहा अगिन मोहे डस डस जाए। मोरा जोबना।