तिब्बत का पठार

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तिब्बत का पठार मध्य एशिया में स्थित है। यह एक विशाल पठार है, जो दक्षिण में हिमालय पर्वत श्रृंखला से लेकर उत्तर में तकलामकान रेगिस्तान तक फैला हुआ है। तिब्बत का पठार एक दीर्घ वृत्त आकार में समुद्र तल से लगभग चार किलोमीटर की ऊँचाई पर 45 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। पठार के पश्चिमोत्तरी भाग में 5000 मीटर से अधिक ऊँचाई वाला चान्गतंग इलाक़ा है, जो भारत के दक्षिण-पूर्वी लद्दाख क्षेत्र तक फैला हुआ है।

  • यह पठार ग्रीष्म ऋतु में गर्म हो जाता है और इसका तापमान निकटवर्ती क्षेत्रों से दो से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक होता है। इस प्रकार लगभगपाँच किलीमीटर की ऊँचाई पर तिब्बत का पठार तप्त होकर हीटर का कार्य करता है। इस कारण से वायु ऊपर की ओर उठती है।
  • इसमें चीन द्वारा नियंत्रित बोड स्वायत्त क्षेत्र, चिंग हई, पश्चिमी सीश्वान, दक्षिण-पश्चिमी गांसू और उत्तरी यून्नान क्षेत्रों के साथ-साथ भारत का लद्दाख आता है।
  • उत्तर-से-दक्षिण तक तिब्बत का पठार 1000 किलोमीटर लम्बा और पूर्व-से-पश्चिम तक 2500 किलोमीटर चौड़ा है।
  • यहाँ की औसत ऊँचाई समुद्र से 4500 मीटर और विश्व के 8000 मीटर से ऊँचे सभी 14 पर्वत इसी क्षेत्र में या इसे इर्द-गिर्द पाए जाते हैं।
  • तिब्बत का पठार कभी-कभी "दुनिया की छत" कहकर भी पुकारा जाता है।
  • यह पठार महान् पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। उत्तर में कुनलुन पर्वत श्रृंखला है, जो इस पठार के और तारिम द्रोणी के बीच है। पूर्वोत्तर में चिलियन पर्वतमाला इसे गोबी रेगिस्तान से विभाजित करती है।
  • पूर्व और दक्षिण-पूर्व में खुले पठार की बजाए जंगलों से ढकी घाटियाँ हैं, जहाँ से एशिया की बहुत सी प्रमुख नदियाँ शुरू होती हैं, जैसे- सालवीन नदी, मीकांग नदी और यांग्त्सीक्यांग। भारत की महत्वपूर्ण ब्रह्मपुत्र नदी भी दक्षिण तिब्बत से शुरू होती है।
  • पश्चिम की ओर इस पठार और उत्तरी कश्मीर के बीच विशाल कराकोरम पर्वत आते हैं।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि भारत का लद्दाख भी इसी पठार पर स्थित है और जब कोई दिल्ली से लद्दाख जाता है तो वास्तव में वह पूरी हिमालय पर्वत श्रृंखला को पार कर के तिब्बत के पठार पर पहुँच जाता है।


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