गारो पहाड़ी

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गारो पहाड़ी भारत के असम राज्य में स्थित है। यहाँ इसी नाम का एक ज़िला भी है। इस पहाड़ी का नामकरण तिब्बती तथा बर्मी उत्पत्ति की जनजाति गारो पर हुआ है और यही यहाँ मुख्यत: आबाद हैं। गारो जनजाति के लोगों के बाल घुँघराले होते हैं तथा ये आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं।

  • गारो पहाड़ी 250 9' से 260 1' उत्तरी अक्षांश तथा 890 49' से 910 2' पूर्वी देशांतर पर स्थित है।
  • इस पहाड़ी का क्षेत्रफल लगभग 3,119 वर्ग मील है।
  • इसके पूर्व में खासी और जयंतिया पहाड़ियाँ, उत्तर में ग्वालपाड़ा ज़िला और पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में बंग्लादेश है।
  • गारो पहाड़ी की सर्वाधिक ऊँचाई 4,652’ (नोकरेक चोटी की) है, जो असम श्रेणी के बिल्कुल पश्चिम में, तुर्रा स्टेशन के पूर्व में है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियों द्वारा जल निकासी होती है; इनमें मुख्य सोमेश्वरी नदी है।
  • गारो ज़िले का अधिकांश भाग क्रिटेशियस प्रणाली के बालुकाप्रस्तर तथा काँग्लोमरेट से बना हुआ नीस चट्टान का है।
  • यहाँ की कृषि स्थान परिवर्तन करने वाली है। जंगल का कुछ भाग जला दिया जाता और वहीं फसलें उगाई जाती हैं। कुछ साल के बाद फिर दूसरे भागों को इसी प्रकार साफ करके कृषि की जाती है।
  • जंगलों में साल और बाँस के पेड़ बहुतायत से मिलते हैं। यहाँ लाख का उत्पादन भी होता है। कृषि उपज में धान, कपास, सरसों, जूट, गन्ना तथा तंबाकू मुख्य हैं।
  • आवागमन के साधनों का अभाव है। यहाँ तेल, चूना पत्थर तथा कोयले के निक्षेप मिलते हैं। कोयले के निक्षेप तक रेलमार्ग गया हुआ है। सभी भागों में बैलगाड़ी के मार्ग हैं।
  • यहाँ का मुख्य गाँव तुर्रा, गारोबाधा तथा फूलबाड़ी है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिंह, राजेंद्रप्रसाद। गारो (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 मई, 2014।

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