गोपथ ब्राह्मण
गोपथ ब्राह्मण अथर्ववेद का एक मात्र ब्राह्मण ग्रंथ है। 'ऋषि गोपथ' द्वारा इस ग्रन्थ की रचना की गई थी। गोपथ ब्राह्मण में अग्निष्टोम, अश्वमेध जैसे यज्ञों के विधि-विधान के अतिरिक्त ऊँकार तथा गायत्री की भी महिमा का वर्णन है। कैवल्य की अवधारण का उल्लेख इसी ब्राह्मण में है।
अथर्ववेद का एकमात्र उपलब्ध ब्राह्मणग्रन्थ गोपथ-ब्राह्मण है। सुदीर्घकाल तक इसके शाखा-सम्बन्ध के विषय में अनिश्चय की स्थिति रही, क्योंकि अथर्ववेद की नौ शाखाओं में से शौनकीया शाखा विशेष प्रसिद्ध और प्रचलित रही है। गोपथ-ब्राह्मण में शौनकीया शाखा के मन्त्रों का भी निर्देश प्रतीकों के द्वारा किया गया है, इसलिए इस शाखा से भी इसका सम्बद्ध मान लिया गया था। अब गोपथ-ब्राह्मण का सम्बन्ध पैप्पलाद शाखा से सुनिश्चित हो गया है, क्योंकि पतंजलि ने व्याकरण-महाभाष्य में अथर्ववेद के प्रथम मन्त्र के रूप में 'शन्नो देवीरभिष्टये' प्रभृति मन्त्र का उल्लेख किया है जो पैप्पलादशाखीय अथर्ववेद में ही प्राप्त होता है। इसका विवरण गोपथ-ब्राह्मण में भी है। वेङ्कटमाधव की 'ऋग्वेदानुक्रमणी' से भी इसकी पुष्टि होती है-
ऐतरेयमस्माकं पैप्पलादमथर्वणाम्। तृतीयं तित्तिरिप्रोक्तं जानन् वृद्ध इहोच्यते[1]
विषय सूची
- 1 गोपथ-ब्राह्मण का नामकरण
- 2 गोपथ-ब्राह्मण का विभाग
- 3 गोपथ-ब्राह्मण का आदान
- 4 अथर्ववेदीय संहितेतर
- 5 गोपथ-ब्राह्मण में प्रतिपादित विषयवस्तु
- 6 गोपथ-ब्राह्मण में याग-मीमांसा
- 7 गोपथ-ब्राह्मण में निरूपित यागेतर आध्यात्मिक तत्त्व-सम्पत्
- 8 सृष्टि-प्रक्रिया और आचार-दर्शन
- 9 निर्वचन-प्रक्रिया
- 10 गोपथ-ब्राह्मण की अन्य विशेषताएँ
- 11 संस्करण
- 12 टीका टिप्पणी और संदर्भ
- 13 संबंधित लेख
गोपथ-ब्राह्मण का नामकरण
गोपथ-ब्राह्मण के नामकरण के विषय में सामान्यत: चार प्रकार के मत उपलब्ध हैं-
- ऋषि गोपथ इस ब्राह्मण के प्रवक्ता हैं। उन्हीं के नाम से इस ग्रन्थ की प्रसिद्धि हुई। स्मरणीय है कि शौनकीय अथर्ववेदी के चार सूक्तों[2] के द्रष्टा गोपथ माने जाते हैं। ऐतरेय ब्राह्मण, कौषीतकि ब्राह्मण और तैत्तिरीय ब्राह्मण प्रभृति अन्य ब्राह्मण-ग्रन्थों की प्रसिद्धि भी प्रवचनकर्ता आचार्यो के नाम पर है।
- 'गोपथ' शब्द यहाँ 'गोप्ता' से निष्पन्न माना गया है। अथर्वाङ्गिरसो की प्रसिद्धि यज्ञ के गोप्ता (रक्षक) रूप में है- 'अथर्वाङ्गिरसो हि गोप्तार:'।[3] 'गुप्' धातु में 'अथ' के योग से 'गोपथ' शब्द व्युत्पन्न हो जाता है। इन्हीं गोपथों से सम्बद्ध रहा है यह ब्राह्मणग्रन्थ।
- शतपथ ब्राह्मण से गोपथ-ब्राह्मण ने पुष्कल सामग्री ग्रहण की है, इसलिए नामकरण में भी यहाँ उसी परम्परा का अनुवर्तन हुआ। 'शतपथ' के नामकरण में 100 अध्यायों की सत्ता हेतुभूत थी- और 'गोपथ', जिसका अर्थ है इन्द्रियाँ और जिनकी संख्या 11 है, में इन्द्रियों के साम्य से 11 प्रपाठक हैं। इस प्रकार संख्या-साम्य ही गोपथ के नामकरण में निमित्तभूत है।
- डॉ. सूर्यकान्त ने एक अपना मत व्यक्त किया है जो ऋग्वेद के 'सरमा-पणि' संवाद-सूक्त पर आधृत है।[4] उस सूक्त में कहा गया है कि देव-शुनी सरमा से प्राप्त सूचना के आधार पर इन्द्र ने पणियों के द्वारा छिपाई हुई गायों का उद्धार किया था। इन्द्र के इस साहस-कृत्य में अङ्गिरसों ने उनका सहयोग किया था। गायों के पथ को ऋषि अङ्गिरस् जानते थे, और यह उनका ब्राह्मण है।
इन सभी मतों में अंशत: कुछ-न-कुछ उपादेय हो सकता है, किन्तु अधिक विश्वसनीय प्रथम मत ही प्रतीत होता है कि ऋषि गोपथ के प्रवक्ता होने के कारण इस ब्राह्मण का ऐसा नामकरण हुआ।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऋग्वेदानु. 8.1.13
- ↑ शौनकीय अथर्ववेदी 19.47-50
- ↑ गोपथ ब्राह्मण 1.1.13
- ↑ अथर्ववेद एवं गोपथब्राह्मण (ब्लूमफील्ड-कृत), हिन्दी अनुवाद, भूमिका, 1964 ई.पृष्ठ 9,
- ↑ पृष्ठ. 213-220
- ↑ ब्लूमफील्ड पृष्ठ 213
- ↑ 13-16 तक
- ↑ 17 से 26 तक
- ↑ 2-4
- ↑ 5-6
- ↑ 7-12
- ↑ 13-15
- ↑ 16-23
- ↑ 1 से 6
- ↑ 7-11
- ↑ 12-19
- ↑ 20-23
- ↑ 1-5
- ↑ 6-7
- ↑ 8
- ↑ 9-10
- ↑ पैप्पलाद.संहिता. 5.28.1
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.5.15
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.5.23
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.13
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण1.1.28
- ↑ अथर्ववेद 1.2.9
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.9
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.11
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.16
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.18
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.18
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.5.7
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.5.10
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण1.1.22
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.23
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.27
- ↑ गोपथ-ब्राह्म ण1.1.30-33
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण1.1.38
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण1.1.30
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1-6
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.9
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.4
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.3.19
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.21
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.7
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.10
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.8
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.28
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.1.25-27
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.8
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.10
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.2.10
- ↑ गोपथ-ब्राह्मण 1.3.16
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