"जीना अपने ही में -सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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जीना अपने ही में | जीना अपने ही में | ||
− | एक महान कर्म है | + | एक महान कर्म है, |
जीने का हो सदुपयोग | जीने का हो सदुपयोग | ||
− | यह मनुज धर्म | + | यह मनुज धर्म है। |
अपने ही में रहना | अपने ही में रहना | ||
− | एक प्रबुद्ध कला है | + | एक प्रबुद्ध कला है, |
जग के हित रहने में | जग के हित रहने में | ||
− | सबका सहज भला | + | सबका सहज भला है। |
जग का प्यार मिले | जग का प्यार मिले | ||
− | जन्मों के पुण्य चाहिए | + | जन्मों के पुण्य चाहिए, |
जग जीवन को | जग जीवन को | ||
− | प्रेम सिन्धु में डूब | + | प्रेम सिन्धु में डूब थाहिए। |
ज्ञानी बनकर | ज्ञानी बनकर | ||
− | मत नीरस उपदेश दीजिए | + | मत नीरस उपदेश दीजिए, |
लोक कर्म भव सत्य | लोक कर्म भव सत्य | ||
− | प्रथम सत्कर्म | + | प्रथम सत्कर्म कीजिए। |
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11:47, 29 अगस्त 2011 का अवतरण
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जीना अपने ही में |
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