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'''स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय''' [[दिल्ली]] के [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] में स्‍थित है। लाल क़िले के उत्तर पूर्व में स्‍थित [[सलीमगढ़]] का निर्माण [[इस्लामशाह सूरी|इस्‍लाम शाह सूर]] (1545-1554 ई.) द्वारा किया गया था, जिसे सलीम शाह के नाम से भी जाना जाता है और वह [[शेरशाह सूरी|शेरशाह सूर]] (1540-1545 ई.) का पुत्र और उत्‍तराधिकारी था। यह 1552 में सलीम शाह की मृत्‍यु के दौरान अधूरा ही बन पाया था। इसकी योजना मोटे तौर पर लगभग 1 कि.मी. की दीवारों के घेरे के साथ अर्धवृत्‍ताकार है और यह मूल रूप से [[यमुना नदी]] के पश्‍चिमी तट के समीप एक द्वीपनुमा स्‍थल पर स्‍थित था।  
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==विशेषताएँ==
 
==विशेषताएँ==
 
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* शाहनवाज़ खान, प्रेम कुमार सहगल, गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों तथा इंडियन नेशनल आर्मी के सैकड़ों अन्‍य सैनिकों को कैद किए जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाली दो बैरकों तथा अन्‍य बैरकों को स्‍मारक के रूप में रखा जा रहा है।  
 
* शाहनवाज़ खान, प्रेम कुमार सहगल, गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों तथा इंडियन नेशनल आर्मी के सैकड़ों अन्‍य सैनिकों को कैद किए जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाली दो बैरकों तथा अन्‍य बैरकों को स्‍मारक के रूप में रखा जा रहा है।  
 
* यह स्‍मारक मूल रूप से 1916 ई. में ब्रिटिश सेना द्वारा बनाया गया एक गार्ड रूम था। लाल क़िले में हुए ऐतिहासिक आई.एन.ए. मुकदमे के दौरान अनेक कैदियों को यहॉं बन्‍द रखा गया था।
 
* यह स्‍मारक मूल रूप से 1916 ई. में ब्रिटिश सेना द्वारा बनाया गया एक गार्ड रूम था। लाल क़िले में हुए ऐतिहासिक आई.एन.ए. मुकदमे के दौरान अनेक कैदियों को यहॉं बन्‍द रखा गया था।
* भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने [[भारत छोड़ो आंदोलन]] की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर [[1992]] में संरक्षण और परिरक्षण के उद्देश्‍य से इन बैरकों को भारतीय सेना से ले लिया और आई.एन.ए. के वीरों को समर्पित किया। कर्नल प्रेम कुमार द्वारा पहनी गई आई.एन.ए. की वर्दी, कर्नल गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों के घुड़सवारी के जूते और कोट के बटन, [[सुभाष चंद्र बोस|नेताजी सुभाषचन्‍द्र बोस]] तथा अन्‍य व्‍यक्‍तियों के छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं।  
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* [[भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग|भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण]] ने [[भारत छोड़ो आंदोलन]] की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर [[1992]] में संरक्षण और परिरक्षण के उद्देश्‍य से इन बैरकों को भारतीय सेना से ले लिया और आई.एन.ए. के वीरों को समर्पित किया। कर्नल प्रेम कुमार द्वारा पहनी गई आई.एन.ए. की वर्दी, कर्नल गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों के घुड़सवारी के जूते और कोट के बटन, [[सुभाष चंद्र बोस|नेताजी सुभाषचन्‍द्र बोस]] तथा अन्‍य व्‍यक्‍तियों के छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं।  
 
* एक दीर्घा में 1995 में किले के अन्‍दर भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई में निकली सामग्रियॉं तथा खुदाई के छायाचित्र भी प्रदर्शित है।<ref>{{cite web |url=http://asi.nic.in/asi_museums_delhi_salimgarh_hn.asp|title=स्‍वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, लाल किला (नई दिल्‍ली) |accessmonthday=9 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण |language=हिन्दी }}</ref>   
 
* एक दीर्घा में 1995 में किले के अन्‍दर भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई में निकली सामग्रियॉं तथा खुदाई के छायाचित्र भी प्रदर्शित है।<ref>{{cite web |url=http://asi.nic.in/asi_museums_delhi_salimgarh_hn.asp|title=स्‍वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, लाल किला (नई दिल्‍ली) |accessmonthday=9 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण |language=हिन्दी }}</ref>   
  

10:51, 11 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, दिल्ली
स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, दिल्ली
विवरण लाल क़िले में स्‍थित संग्रहालय के उत्तर पूर्व में स्‍थित सलीमगढ़ का निर्माण इस्‍लाम शाह सूर (1545-1554 ई.) द्वारा किया गया था, जिसे सलीम शाह के नाम से भी जाना जाता है।
राज्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
नगर दिल्ली
निर्माण 16वीं शताब्दी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1992 में संरक्षण और परिरक्षण के उद्देश्‍य से इन बैरकों को भारतीय सेना से ले लिया और आई.एन.ए. के वीरों को समर्पित किया।
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स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय दिल्ली के लाल क़िले में स्‍थित है। लाल क़िले के उत्तर पूर्व में स्‍थित सलीमगढ़ का निर्माण इस्‍लाम शाह सूर (1545-1554 ई.) द्वारा किया गया था, जिसे सलीम शाह के नाम से भी जाना जाता है और वह शेरशाह सूर (1540-1545 ई.) का पुत्र और उत्‍तराधिकारी था। यह 1552 में सलीम शाह की मृत्‍यु के दौरान अधूरा ही बन पाया था। इसकी योजना मोटे तौर पर लगभग 1 कि.मी. की दीवारों के घेरे के साथ अर्धवृत्‍ताकार है और यह मूल रूप से यमुना नदी के पश्‍चिमी तट के समीप एक द्वीपनुमा स्‍थल पर स्‍थित था।

विशेषताएँ

  • सलीमगढ़ किले का एक भाग 1995 में के स्‍मारक के रूप में विकसित किया गया है, जिसे भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने प्रारम्‍भ में भारतीय सेना से प्राप्‍त किया था।
  • शाहनवाज़ खान, प्रेम कुमार सहगल, गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों तथा इंडियन नेशनल आर्मी के सैकड़ों अन्‍य सैनिकों को कैद किए जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाली दो बैरकों तथा अन्‍य बैरकों को स्‍मारक के रूप में रखा जा रहा है।
  • यह स्‍मारक मूल रूप से 1916 ई. में ब्रिटिश सेना द्वारा बनाया गया एक गार्ड रूम था। लाल क़िले में हुए ऐतिहासिक आई.एन.ए. मुकदमे के दौरान अनेक कैदियों को यहॉं बन्‍द रखा गया था।
  • भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 1992 में संरक्षण और परिरक्षण के उद्देश्‍य से इन बैरकों को भारतीय सेना से ले लिया और आई.एन.ए. के वीरों को समर्पित किया। कर्नल प्रेम कुमार द्वारा पहनी गई आई.एन.ए. की वर्दी, कर्नल गुरबख्‍श सिंह ढिल्‍लों के घुड़सवारी के जूते और कोट के बटन, नेताजी सुभाषचन्‍द्र बोस तथा अन्‍य व्‍यक्‍तियों के छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
  • एक दीर्घा में 1995 में किले के अन्‍दर भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा की गई खुदाई में निकली सामग्रियॉं तथा खुदाई के छायाचित्र भी प्रदर्शित है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्‍वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, लाल किला (नई दिल्‍ली) (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 9 जनवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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