घोड़ा
घोड़ा
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जगत | जीव-जंतु |
संघ | कॉर्डेटा (Chordata) |
वर्ग | मेमेलिया (Mammalia) |
गण | अर्टिओडाक्टायला (Artiodactyla) |
कुल | ईक्यूडी (Equidae) |
जाति | ईक्वस (Equus) |
प्रजाति | ई. फेरस (E. ferus) |
द्विपद नाम | ईक्वस फेरस (Equus ferus) |
विशेष | विवाहोत्सव और धार्मिक जलूसों में सजे-धजे घोड़ों को देखकर उत्साह का संचार हो जाता है। गुरु गोविन्द सिंह जयंती, महाराणा प्रताप जयंती और रामनवमी के शुभ अवसर पर सुसज्जित अश्व भारतीय जनमानस में प्राचीन गौरव को जागृत कर वीरत्व को उत्पन्न करते हैं। |
अन्य जानकारी | हाथी और ऊँट की भांति घोड़ा भी उपयोगी पशु है। संस्कृत में इसे 'अश्व' और अंग्रेज़ी में 'हॉर्स' (Horse) कहा जाता है। घोड़ा मनुष्य से संबंधित संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी न किसी रूप में सेवा की है। |
घोड़ा (अंग्रेज़ी: Horse) मनुष्य से संबंधित संसार का सबसे प्राचीन पालतू स्तनपोषी प्राणी है, जिसने अज्ञात काल से मनुष्य की किसी न किसी रूप में सेवा की है। घोड़ा ईक्यूडी[1] कुटुंब का सदस्य है। इस कुटुंब में घोड़े के अतिरिक्त वर्तमान युग का गधा, ज़ेबरा, भोट-खर, टट्टू, घोड-खर एवं खच्चर भी हैं। आदिनूतन युग[2] के ईयोहिप्पस[3] नामक घोड़े के प्रथम पूर्वज से लेकर आज तक के सारे पूर्वज और सदस्य इसी कुटुंब में सम्मिलित हैं।
विषय सूची
परिचय
घोड़े का वैज्ञानिक नाम ईक्वस[4] लैटिन शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ घोड़ा है, परंतु इस कुटुंब के दूसरे सदस्य ईक्वस जाति की ही दूसरी छ: उपजातियों में विभाजित है। अत: केवल ईक्वस शब्द से घोड़े को अभिहित करना उचित नहीं है। आज के घोड़े का सही नाम ईक्वस कैबेलस[5] है। इसके पालतू और जंगली संबंधी इसी नाम से जाने जाते हैं। जंगली संबंधियों से भी यौन संबंध स्थापित करने पर बाँझ संतान नहीं उत्पन्न होती। कहा जाता है, आज के युग के सारे जंगली घोड़े उन्हीं पालतू घोड़ों के पूर्वज हैं जो अपने सभ्य जीवन के बाद जंगल को चले गए और आज जंगली माने जाते हैं। यद्यपि कुछ लोग मध्य एशिया के पश्चिमी मंगोलिया और पूर्वी तुर्किस्तान में मिलने वाले ईक्वस प्रज्वेलस्की[6] नामक घोड़े को वास्तविक जंगली घोड़ा मानते हैं, तथापि वस्तुत: यह इसी पालतू घोड़े के पूर्वजों में से है।