तेंदुआ

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तेंदुआ, पेंच राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश

तेंदुआ मूल रूप से अफ़्रीका और दक्षिण एशिया पाया जाना वाला स्तनधारी जीव है। संसार की 37 वन्य बिल्ली जातियों में से सबसे सफल वन्य बिड़ाल के रूप में प्रसिद्ध तेंदुए ने विभिन्न वास स्थलों में निवास करने और मनुष्य के साथ रहने के लिए अपने आपको ढाल लिया है। वह बहुत ही चालाक, रहस्यमयी, मौक़ापरस्त और फुर्तीला रात्रिचर परभक्षी है जो छोटे वन्य जीवों और पालतू पशुओं का शिकार करता है। चूंकि उसके आहार बनने वाले जीव गाँवो और कस्बों के बाहरी इलाकों में अधिक पाए जाते हैं, वह भी गाँवों और कस्बों के इर्द-गिर्द मंडराता रहता है। वह अपने शिकार को मुँह में दबाए आसानी से पेड़ पर चढ़ सकता है। उसकी दृष्टि और सुनने की शक्ति बहुत ही अच्छी होती है।

भार व लम्बाई

नर तेंदुआ 2.15 मीटर लंबे होते हैं, जबकि मादाएं कुछ छोटी हैं, लगभग 1.85 मीटर की होती है। नर और मादा की कंधे तक की ऊँचाई 50-75 सेंटीमीटर होती है। नर का वजन लगभग 70 किलो होता है और मादाओं का 50 किलो। तेंदुए लाल, भूरे रंग के होते हैं। उनके शरीर पर काले धब्बों का गुच्छा होता है। बाघ के ही समान तेंदुआ भी अकेले रहना पसंद करता है।

प्रजनन

हर तेंदुए का अपना अलग क्षेत्र होता है। तेंदुआ लगभग 3 साल का होने पर प्रजनन करने योग्य बन जाता है। सामान्यतः एक बार में दो शावक पैदा होते हैं। गर्भाधान काल 94 से 98 दिनों का होता है।

रहस्यमयी जीव

छोटे हिरण, गीदड़, बंदर, कुत्ते, भेड़ और छोटे मवेशी कान्हा के तेंदुओं की उदरपूर्ति के साधन बनते हैं। तेंदुए की आयु लगभग 12-16 वर्ष की होती है। तेंदुए रहस्यमयी जीव होते हैं जो विरले ही दिखते हैं।

निवास स्थान

तेंदुओं के पाये जाने वाले उचित स्थान बीजादादर, नकटीघाटी, घुघरावारे, कोयलापत्थर (कान्हा परिक्षेत्र) बंजरी, संदूकखोल तालाब, डिगडोला घाट, नकटीघाटी बांघ, बंदरीछापर तालाब (किसली परिक्षेत्र) बिशनपुरा, खापा, अलगीदादर, मुक्की (मुक्की परिक्षेत्र) चकरवाह, वन विश्रामगृह के पीछे, लडुआ (सूपखार परिक्षेत्र) पोंगापानी, कटोलडीह, अडवार, खमोड़ीदादर, सरईटोला (भैंसानघाट परिक्षेत्र) आदि हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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