अश्वनी भाटिया (चर्चा | योगदान) |
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| class="headbg20" style="border:1px solid #FBE773;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg19" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | | class="headbg20" style="border:1px solid #FBE773;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg19" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div> | ||
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− | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | + | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुराण]]'''</div> |
− | <div id="rollnone"> [[चित्र: | + | <div id="rollnone"> [[चित्र:Puran-1.png|right|150px|पुराण|link=पुराण]] </div> |
− | * | + | *पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को '''मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण''' भी कहा जा सकता है। |
− | + | *पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी '''भाषा सरल और कथा कहानी''' की तरह है। | |
− | * | + | *पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। [[वेदव्यास]] जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की। |
− | * | + | *पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना। |
− | * | + | *संसार की रचना करते समय [[ब्रह्मा]] जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक '''अरब श्लोक''' थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। '''[[पुराण|.... और पढ़ें]]''' |
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| class="bgsanskrati2" style="border:1px solid #fbe773;padding:10px;" valign="top" | '''चयनित लेख''' | | class="bgsanskrati2" style="border:1px solid #fbe773;padding:10px;" valign="top" | '''चयनित लेख''' |
09:58, 8 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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