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'''अन्नपूर्णा देवी''' भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में सुरबहार वाद्ययंत्र (बास का [[सितार]]) बजाने वाली एकमात्र महिला उस्ताद हैं। ये प्रख्यात संगीतकार [[अलाउद्दीन ख़ान]] की बेटी और शिष्या हैं। वर्ष [[1950]] के दशक में [[रवि शंकर|पंडित रवि शंकर]] | '''अन्नपूर्णा देवी''' भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में सुरबहार वाद्ययंत्र (बास का [[सितार]]) बजाने वाली एकमात्र महिला उस्ताद हैं। ये प्रख्यात संगीतकार [[अलाउद्दीन ख़ान]] की बेटी और शिष्या हैं। वर्ष [[1950]] के दशक में वह [[रवि शंकर|पंडित रवि शंकर]] के साथ युगल संगीतकार के रूप में अपनी प्रस्तुतियाँ देती रहीं, विशेषकर अपने भाई [[अली अकबर ख़ान]] के संगीत विद्यालय में। | ||
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अन्नपूर्णा देवी अपने पिता से संगीत की गूढ़ शिक्षा लेने के कुछ वर्षों बाद ही मैहर घराने (स्कूल) की सुरबहार (बांस का सितार) वादन की एक बहुत ही प्रभावशाली संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं। परिणामत: इन्होंने अपने पिता के बहुत से संगीत शिष्यों को मार्गदर्शन देना प्रारम्भ कर दिया था, इनमें प्रमुख हैं- [[हरिप्रसाद चौरसिया]], [[निखिल बनर्जी]], अमित भट्टाचार्य, प्रदीप बारोट और सस्वत्ति साहा (सितार वादक) और बहादुर ख़ान। इन सभी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के वाद्ययंत्रों के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान अन्नपूर्णा देवी से ही प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://www.itshindi.com/annapurna-devi.html |title=अन्नपूर्णा देवी |accessmonthday=24 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.itshindi.com |language=हिंदी }}</ref> | अन्नपूर्णा देवी अपने पिता से संगीत की गूढ़ शिक्षा लेने के कुछ वर्षों बाद ही मैहर घराने (स्कूल) की सुरबहार (बांस का सितार) वादन की एक बहुत ही प्रभावशाली संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं। परिणामत: इन्होंने अपने पिता के बहुत से संगीत शिष्यों को मार्गदर्शन देना प्रारम्भ कर दिया था, इनमें प्रमुख हैं- [[हरिप्रसाद चौरसिया]], [[निखिल बनर्जी]], अमित भट्टाचार्य, प्रदीप बारोट और सस्वत्ति साहा (सितार वादक) और बहादुर ख़ान। इन सभी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के वाद्ययंत्रों के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान अन्नपूर्णा देवी से ही प्राप्त किया।<ref>{{cite web |url=http://www.itshindi.com/annapurna-devi.html |title=अन्नपूर्णा देवी |accessmonthday=24 जून |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.itshindi.com |language=हिंदी }}</ref> | ||
अन्नपूर्णा देवी ने आजीवन कोई म्यूजिक एल्बम नहीं बनाया। कहा जाता है कि उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था, जो आजकल देखने को मिल जाता है। इन्होंने हमेशा अपने को मिडिया के प्रचार-प्रसार से दूर रखा। ये हमेशा भारतीय शास्त्रीय संगीत को अपनी सम्पूर्ण क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के बारे में सोचती रहती थीं। | अन्नपूर्णा देवी ने आजीवन कोई म्यूजिक एल्बम नहीं बनाया। कहा जाता है कि उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था, जो आजकल देखने को मिल जाता है। इन्होंने हमेशा अपने को मिडिया के प्रचार-प्रसार से दूर रखा। ये हमेशा भारतीय शास्त्रीय संगीत को अपनी सम्पूर्ण क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के बारे में सोचती रहती थीं। यद्यपि अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को कभी भी अपने पेशे के रूप में नहीं लिया और न कोई संगीत का एलबम बनाया, फिर भी अभी तक इन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत से प्रेम करने वाले प्रत्येक भारतीय से पर्याप्त आदर और सम्मान मिलता रहा है। | ||
==पुरस्कार एवं सम्मान== | ==पुरस्कार एवं सम्मान== | ||
अन्नपूर्णा देवी को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान मिले हैं, जो इस प्रकार है- | अन्नपूर्णा देवी को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान मिले हैं, जो इस प्रकार है- | ||
*[[2004]] - [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित ‘संगीत नाटक अकादमी’ ने इन्हें अपना (ज्वेल फेलो) घोषित किया। | *[[2004]] - [[भारत सरकार]] द्वारा स्थापित ‘संगीत नाटक अकादमी’ ने इन्हें अपना (ज्वेल फेलो) घोषित किया। | ||
*[[1999]] - | *[[1999]] - [[रविन्द्रनाथ टैगोर]] द्वारा स्थापित ‘विश्व-भारती विश्वविद्यालय’ ने इन्हें 'डॉक्टरेट' की मानद उपाधि से विभूषित किया। | ||
*[[1991]] - संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय संगीत कला को आगे बढ़ाने में इनके द्वारा दिये गये विशेष योगदान के लिए इन्हें सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ से नवाजा गया। | *[[1991]] - संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय संगीत कला को आगे बढ़ाने में इनके द्वारा दिये गये विशेष योगदान के लिए इन्हें सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ से नवाजा गया। | ||
*[[1977]] - अन्नपूर्णा देवी को भारत सरकार ने अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘[[पद्मभूषण]]’ से सम्मानित किया। | *[[1977]] - अन्नपूर्णा देवी को भारत सरकार ने अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘[[पद्मभूषण]]’ से सम्मानित किया। | ||
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10:40, 29 जून 2017 का अवतरण
अन्नपूर्णा देवी का कॅरियर
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पूरा नाम | अन्नपूर्णा देवी |
अन्य नाम | रोशनआरा ख़ान |
जन्म | 23 अप्रैल, 1927 |
जन्म भूमि | मध्य प्रदेश |
अभिभावक | पित- अलाउद्दीन ख़ान और माता- मदनमंजरी देवी |
पति/पत्नी | पंडित रवि शंकर और रूशी कुमार पंड्या |
संतान | शुभेन्द्र शंकर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | संगीत कला |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, 'संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | अन्नपूर्णा देवी ने आजीवन कोई म्यूजिक एल्बम नहीं बनाया। कहा जाता है कि उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था, जो आजकल देखने को मिल जाता है। |
अद्यतन | 18:36, 28 जून 2017 (IST)
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अन्नपूर्णा देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली में सुरबहार वाद्ययंत्र (बास का सितार) बजाने वाली एकमात्र महिला उस्ताद हैं। ये प्रख्यात संगीतकार अलाउद्दीन ख़ान की बेटी और शिष्या हैं। वर्ष 1950 के दशक में वह पंडित रवि शंकर के साथ युगल संगीतकार के रूप में अपनी प्रस्तुतियाँ देती रहीं, विशेषकर अपने भाई अली अकबर ख़ान के संगीत विद्यालय में।
कॅरियर
अन्नपूर्णा देवी अपने पिता से संगीत की गूढ़ शिक्षा लेने के कुछ वर्षों बाद ही मैहर घराने (स्कूल) की सुरबहार (बांस का सितार) वादन की एक बहुत ही प्रभावशाली संगीतकार के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं। परिणामत: इन्होंने अपने पिता के बहुत से संगीत शिष्यों को मार्गदर्शन देना प्रारम्भ कर दिया था, इनमें प्रमुख हैं- हरिप्रसाद चौरसिया, निखिल बनर्जी, अमित भट्टाचार्य, प्रदीप बारोट और सस्वत्ति साहा (सितार वादक) और बहादुर ख़ान। इन सभी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के वाद्ययंत्रों के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान अन्नपूर्णा देवी से ही प्राप्त किया।[1]
अन्नपूर्णा देवी ने आजीवन कोई म्यूजिक एल्बम नहीं बनाया। कहा जाता है कि उनके कुछ संगीत कार्यक्रमों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर लिया गया था, जो आजकल देखने को मिल जाता है। इन्होंने हमेशा अपने को मिडिया के प्रचार-प्रसार से दूर रखा। ये हमेशा भारतीय शास्त्रीय संगीत को अपनी सम्पूर्ण क्षमता के साथ आगे बढ़ाने के बारे में सोचती रहती थीं। यद्यपि अन्नपूर्णा देवी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को कभी भी अपने पेशे के रूप में नहीं लिया और न कोई संगीत का एलबम बनाया, फिर भी अभी तक इन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत से प्रेम करने वाले प्रत्येक भारतीय से पर्याप्त आदर और सम्मान मिलता रहा है।
पुरस्कार एवं सम्मान
अन्नपूर्णा देवी को अनेक पुरस्कार एवं सम्मान मिले हैं, जो इस प्रकार है-
- 2004 - भारत सरकार द्वारा स्थापित ‘संगीत नाटक अकादमी’ ने इन्हें अपना (ज्वेल फेलो) घोषित किया।
- 1999 - रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित ‘विश्व-भारती विश्वविद्यालय’ ने इन्हें 'डॉक्टरेट' की मानद उपाधि से विभूषित किया।
- 1991 - संगीत नाटक अकादमी द्वारा भारतीय संगीत कला को आगे बढ़ाने में इनके द्वारा दिये गये विशेष योगदान के लिए इन्हें सर्वोच्च सम्मान ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ से नवाजा गया।
- 1977 - अन्नपूर्णा देवी को भारत सरकार ने अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्नपूर्णा देवी (हिंदी) www.itshindi.com। अभिगमन तिथि: 24 जून, 2017।
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