इरफ़ान पठान

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इरफ़ान पठान
इरफ़ान पठान
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम इरफ़ान पठान
जन्म 27 अक्टूबर, 1984
जन्म भूमि बड़ौदा, गुजरात
अभिभावक पिता- महमूद ख़ान पठान, माता- समीम बानू पठान
पत्नी सफा बेग
संतान इमरान ख़ान पठान
खेल परिचय
बल्लेबाज़ी शैली बाएँ हाथ से
गेंदबाज़ी शैली बाएँ हाथ से मध्यम तेज़
टीम भारत
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय टी-20 अन्तर्राष्ट्रीय
मुक़ाबले 29 120 24
बनाये गये रन 1105 1544 172
बल्लेबाज़ी औसत 31.89 23.39 25.58
100/50 1/7 0/5 0/0
सर्वोच्च स्कोर 102 83 33
फेंकी गई गेंदें 5884 5855 462
विकेट 100 173 28
गेंदबाज़ी औसत 32.26 29.72 22.07
पारी में 5 विकेट 7 2 0
मुक़ाबले में 10 विकेट 2 0 0
सर्वोच्च गेंदबाज़ी 7/59 5/27 3/16
कैच/स्टम्पिंग 8/- 21/- 2/-
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इरफ़ान पठान (अंग्रेज़ी: Irfan Pathan, जन्म- 27 अक्टूबर, 1984, बड़ौदा, गुजरात) भारत के ऐसे तेज़ गेंदबाज रहे हैं जिन्होंने अपनी शानदार गेंदबाज़ी से विपक्षी बल्लेबाज़ों को हमेशा परेशान किये रखा। वह भारतीय क्रिकेट टीम में एक शानदार आल राउंडर खिलाडी के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिनकी तुलना महान क्रिकेटर कपिल देव से की जाती है। एक दौर में अपनी स्विंग गेंदबाज़ी से इरफ़ान पठान ने बल्लेबाज़ों के मन में खौफ पैदा कर रखा था। उन्हें पाकिस्तान के पूर्व महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम का उत्तराधिकारी भी माना जाता था। इरफ़ान पठान जब 19 साल के थे, तब उन्होंने 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की तरफ़ से पहला मैच खेला था। उन्होंने अपना आखिरी मैच 2012 में श्रीलंका के खिलाफ विश्व टी20 में खेला।

परिचय

तेज गेंदबाज इरफ़ान पठान का जन्म 27 अक्टूबर, 1984 को गुजरात के बड़ौदा में एक गरीब परिवार में हुआ। इनके पिता महमूद पठान मस्जिद में मुअज्ज़िन का कार्य करते थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में इरफ़ान का बचपना गुजरा। गरीब माता-पिता अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर एक इस्लामिक इस्कॉलर बनाना चाहते थे। लेकिन, इरफ़ान ने अपनी दुनिया कहीं और ढूंढ ली थी।[1]

इरफ़ान पठान के परिवार में पिता महमूद ख़ान पठान, माँ समीम बानू पठान और एक भाई जिन्हें सब जानते है युसूफ़ पठान और एक छोटी बहन शगुफ्ता पठान है। इरफ़ान पठान ने 4 फ़रवरी 2016 को मक्का में सफा बेग से विवाह किया। वे एक पुत्र के पिता हैं, जिसका नाम इमरान ख़ान पठान है।

क्रिकेट से लगाव

इरफ़ान पठान को बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था। पहले परिवार से छुप-छुपाकर क्रिकेट खेलने जाते थे। बाद में जब परिजनों ने अपने काबिल बच्चे की क्रिकेट के लिए उसकी लगन और मेहनत देखी तो मना नहीं कर सके। गरीब पिता ने फिर बेटे के लिए जो बन आया वह किया। इरफ़ान भी अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर करने लगे। लगातार 6-6 घंटे तक चिलचिलाती धूप में उन्होंने जमकर पसीना बहाया। उनके जुनून के सामने गरीबी भी रुकावट नहीं बन सकी। इरफ़ान बता चुके हैं कि उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वे और उनके भाई युसूफ़ पठान नए क्रिकेट किट खरीद सके। इसके लिए उन्होंने सालों सेकेंड हैंड क्रिकेट किट का इस्तेमाल किया। लेकिन उनके हाथ में नई गेंद बल्लेबाजों के लिए घातक रूप ले लेती थी। तब उन्हें भी शायद नहीं पता रहा होगा कि भविष्य में यह स्विंग होती नई गेंद इतिहास में दर्ज हो जाएगी।

भारतीय टीम में चुनाव

इरफ़ान पठान को पूर्व भारतीय कप्तान दत्ता गायकवाड़ ने ट्रेनिग दी। तप कर निकले इरफ़ान पठान ने छोटी उम्र में ही बड़ौदा टीम से प्रथम श्रेणी मैच में खेलना शुरू कर दिया। वो गेंदबाजी के साथ साथ बल्लेबाजी भी कर लेते थे। इरफ़ान ने 13 साल की छोटी उम्र में जूनियर क्रिकेट में अपने कदम जमाया। उन्होंने अंडर-14, अंडर-15, अंडर-16 और अंडर-19 टीमों में खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उन दिनों इरफ़ान बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। घरेलू मैचों में शानदार प्रदर्शन के बाद दिसंबर 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए सीरिज़ में इरफ़ान पठान भारतीय क्रिकेट टीम में चुने गए।[1]

कीर्तिमान

19 साल के गेंदबाज को यह अवसर भारत के प्रमुख गेंदबाज रहे जहीर ख़ान के चोटिल होने के बाद मिला था। इसके बाद एक के बाद एक सीरिज में मौका मिला। इरफ़ान पठान ने अपनी क़ाबलियत का लोहा हर किसी को मनवाया। एक शानदार ऑलराउंडर के तौर पर भारत को कई मैच जिताने में अहम भूमिका निभाई। इंटरनेशनल क्रिकेट में इरफ़ान पठान ने कई रिकार्ड्स बनाए। टेस्ट मैच में अपने पहले ही ओवर में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने। इस मैच में पाकिस्तान के बिना कोई रन बने 3 विकेट हो चुके थे। सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले भारतीय तेज गेंदबाज का कारनामा भी इरफ़ान पठान के नाम हैं।

संन्यास

अपने उतार-चढ़ाव से भरे कॅरियर के बावजूद इरफ़ान पठान ने करोड़ों भारतीयों और क्रिकेट फैंसों के दिल में अपनी जगह बनाई। उनके हाथ से छूटी गेंद स्विंग होकर इतिहास में दर्ज हो गई। फिर 4 जनवरी 2020 को इरफ़ान पठान ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेटों से संन्यास ले लिया। उन्होंने जिस तरह से गरीबी से निकलकर एक ऊंचा मुकाम हासिल किया, वो दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

नेकदिल इंसान

क्रिकेट जगत में एक दिग्गज ऑलराउंडर रहे इरफ़ान पठान व्यक्तिगत जीवन में एक नेक दिल इंसान हैं। अक्सर उन्हें सामाजिक कार्यों में दूसरों की मदद करते हुए देखा जा सकता है। एक सिलेब्रेटी बनने के बाद भी शायद इरफ़ान पठान ने अपनी जद्दोजहद नहीं भूली। इसीलिए वो ज़रूरतमंद लोगों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं। वो उनका दुःख-दर्द समझते हैं और दान करने से कभी पीछे नहीं हटते। कोरोना संकट के दौरान इरफ़ान पठान ने एक मोची की आर्थिक मदद कर सभी का दिल जीत लिया।[1]

रमज़ान में भी इरफ़ान पठान ने गरीबों और बेवाओं की मदद के लिए लोगों से अपील की थी। उन्होंने कहा था कि आप अपने इलाके में गरीब और बेवाओं के बारे पता कीजिए और उनकी हर संभव मदद करिए। इरफ़ान व उनके भाई युसूफ गुजरात में आई बाढ़ के दौरान भी प्रभावित इलाके में लोगों की मदद के लिए आगे आए थे। उन्होंने इस दौरान खाद्य सामग्री और ख़ाना वितरित कराया था। उस दौरान ट्विटर पर जब उनके एक वयक्ति ने दोनों पठान भाइयों को टैग करते हुए मदद मांगी कि ऐसी कई लड़कियां हैं, जो बारिश के कारण अपने हॉस्टल में फंसी हुई हैं और पिछले कुछ दिनों से उन्हें ढंग से भोजन नहीं मिल पा रहा है। इरफ़ान पठान ने तुरंत उस ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि हमारी टीम का कोई भी व्यक्ति जल्द ही संपर्क करेगा और उनकी हर संभव मदद की जाएगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 गरीबी से निकलकर बने 'स्विंग के किंग' (हिंदी) indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 06 जनवरी, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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