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'''कोटखाई''' एक छोटा-सा शहर है, जो [[हिमाचल प्रदेश]] के [[शिमला ज़िला|शिमला ज़िले]] में स्थित है। यह बहुत ही सुन्दर और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पहाड़ी स्थान है। कोटखाई में बड़े पैमाने [[सेब]] की [[कृषि]] की जाती है। 'कोटखाई पैलेस' यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। यहाँ पर कई प्राचीन मन्दिर भी हैं।
 
==स्थिति तथा नाम==
 
==स्थिति तथा नाम==

13:05, 17 जून 2013 का अवतरण

कोटखाई
कोटखाई
विवरण 'कोटखाई' हिमाचल प्रदेश में स्थित बहुत ही सुन्दर और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पहाड़ी स्थान है।
राज्य हिमाचल प्रदेश
ज़िला शिमला
भौगोलिक स्थिति समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर।
तापमान गर्मी में- 15 से 28 डिग्री सेल्सियस; सर्दियों में- 04 से 15 डिग्री सेल्सियस
प्रसिद्धि पहाड़ी स्थान
कब जाएँ अप्रैल से जून, नवम्बर से फ़रवरी
हवाई अड्डा शिमला
रेलवे स्टेशन शिमला
क्या देखें कोटखाई पैलेस, महामाई मंदिर, सेब के बाग़
विशेष कोटखाई सेब के बगीचों के लिए जाना जाता है। यात्री मालिकों से पूर्व अनुमति प्राप्त करके इन बगीचों की यात्रा कर सकते हैं।
अन्य जानकारी यहाँ पर पर्यटक मंदिरों के अलावा नेरा घाटी, किआला वन और ढिल्लन तालाब जैसे अन्य स्थानों की यात्रा भी कर सकते हैं।

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कोटखाई एक छोटा-सा शहर है, जो हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले में स्थित है। यह बहुत ही सुन्दर और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पहाड़ी स्थान है। कोटखाई में बड़े पैमाने सेब की कृषि की जाती है। 'कोटखाई पैलेस' यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। यहाँ पर कई प्राचीन मन्दिर भी हैं।

स्थिति तथा नाम

हिमाचल प्रदेश का शानदार स्थान 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह का कोटखाई नाम एक खाई पर स्थित राजा के महल से पड़ा है। 'कोट' का शाब्दिक अर्थ है- 'महल' और 'खाई' का 'खाई'। इस स्थान का शांतिपूर्ण वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य दूर-दराज के क्षेत्रों से पर्यटकों को आकर्षित करता है।[1]

सेब के बाग़

कोटखाई 23,000 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले अपने सेब के बगीचों के लिए जाना जाता है। यात्री मालिकों से पूर्व अनुमति प्राप्त करके इन बगीचों की यात्रा कर सकते हैं। बाग़वानी गतिविधियाँ कोटखाई के क्षेत्र में प्रमुख हैं। गिरी नदी शहर के निकट बहती है, जो मिट्टी की उर्वरता का कारण है।

पर्यटन स्थल

राजा राणा साहब द्वारा बनाया गया 'कोटखाई पैलेस' यहाँ का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। पगोडा शैली की छत के साथ महल तिब्बती वास्तुकला का एक अच्छा उदाहरण है। कोटखाई क्षेत्र में कई मंदिर भी हैं, जिनमें से 'महामाई मंदिर' और 'लंक्रा के वीर मंदिर' प्रमुख हैं। मंदिरों के अलावा यात्री नेरा घाटी, किआला वनऔर ढिल्लन तालाब जैसे अन्य स्थानों की यात्रा भी कर सकते हैं।[1]

कब जाएँ

कोटखाई की जलवायु साल भर सुखद रहती है। अप्रैल का महीना में इस क्षेत्र में गर्मी के मौसम की शुरूआत होती है, जो जून के महीने तक रहती है। गर्मियों के दौरान क्षेत्र में न्यूनतम और अधिकतम तापमान क्रमशः 15 डिग्री सेल्सियस और 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है। सर्दियों का मौसम नवम्बर और फ़रवरी के महीने के बीच रहता है। इस समय के दौरान इस जगह का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और 4 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

कैसे पहुँचें

यहाँ आने के लिए यात्री सड़क मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग के द्वारा कोटखाई तक आसानी से पहुँच सकते हैं-

  • हवाई अड्डा - 'शिमला हवाई अड्डा' कोटखाई के पास है, जो कुल्लू और नई दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। 'नई दिल्ली हवाई अड्डे' से, अंतरराष्ट्रीय यात्री शिमला को सीधे जोड़ने वाली उड़ानों का लाभ ले सकते हैं।
  • रेलवे स्टेशन - शिमला का रेलवे स्टेशन कोटखाई के लिये निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो कालका रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है।
  • बस तथा टैक्सी आदि - यात्री आसानी से रेलवे स्टेशन के बाहर से कोटखाई के लिये टैक्सियों और कारों का लाभ ले सकते हैं। सड़क मार्ग से यात्रा में रुचि रखने वाले यात्री पास के शहरों से बसों, टैक्सियों और कैब का लाभ ले सकते हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 कोटखाई, शिष्यों के निर्वाण के लिए (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 जून, 2013।

संबंधित लेख

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