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'''कस्सप बुद्ध''' [[पालि]] परम्परा में परिगणित चौबीसवें बुद्ध थे। [[संस्कृत]] परम्परा में कस्सप बुद्ध को 'कश्यप बुद्ध' के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म [[सारनाथ]] के इसिपतन भगदाय में हुआ था, जहाँ [[गौतम बुद्ध]] ने वर्षों बाद अपना पहला उपदेश दिया था। 'काश्यप' गोत्र में उत्पन्न कस्सप के [[पिता]] का नाम ब्रह्मदत्त और [[माता]] का नाम धनवती था। उनके जन्मकाल में [[वाराणसी]] में राजा किकी राज्य करते थे। इनकी धर्मपत्नी का नाम सुनन्दा तथा पुत्र का नाम विजितसेन था।
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'''कस्सप बुद्ध''' [[पालि]] परम्परा में परिगणित चौबीसवें बुद्ध थे। [[संस्कृत]] परम्परा में कस्सप बुद्ध को 'कश्यप बुद्ध' के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म [[सारनाथ]] के [[इसिपतन]] भगदाय में हुआ था, जहाँ [[गौतम बुद्ध]] ने वर्षों बाद अपना पहला उपदेश दिया था। 'काश्यप' गोत्र में उत्पन्न कस्सप के [[पिता]] का नाम ब्रह्मदत्त और [[माता]] का नाम धनवती था। उनके जन्मकाल में [[वाराणसी]] में राजा किकी राज्य करते थे। इनकी धर्मपत्नी का नाम सुनन्दा तथा पुत्र का नाम विजितसेन था।
  
*एक लम्बा गृहस्थ जीवन भोगने के बाद कस्सप बुद्ध ने संन्यास का मार्ग अपना लिया था।
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*एक लम्बा गृहस्थ जीवन भोगने के बाद कस्सप बुद्ध ने सन्न्यास का मार्ग अपना लिया था।
 
*सम्बोधि के पूर्व उनकी धर्मपत्नी ने उन्हें खीर खिलाई और 'सोम' नामक एक व्यक्ति ने आसन के लिए घास दिये थे। उनका बोधि वृक्ष एक [[वट]] का पेड़ था।
 
*सम्बोधि के पूर्व उनकी धर्मपत्नी ने उन्हें खीर खिलाई और 'सोम' नामक एक व्यक्ति ने आसन के लिए घास दिये थे। उनका बोधि वृक्ष एक [[वट]] का पेड़ था।
*कस्सप बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसिपतन में दिया था। तिस्स और भारद्वाज उनके प्रमुख शिष्य थे तथा अतुला और उरुवेला उनकी प्रमुख शिष्याएँ थीं।
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*कस्सप बुद्ध ने अपना पहला उपदेश [[इसिपतन]] में दिया था। तिस्स और भारद्वाज उनके प्रमुख शिष्य थे तथा अतुला और उरुवेला उनकी प्रमुख शिष्याएँ थीं।
 
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*कस्सप के काल में बोधिसत्त का जन्म एक [[ब्राह्मण]] के रुप में हुआ था, जिनका नाम ज्योतिपाल था। कस्सप का परिनिर्वाण [[काशी]] के सेतव्य उद्यान में हुआ था।
 
*[[फ़ाह्यान]] और [[ह्वेनसांग]] ने भी कस्सप बुद्ध के तीर्थ स्थलों की चर्चा की है।
 
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13:53, 2 मई 2015 के समय का अवतरण

कस्सप बुद्ध पालि परम्परा में परिगणित चौबीसवें बुद्ध थे। संस्कृत परम्परा में कस्सप बुद्ध को 'कश्यप बुद्ध' के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म सारनाथ के इसिपतन भगदाय में हुआ था, जहाँ गौतम बुद्ध ने वर्षों बाद अपना पहला उपदेश दिया था। 'काश्यप' गोत्र में उत्पन्न कस्सप के पिता का नाम ब्रह्मदत्त और माता का नाम धनवती था। उनके जन्मकाल में वाराणसी में राजा किकी राज्य करते थे। इनकी धर्मपत्नी का नाम सुनन्दा तथा पुत्र का नाम विजितसेन था।

  • एक लम्बा गृहस्थ जीवन भोगने के बाद कस्सप बुद्ध ने सन्न्यास का मार्ग अपना लिया था।
  • सम्बोधि के पूर्व उनकी धर्मपत्नी ने उन्हें खीर खिलाई और 'सोम' नामक एक व्यक्ति ने आसन के लिए घास दिये थे। उनका बोधि वृक्ष एक वट का पेड़ था।
  • कस्सप बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसिपतन में दिया था। तिस्स और भारद्वाज उनके प्रमुख शिष्य थे तथा अतुला और उरुवेला उनकी प्रमुख शिष्याएँ थीं।
  • कस्सप के काल में बोधिसत्त का जन्म एक ब्राह्मण के रुप में हुआ था, जिनका नाम ज्योतिपाल था। कस्सप का परिनिर्वाण काशी के सेतव्य उद्यान में हुआ था।
  • फ़ाह्यान और ह्वेनसांग ने भी कस्सप बुद्ध के तीर्थ स्थलों की चर्चा की है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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