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*बालाथल ग्राम के पूर्वी छोर पर एक बड़ा टीला है जो लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। | *बालाथल ग्राम के पूर्वी छोर पर एक बड़ा टीला है जो लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। | ||
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*पुरातत्त्ववेत्ताओं ने बालाथल की ताम्रपाषाणयुगीन सभ्यता के मध्य भाग का समय 2350 ई. पू. के आसपास माना है। | *पुरातत्त्ववेत्ताओं ने बालाथल की ताम्रपाषाणयुगीन सभ्यता के मध्य भाग का समय 2350 ई. पू. के आसपास माना है। | ||
*यदि यह मान लिया जाए तो ऐसा लगता है कि 2700 ई.पू. आस-पास बालाथल में ताम्रपाषाणुयगीन लोगों ने स्थिर जीवन शैली अपना ली होगी। | *यदि यह मान लिया जाए तो ऐसा लगता है कि 2700 ई.पू. आस-पास बालाथल में ताम्रपाषाणुयगीन लोगों ने स्थिर जीवन शैली अपना ली होगी। | ||
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07:00, 7 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

बालाथल एक ऐतिहासिक ग्राम जो उदयपुर (राजस्थान) नगर से 42 किमी दक्षिण-पूर्व में वल्लभ नगर तहसील में बालाथल स्थित है।
- बालाथल ग्राम के पूर्वी छोर पर एक बड़ा टीला है जो लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस टीले में उत्खनन का कार्य 1993 में वी. एन. मिश्रा के नेतृत्व में हुआ।
- यहाँ से हड़प्पा संस्कृति के समान ही मृदभाण्ड पाए गए हैं। अतः अनुमान है कि हड़प्पा के लोगों से इनका निकट सम्पर्क रहा होगा।
- इस क्षेत्र के लोगों ने पत्थर और मिट्टी की ईंटों के बड़े-बड़े मकान बनवा लिए थे।
- भारत के अन्य ताम्रपाषाणयुगीन स्थलों पर केवल मिट्टी के छोटे मकानों के ही प्रमाण मिले हैं।
- यहाँ से परिष्कृत मृद्भाण्डों में प्यालियाँ और कटोरियाँ हैं।
- यहाँ से परवर्ती हड़प्पायुगीन लोहे के औजार भी प्रभूत मात्रा में पाये गये हैं।
- लोहा गलाने की भट्टियाँ भी प्राप्त हुई हैं।
- पुरातत्त्ववेत्ताओं ने बालाथल की ताम्रपाषाणयुगीन सभ्यता के मध्य भाग का समय 2350 ई. पू. के आसपास माना है।
- यदि यह मान लिया जाए तो ऐसा लगता है कि 2700 ई.पू. आस-पास बालाथल में ताम्रपाषाणुयगीन लोगों ने स्थिर जीवन शैली अपना ली होगी।
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