महाराज रामसिंह
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- 'अलंकार दर्पण' दोहों में है।
- नायिका भेद भी अच्छा है।
- यह एक अच्छे और प्रवीण कवि थे।
सोहत सुंदर स्याम सिर, मुकुट मनोहर जोर।
मनो नीलमनि सैल पर, नाचत राजत मोर
दमकन लागी दामिनी, करन लगे घन रोर।
बोलति माती कोइलै, बोलत माते मोर
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