"प्रयोग:दीपिका": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
|चित्र=Arjun-Atwal.jpg  
|चित्र=Dola-Banerjee.jpg
|चित्र का नाम=अर्जुन अटवाल
|चित्र का नाम=डोला बनर्जी
|पूरा नाम=अर्जुन अटवाल
|पूरा नाम=डोला बनर्जी
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म= [[20 मार्च]], [[1973]]
|जन्म=[[2 जून]], [[1980]]
|जन्म भूमि=[[आसनसोल]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]]
|जन्म भूमि=[[झारखंड]]
|मृत्यु=
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान=
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
|संतान=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|खेल-क्षेत्र=[[गोल्फ]]
|खेल-क्षेत्र=तीरंदाज़ी
|शिक्षा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि='डीसीएम ओपन (एशिया)' ([[1995]]), 'क्लासिक दक्षिण इंडिया ओपन' ([[1997]]), विल्स इंडियन ओपन (एशिया), [[1999]], 'हीरो होंडा मास्टर्स (एशिया), स्टार एलायंस ओपन (एशिया),[[2000]]
|पुरस्कार-उपाधि='[[अर्जुन पुरस्कार]]', ([[2005]]), '18वां गोल्डन एरो ग्रैंड पिक्स टूर्नामेंट' ([[2005]]), 'सैफ खेल', ([[2006]])
|प्रसिद्धि=[[टेनिस]]
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान=  
|विशेष योगदान=  
|नागरिकता=भारतीय  
|नागरिकता=भारतीय  
|संबंधित लेख=[[शिव कपूर]]
|संबंधित लेख=[[लिम्बा राम]], [[जयन्त तालुकदार]]
|शीर्षक 1=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी='अर्जुन अटवाल' भारतीय पहले [[गोल्फ़|गोल्फ]] खिलाड़ी हैं, जिन्होंने यू.एस., पी.जी.ए. टूर में खिलाड़ी के रूप में भाग लिया था। [[2003]] में एशियाई ‘आर्डर ऑफ मेरिट’ में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया था।
|अन्य जानकारी=तीरंदाज़ी में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी होने का श्रेय डोला बनर्जी को जाता है। इन्हें वर्ष [[2005]] में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''अर्जुन अटवाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arjun Atwal'', जन्म- [[20 मार्च]], [[1973]], [[आसनसोल]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]]), भारतीय पहले [[गोल्फ़|गोल्फ]] खिलाड़ी हैं, जिन्होंने यू.एस., पी.जी.ए. टूर में खिलाड़ी के रूप में भाग लिया था। इन्होंने यूरोपीय टूर में ‘आर्डर ऑफ मेरिट’ जीता था तथा वर्ष [[2003]] में ‘एशियाई आर्डर ऑफ मेरिट’ में भी सर्वश्रेष्ठ स्थान पाया।
'''डोला बनर्जी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Dola Banerjee'', जन्म- [[2 जून]], [[1980]], [[झारखंड]]), भारत की प्रथम तीरंदाज़ महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] के लिए क्वालीफाई किया था। उन्होंने 18वां ‘गोल्डन एरो ग्रैंड प्रिक्स टूर्नामेंट’ जीता। डोला को वर्ष [[2005]] में '[[अर्जुन पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया हैं।
 
==परिचय==
अर्जुन अटवाल का जन्म 20 मार्च 1973 को [[आसनसोल]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]]) में हुआ था। भारत के सर्वश्रेष्ठ [[गोल्फ़|गोल्फ]] खिलाड़ियों में से एक हैं। इन्होंने गोल्फ में एक प्रोफेशनल खिलाड़ी के रूप में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अर्जुन प्रतिष्ठित यू.एस., पी.जी.ए. टूर में [[खेल]] कर प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का गौरव पाया है। जब अर्जुन किशोरावस्था में ही थे, तब उन्होंने गोल्फ की ट्रिक्स व बारीकियां सीख ली थीं। रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब के हरे-भरे मैदानों में इस खेल को भली-भांति सीखा था। [[1995]] में वह इस खेल के ‘प्रोफेशनल’ खिलाड़ी बन गए थे। तथा इनकी ऊंचाई 6 फुट एक इंच हैं।
 
;एशियाई टूर
इसके पश्चात अर्जुन ने एशियाई टूर में अपने खेल की श्रेष्ठता साबित कर दी। [[2003]] में एशियाई ‘आर्डर ऑफ मेरिट’ में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया था। वर्ष 2003 में अर्जुन [[भारत]] के ऐसे पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने एशियाई पी.जी.ए. टूर में 10 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की। इन्होंने ‘हीरो होंडा मास्टर्स’ में भारत में एक स्ट्रोक से जीत हासिल कर इतनी बड़ी रकम पर विजय प्राप्त की थी।
 
;यूरोपियन टूर
[[चित्र:Arjun-Atwal-1.jpg|thumb|250px|left|अर्जुन अटवाल]]
अटवाल जीव मिल्खा सिंह के बाद दूसरे खिलाड़ी हैं जिन्हें ‘यूरोपियन टूर’ की सदस्यता हासिल हुई है। अर्जुन को एक अन्य मामले में भी प्रथम खिलाड़ी होने का श्रेय प्राप्त है। वह ऐसे प्रथम भारतीय हैं जिन्होंने ‘यूरोपीय टूर आर्डर ऑफ मेरिट’ जीता है। यह खिताब उन्होंने [[2002]] में ‘काल्टेक्स सिंगापुर मास्टर्स’ में जीता था।
 
2003 में अटवाल ने यूरोपीय टूर में दूसरी बार सफलता हासिल की। उन्होंने ‘केरिस वर्ग मलेशियाई ओपन’ में अमेरिकी ओपन विजेता रिटीफ गूजन को हराकर चार शॉट विजय हासिल की।
 
अटवाल ने [[2004]] में यू.एस. पी.जी.ए. टूर में पहली बार भाग लिया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। फिर 2005 में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, यद्यपि उन्होंने ‘बेल साउथ क्लासिक’ में एक छोटी हार का सामना किया।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/arjun-atwal-biography-in-hindi-language/|title=अर्जुन अटवाल का जीवन परिचय |accessmonthday=06 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
 
==अंतरराष्ट्रीय विजय==
#वर्ष [[1995]] में अर्जुन अटवाल ने डीसीएम ओपन (एशिया) जीता।
#[[1997]] अर्जुन अटवाल ने क्लासिक दक्षिण इंडिया ओपन में विजय प्राप्त की।
#विल्स इंडियन ओपन (एशिया) का खिताब [[1999]] में जीता।
# अर्जुन अटवाल ने हीरो होंडा मास्टर्स (एशिया) और स्टार एलायंस ओपन (एशिया) में वर्ष [[2000]] में जीत हासिल की।
#वर्ष 2002 में अर्जुन ने कार्ल्सबर्ग मलेशियाई ओपन (ईयूर) विजय प्राप्त की।
#हीरो होंडा मास्टर्स (एशिया) और कैल्टेक्स सिंगापुर मास्टर्स (ईयूर) का खिताब [[1999]] में जीता।
#अर्जुन ने वर्ष [[2008]] में मेबैंक मलेशियाई ओपन (ईयूर) जीता।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:खेलकूद कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
__INDEX__
__NOTOC__
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
|चित्र=Sunita-Rani.jpg
|चित्र का नाम=सुनीता रानी
|पूरा नाम=सुनीता रानी
|अन्य नाम=
|जन्म=[[4 दिसंबर]], [[1979]]
|जन्म भूमि=संगरूर, [[पंजाब]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=पिता-राम सरूप, माता-संतोष रानी
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|खेल-क्षेत्र=दौड़
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’, ‘ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट’ ([[2005]]), ‘बुसान एशियाई खेलों ’ ([[2000]])
|प्रसिद्धि=एथलेटिक्स
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=[[पी. टी. उषा]], [[मिलखा सिंह]], [[गुरबचन सिंह रंधावा]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी='सुनीता रानी' ने वर्ष [[2005]] में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़  4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा इनको [[के. आर. नारायणन|राष्ट्रपति के. आर. नारायणन]] के द्वारा ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया जा चुका है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''सुनीता रानी''' (अंग्रेज़ी: ''Sunita Rani'', जन्म: [[4 दिसंबर]], [[1979]], संगरूर, [[पंजाब]]) भारतीय महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने [[जून]], [[2005]] में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़  4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सुनीता को [[के. आर. नारायणन|राष्ट्रपति के. आर. नारायणन]] के द्वारा ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया जा चुका है।
==परिचय==
==परिचय==
सुनीता रानी का जन्म 4 दिसंबर, 1979 को संगरूर, [[पंजाब]] में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप तथा मां का नाम संतोष रानी है। सुनीता रानी मध्यम परिवार से हैं। उनके पिता [[गांव]] के पटवारी पद से रिटायर हुए हैं। सुनीता का खेल का सफर [[1994]] में स्कूली जीवन से शुरू हुआ। पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में 15 वर्षीय सुनीता सोचती थी कि यह तो एक जन्मजात प्रतिभा होती है, तभी व्यक्ति दौड़कर इनाम हासिल कर पाता है। तभी उनकी सीनियर छात्रा गोल्डी रानी ने उन्हें समझाया कि दौड़ में जीतने के लिए मेहनत करो। उसी की प्रेरणा से सुनीता रानी ने ज़िला स्तर पर [[1994]] में 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गोल्डी के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम स्थान पाया।
डोला बनर्जी का जन्म [[2 जून]], [[1980]] को [[झारखंड]] में हुआ था। [[भारत]] की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने तीरंदाज़ी में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी होने का श्रेय डोला बनर्जी को जाता है। भारत में तीरंदाज़ी को मुख्य रूप से पुरुषों का खेल समझा जाता है, लेकिन डोला बनर्जी ने इस खेल में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता भी अर्जित की।
 
इसके बाद अपने [[पिता]] व [[भाई|भाइयों]] की प्रेरणा से उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लिया। [[1995]] के फेडरेशन कप में विजय प्राप्त करने के बाद वह खेल अधिकारीयों की निगाह में आई।
 
सुनीता सिडनी ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में लगी रही। उसे महसूस हुआ कि 10000 मीटर की स्पर्धा छोड़कर उसे 50000 मीटर दौड़ने की क्षमता का विकास करना चाहिए, साथ ही 800 मीटर दौड़ का अभ्यास करना चाहिए ताकि स्पीड बनी रहे। उसे यकीन था कि वह अपनी टाइमिंग ठीक करके पदक पा लेगी परन्तु किन्हीं कारणों वश वह सिडनी ओलंपिक में भाग नहीं ले सकी।


डोला बनर्जी ने तीर से निशानेबाजी की शिक्षा टाटा आर्चरी अकादमी, [[जमशेदपुर]] से प्राप्त की। उन्होंने तीरंदाज़ी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र सफल खिलाड़ी होने का नाम कमाया है। न्यूयार्क में हुई 42वीं ‘विश्व आउटडोर टार्गेट आर्चरी चैंपियनशिप’ में अपने कुशल प्रयास से वह सफल रहीं और डोला [[भारत]] की प्रथम तीरंदाज़ महिला बन गईं तथा [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेलों]] में भाग लेने के लिए क्वालीफाई कर लिया।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/dola-banerjee-biography-in-hindi-language/ |title=डोला बनर्जी का जीवन परिचय |accessmonthday=09 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के हाथों ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है।
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[2005]] में ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ देकर सम्मानित किया गया।
==एशियाई खेल==
;टूर्नामेंट
[[2002]] में हुए बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ते हुए 1500 मीटर का स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 4:06:03 मिनट में दूरी तय करके सुनीता ने 6 सेकंड से एशियाई रिकार्ड तोड़ दिया। वह दूसरी प्रतियोगियों से भी छह सेकंड आगे थी।
वर्ष [[2005]] में टर्की के अंतल्य में हुआ 18वां गोल्डन एरो ग्रैंड पिक्स टूर्नामेंट जीतकर डोला ने इतिहास रच डाला। वहाँ उन्होंने उक्रेनिया की तीसरी सीड खिलाड़ी तात्याना डोरोखोवा को हरा दिया।


सुनीता की यह ख्याति रातोंरात बदल गई और उसे उसकी निन्दनीय स्थिति की ओर ले गई। उसका डोप टेस्ट पाजिटिव रहा, जिसके कारण उसकी सर्वत्र निंदा होने लगी। एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने उसे बचाना तो दूर उससे दूरी बनानी आरम्भ के दी। सुनीता गुमनामी में खोने लगी। जब की यही स्थिति [[श्रीलंका]] की सुशान्तिका जयसिंहे और इंग्लैंड के लिन्फोर्ड क्रिस्टी की हुई थी तो उनके देशों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था।
[[2006]] में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया।
 
23 वर्षीय खिलाड़ी को उस वक्त किसी ने ढाढस बंधाने का साहस नहीं किया। कहा जाता है कि भारत में [[1998]] से राज्यों द्वारा स्पांसर किए गए डोपिंग प्रोग्राम चल रहें हैं, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें और पदक जीत सकें।
 
[[24 दिसम्बर]], [[2002]] भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की कि अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक मेडिकल कमीशन ने सुनीता के डोप टेस्ट के आरोप वापस ले लिए हैं। सुनीता के लिए यह नए वर्ष के उपहार जैसा ही था जो कुछ समय पूर्व ही आ गया था।
 
जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में वह [[दिन]] कोई नहीं भूल सकता जब सुनीता सलवान कमेटी के सामने अपना मामला रखने आई थी। मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें बचाकर ले जाना पड़ा था। ड्रग टेस्ट में विफल होना पहले पृष्ठ की सुर्ख़ियों में रहा था। लेकिन अंत में सुनीता इस मामले से बच निकलने में कामयाब रही। वह अपने पदक भी बचा सकी। कुवैत में ओलंपिक कांउसिल ऑफ एशिया के पास उनके पदक रख दिये गए थे, जो उन्हें अन्त में वापस दे दिए गए।
 
अंत में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की डोपिंग और बायो कैमिस्ट्री कमेटी ने पाया कि सियोल की टेस्ट लेबोरेटरी में कुछ गड़बड़ियां थीं। इस केस को खत्म करने का निर्णय लिया गया। अत: घोषित किया गया कि उनके द्वारा बनाए गए रिकार्ड भी ज्यों के त्यों उन्ही के नाम रहेंगे।
 
एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला मौका था जब डोपिंग टैस्ट का फैसला बदला गया हो। भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने भी सुनीता को बचाने का प्रयास किया था।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/sunita-rani-biography-in-hindi-language/ |title=सुनीता रानी का जीवन परिचय |accessmonthday=07 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
 
कई वर्षों के अन्तराल के पश्चात सुनीता रानी ट्रैक पर पुन: लौटी। [[मई]], [[2005]] में [[पंजाब]] पुलिस की सुनीता ने ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एथलेटिक सर्किट मीट में 10000 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक हासिल किया। उसने यह दौड़ 34:57:42 सेकंड में पूरी करके पदक प्राप्त किया।
==उपलब्धियां==
==उपलब्धियां==
#[[2000]] में सुनीता ने बुसान एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
#डोला बनर्जी [[भारत]] की ऐसी महिला तीरंदाज़ हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भाग लेने के लिए क्वालीफाई किया था।
#बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता।
#वर्ष [[2005]] में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
#[[मई]] 2005 में ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट में उन्होंने 10000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
#[[2006]] में टर्की के अंतल्य में हुए सैफ खेलों में डोला ने स्वर्ण पदक जीता।
#[[जून]] [[2005]] में सुनीता रानी ने 1500 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
#[[2006]] में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://h1.okiron.com/?content=Arjun Arjun]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:खेलकूद कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:महिला खिलाड़ी]][[Category:मैदानी स्पर्धा]]
[[Category:खेलकूद कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:महिला खिलाड़ी]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

11:11, 9 अक्टूबर 2016 का अवतरण

दीपिका
डोला बनर्जी
डोला बनर्जी
पूरा नाम डोला बनर्जी
जन्म 2 जून, 1980
जन्म भूमि झारखंड
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र तीरंदाज़ी
पुरस्कार-उपाधि 'अर्जुन पुरस्कार', (2005), '18वां गोल्डन एरो ग्रैंड पिक्स टूर्नामेंट' (2005), 'सैफ खेल', (2006)
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख लिम्बा राम, जयन्त तालुकदार
अन्य जानकारी तीरंदाज़ी में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी होने का श्रेय डोला बनर्जी को जाता है। इन्हें वर्ष 2005 में 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया हैं।

डोला बनर्जी (अंग्रेज़ी: Dola Banerjee, जन्म- 2 जून, 1980, झारखंड), भारत की प्रथम तीरंदाज़ महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। उन्होंने 18वां ‘गोल्डन एरो ग्रैंड प्रिक्स टूर्नामेंट’ जीता। डोला को वर्ष 2005 में 'अर्जुन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया हैं।

परिचय

डोला बनर्जी का जन्म 2 जून, 1980 को झारखंड में हुआ था। भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने तीरंदाज़ी में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी होने का श्रेय डोला बनर्जी को जाता है। भारत में तीरंदाज़ी को मुख्य रूप से पुरुषों का खेल समझा जाता है, लेकिन डोला बनर्जी ने इस खेल में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता भी अर्जित की।

डोला बनर्जी ने तीर से निशानेबाजी की शिक्षा टाटा आर्चरी अकादमी, जमशेदपुर से प्राप्त की। उन्होंने तीरंदाज़ी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र सफल खिलाड़ी होने का नाम कमाया है। न्यूयार्क में हुई 42वीं ‘विश्व आउटडोर टार्गेट आर्चरी चैंपियनशिप’ में अपने कुशल प्रयास से वह सफल रहीं और डोला भारत की प्रथम तीरंदाज़ महिला बन गईं तथा ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए क्वालीफाई कर लिया।[1]

पुरस्कार

उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2005 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया।
टूर्नामेंट

वर्ष 2005 में टर्की के अंतल्य में हुआ 18वां गोल्डन एरो ग्रैंड पिक्स टूर्नामेंट जीतकर डोला ने इतिहास रच डाला। वहाँ उन्होंने उक्रेनिया की तीसरी सीड खिलाड़ी तात्याना डोरोखोवा को हरा दिया।

2006 में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया।

उपलब्धियां

  1. डोला बनर्जी भारत की ऐसी महिला तीरंदाज़ हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भाग लेने के लिए क्वालीफाई किया था।
  2. वर्ष 2005 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
  3. 2006 में टर्की के अंतल्य में हुए सैफ खेलों में डोला ने स्वर्ण पदक जीता।
  4. 2006 में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया।
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डोला बनर्जी का जीवन परिचय (हिंदी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 09 अक्टूबर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख