"दलपतराम": अवतरणों में अंतर
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* | *दलपतराम (जन्म- 1820 ई ; मृत्यु- 1898 ई.) को '''आधुनिक काल''' का प्रथम गुजराती कवि माना-जाता है। | ||
*दलपतराम का पूरा नाम '''दलपतराम डाह्या भाई त्रिवेदी''' था। | |||
*दलपतराम का जन्म श्रीमाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। | *दलपतराम का जन्म श्रीमाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। | ||
*दलपतराम की शिक्षा प्राचीन पद्धति से स्वामी नारायणी साधु देवानन्द के आश्रम में हुई। | *दलपतराम की शिक्षा प्राचीन पद्धति से स्वामी नारायणी साधु देवानन्द के आश्रम में हुई। | ||
*स्वामी नारायणी से दलपतराम ने [[ब्रजभाषा]] और [[संस्कृत]] का तथा पिंगल और अलंकारशास्त्र का अध्ययन किया था। | *स्वामी नारायणी से दलपतराम ने [[ब्रजभाषा]] और [[संस्कृत]] का तथा पिंगल और अलंकारशास्त्र का अध्ययन किया था। | ||
*दलपतराम कुछ समय बाद फार्बस नामक एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आए, जो 'गुजरात का इतिहास' के लिए सामग्री एकत्र कर रहा था। काव्य प्रतिभा दलपतराम में पहले से ही थी। फार्बस के सम्पर्क से उन्हें आगे आने का अवसर मिला। | *दलपतराम कुछ समय बाद फार्बस नामक एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आए, जो 'गुजरात का इतिहास' के लिए सामग्री एकत्र कर रहा था। काव्य प्रतिभा दलपतराम में पहले से ही थी। फार्बस के सम्पर्क से उन्हें आगे आने का अवसर मिला। | ||
* | *दलपतराम 'गुजरात वर्नाक्लूयर सोसाइटी' के मंत्री बने और वर्षों तक उसके मुख्य पत्र 'बुद्धिप्रकाश' का सम्पादन करते रहे। अपने जीवन में उन्हें जनता और सरकार से अनेक सम्मान प्राप्त होते रहे। लोग उन्हें '''कवीश्वर''' कहते थे। | ||
*दलपतराम की प्रमुख गुजराती कृतियाँ हैं: | *दलपतराम की प्रमुख गुजराती कृतियाँ हैं: | ||
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12:32, 19 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

Dalpatram
- दलपतराम (जन्म- 1820 ई ; मृत्यु- 1898 ई.) को आधुनिक काल का प्रथम गुजराती कवि माना-जाता है।
- दलपतराम का पूरा नाम दलपतराम डाह्या भाई त्रिवेदी था।
- दलपतराम का जन्म श्रीमाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- दलपतराम की शिक्षा प्राचीन पद्धति से स्वामी नारायणी साधु देवानन्द के आश्रम में हुई।
- स्वामी नारायणी से दलपतराम ने ब्रजभाषा और संस्कृत का तथा पिंगल और अलंकारशास्त्र का अध्ययन किया था।
- दलपतराम कुछ समय बाद फार्बस नामक एक ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में आए, जो 'गुजरात का इतिहास' के लिए सामग्री एकत्र कर रहा था। काव्य प्रतिभा दलपतराम में पहले से ही थी। फार्बस के सम्पर्क से उन्हें आगे आने का अवसर मिला।
- दलपतराम 'गुजरात वर्नाक्लूयर सोसाइटी' के मंत्री बने और वर्षों तक उसके मुख्य पत्र 'बुद्धिप्रकाश' का सम्पादन करते रहे। अपने जीवन में उन्हें जनता और सरकार से अनेक सम्मान प्राप्त होते रहे। लोग उन्हें कवीश्वर कहते थे।
- दलपतराम की प्रमुख गुजराती कृतियाँ हैं:
- मांगलिक गीतावली,
- राजविद्याभ्यास,
- हुन्न रखाननी,
- संपलक्ष्मीसंवाद,
- फार्बस विरह,
- हरिलीलामृत आदि।
- हिन्दी में भी उन्होंने कई रचनाएँ लिखी। उनमें 'ज्ञान चातुरी', 'श्रवणाख्यान' तथा 'पुरुषोत्तम चरित' मुख्य हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 374।
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