"सात ताल झील" के अवतरणों में अंतर
शिल्पी गोयल (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
(6 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 17 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{सूचना बक्सा झील |
− | == | + | |चित्र=Sattal-Lake.jpg |
− | [[नैनीताल]] से 23 किमी दूर | + | |चित्र का नाम=सातताल झील |
− | + | |नाम=सातताल झील | |
− | ताल के प्रत्येक कोने पर बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था कर दी गयी है। सारे ताल के आस-पास नाना प्रकार के फूल, लतायें लगायी | + | |प्रकार=ताजा पानी |
+ | |देश=[[भारत]] | ||
+ | |राज्य=[[उत्तराखण्ड]] | ||
+ | |नगर=[[नैनीताल]] | ||
+ | |निर्देशांक=[http://maps.google.com/maps?q=29.21,79.32&ll=29.252856,79.590454&spn=2.305094,5.410767&t=m&z=8 उत्तर- 29° 12' 36.00", पूर्व- 79° 19' 12.00"] | ||
+ | |अधिकतम लंबाई=3 किमी (लगभग) | ||
+ | |अधिकतम गहराई=20 मीटर (लगभग) | ||
+ | |अधिकतम चौड़ाई= | ||
+ | |सतह की ऊँचाई=1370 मीटर (लगभग) | ||
+ | |क्षेत्रफल= | ||
+ | |जल क्षमता= | ||
+ | |जल का ठहराव समय= | ||
+ | |गूगल मानचित्र=[http://maps.google.com/maps?q=Sattal&hl=en&ll=29.346644,79.525824&spn=0.017993,0.042272&sll=29.380304,79.463566&sspn=0.008994,0.021136&hq=Sattal&t=m&z=15 गूगल मानचित्र] | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=सात झीलों का समूह सात ताल भवाली से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के दृश्य यहाँ आए पर्यटकों को बहुत ही लुभाते हैं। एक साथ सात झीलों का आलौकिक रूप बस यहीं पर देखा जा सकता है। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''सातताल झील''' [[नैनीताल]] से 23 किमी दूर स्थित एक बहुत ही ख़ूबसूरत झील है। यह [[झील]] [[उत्तराखंड]] में स्थित हैं। इस ताल तक पहुँचने के लिए [[भीमताल झील|भीमताल]] से ही मुख्य मार्ग है। भीमताल से 'सातताल' की दूरी केवल 4 कि.मी. है। आजकल यहाँ के लिए एक दूसरा मार्ग माहरा गाँव से भी जाने लगा है। माहरा गाँव से सातताल केवल 7 कि.मी. दूर है। इस ताल में नौका-विहार करने वालों को विशेष सुविधायें प्रदान की गयी है। यह ताल पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सैलानी क्षेत्र घोषित किया गया है। | ||
+ | ताल के प्रत्येक कोने पर बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था कर दी गयी है। सारे ताल के आस-पास नाना प्रकार के फूल, लतायें लगायी गईं हैं। बैठने के अलावा सीढियों और सुन्दर- सुन्दर पुलों का निर्माण कर 'सातताल' को स्वर्ग जैसा ताल बनाया गया है। सचमुच यह ताल सौन्दर्य की दृष्टि से सर्वोपरि है। यहाँ पर नौकुचिया देवी का मन्दिर है। | ||
==स्थिति== | ==स्थिति== | ||
− | *सात झीलों का समूह सात ताल | + | *सात झीलों का समूह सात ताल भवाली से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के दृश्य यहाँ आए पर्यटकों को बहुत ही लुभाते हैं। एक साथ सात झीलों का आलौकिक रूप बस यहीं पर देखा जा सकता है। |
− | *इसकी आकृति | + | *इसकी आकृति अश्वखर के समान है। |
*इसकी लम्बाई 19 मीटर है, चौड़ाई 315 मीटर और गहराई 150 मीटर तक आंकी गयी है और यह समुद्र तल से 1288 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। | *इसकी लम्बाई 19 मीटर है, चौड़ाई 315 मीटर और गहराई 150 मीटर तक आंकी गयी है और यह समुद्र तल से 1288 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। | ||
*यहाँ पर सात छोटी-छोटी झीलों का समूह है। | *यहाँ पर सात छोटी-छोटी झीलों का समूह है। | ||
− | + | # नल-दमयंती ताल | |
− | + | # गरुड़ ताल | |
− | + | # राम ताल | |
− | + | # लक्ष्मण ताल | |
− | + | # सीता ताल | |
− | + | # पूर्ण ताल | |
− | + | # सूखा ताल | |
जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:- | जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:- | ||
− | + | ====नल-दमयंती ताल==== | |
− | ==नल-दमयंती ताल== | + | सबसे पहले जो ताल पड़ती है वो है नल-दमयंती ताल। माहरा गाँव से सात ताल जाने वाले मोटर-मार्ग पर यह ताल स्थित है। जहाँ से महरागाँव सातताल मोटर मार्ग शुरू होता है, वहाँ से तीन किलोमीटर बांयीं तरफ यह ताल है। इस ताल का आकार पंचकोणी है। [[पुराण|पौराणिक]] कथाओं के अनुसार नल दमयन्ती झील का नाम एक राजा [[नल]] और उसकी पत्नी [[नल दमयन्ती|दमयन्ती]] के नाम पर पड़ा जो यहाँ पर आये थे और बाद में इस ताल में ही उनकी समाधि बन गयी। उस समय में यह ताल बहुत बड़ी थी और इससे लगभग पूरे गाँव में सिंचाई की जाती थी इसी कारण यहाँ की खेती भाबर की खेती को मात करती थी और यहाँ पर बहुत घना जंगल था जो अब खत्म होने लगा है। इसमें कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोरतम दिनों में नल दमयन्ती इस ताल के समीप निवास करते थे। जिन मछलियों को उन्होंने काटकर कढ़ाई में डाला था, वे भी उड़ गयी थीं। कहते हैं, उस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती हैं।<br /> |
− | सबसे पहले जो ताल पड़ती है वो है नल-दमयंती ताल। माहरा गाँव से सात ताल जाने वाले मोटर-मार्ग पर यह ताल स्थित है। जहाँ से महरागाँव सातताल मोटर मार्ग | + | उसी समय एक महात्मा के द्वारा इस झील में मछलियाँ पाली गई थी और ऐसी मान्यता रही कि इस झील में कभी भी मछलियाँ नहीं मारी जा सकती हैं। यह मान्यता आज भी बनी हुई है। जिस की वजह से इस झील में आज भी काफ़ी बड़ी और प्रमुख मछलियों का अस्तित्व बचा हुआ है। इन मछलियों में प्रमुख हैं सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प और महासीर जिन्हें बिना किसी मेहनत के झील के बिल्कुल साफ़ पानी में यहाँ वहाँ घूमते हुए आसानी के साथ देखा जा सकता है। |
− | + | ====गरुड़ ताल==== | |
− | इसमें कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोरतम दिनों में नल दमयन्ती इस ताल के समीप निवास करते थे। जिन मछलियों को उन्होंने काटकर कढ़ाई में डाला था, वे भी उड़ गयी थीं। कहते हैं, उस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती | + | इसके बाद गरुड़ ताल पड़ती है। यह छोटी सी ताल है और इसका पानी बहुत ही साफ़ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झील के पास [[पांडव|पांडवों]] के वनवास के दौरान [[द्रौपदी]] ने अपनी रसोई बनाई थी। द्रौपदी द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सिल-बट्टा आज भी यहाँ पर पत्थरों के रूप में मौजूद है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस पूरे इलाके में पांडव अपने वनवास के दौरान रहे थे। |
− | + | ====राम, लक्ष्मण, सीता ताल==== | |
− | उसी समय एक महात्मा के द्वारा इस झील में | ||
− | |||
− | == | ||
− | इसके बाद | ||
− | |||
− | ==राम, लक्ष्मण, सीता ताल== | ||
इसी ताल से कुछ आगे [[राम]], [[लक्ष्मण]], [[सीता]] ताल है। यह ताल सबसे बड़ी ताल है जिसमें तीनों ताल एक साथ जुड़ी हुई है। कहा जाता है की यहाँ पर राम, लक्ष्मण, सीता रहा करते थे। यहाँ पांडव लोग भी रहे थे और यहीं भीम ने [[हिडिंबा]] राक्षसी का अंत किया था। | इसी ताल से कुछ आगे [[राम]], [[लक्ष्मण]], [[सीता]] ताल है। यह ताल सबसे बड़ी ताल है जिसमें तीनों ताल एक साथ जुड़ी हुई है। कहा जाता है की यहाँ पर राम, लक्ष्मण, सीता रहा करते थे। यहाँ पांडव लोग भी रहे थे और यहीं भीम ने [[हिडिंबा]] राक्षसी का अंत किया था। | ||
+ | ====सूखा ताल और पूर्ण ताल==== | ||
+ | सूखा ताल और पूर्ण ताल झीलों का अस्तित्व लापरवाहियों के चलते अब समाप्त हो गया है। पर इन दो झीलों के अलावा जो झीलें हैं वो आज भी अच्छी स्थिति में हैं। यहाँ एक प्राचीन चर्च भी है जो अपने शिल्प के लिये काफ़ी मशहूर है। सातताल से ही 7-8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करके हिडिंबा देवी का मंदिर भी है। इस मंदिर में जो बाबा जी रहते हैं उन्होंने कई प्रजातियों के पेड़-पौंधे, फूल और जड़ी-बूटियां यहाँ पर लगाई हैं जिस कारण इस स्थान पर विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियाँ देखने को भी मिल जाती हैं। | ||
− | |||
− | |||
− | + | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |
− | + | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |
− | + | <references/> | |
− | + | ==बाहरी कड़ियाँ== | |
− | + | ==संबंधित लेख== | |
− | [[Category: | + | {{उत्तराखंड की झीलें}}{{भारत की झीलें}}{{उत्तराखंड के पर्यटन स्थल}} |
+ | [[Category:उत्तराखंड]] | ||
+ | [[Category:उत्तराखंड की झीलें]] | ||
+ | [[Category:भारत की झीलें]] | ||
+ | [[Category:भूगोल कोश]] | ||
+ | [[Category:उत्तराखंड के पर्यटन स्थल]] | ||
+ | [[Category:नैनीताल]] | ||
+ | [[Category:पर्यटन कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
− | + | __NOTOC__ | |
− |
08:26, 20 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
सात ताल झील
| |
नाम | सातताल झील |
प्रकार | ताजा पानी |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखण्ड |
नगर/ज़िला | नैनीताल |
निर्देशांक | उत्तर- 29° 12' 36.00", पूर्व- 79° 19' 12.00" |
अधिकतम लंबाई | 3 किमी (लगभग) |
अधिकतम गहराई | 20 मीटर (लगभग) |
सतह की ऊँचाई | 1370 मीटर (लगभग) |
गूगल मानचित्र | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | सात झीलों का समूह सात ताल भवाली से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के दृश्य यहाँ आए पर्यटकों को बहुत ही लुभाते हैं। एक साथ सात झीलों का आलौकिक रूप बस यहीं पर देखा जा सकता है। |
सातताल झील नैनीताल से 23 किमी दूर स्थित एक बहुत ही ख़ूबसूरत झील है। यह झील उत्तराखंड में स्थित हैं। इस ताल तक पहुँचने के लिए भीमताल से ही मुख्य मार्ग है। भीमताल से 'सातताल' की दूरी केवल 4 कि.मी. है। आजकल यहाँ के लिए एक दूसरा मार्ग माहरा गाँव से भी जाने लगा है। माहरा गाँव से सातताल केवल 7 कि.मी. दूर है। इस ताल में नौका-विहार करने वालों को विशेष सुविधायें प्रदान की गयी है। यह ताल पर्यटन विभाग की ओर से प्रमुख सैलानी क्षेत्र घोषित किया गया है। ताल के प्रत्येक कोने पर बैठने के लिए सुन्दर व्यवस्था कर दी गयी है। सारे ताल के आस-पास नाना प्रकार के फूल, लतायें लगायी गईं हैं। बैठने के अलावा सीढियों और सुन्दर- सुन्दर पुलों का निर्माण कर 'सातताल' को स्वर्ग जैसा ताल बनाया गया है। सचमुच यह ताल सौन्दर्य की दृष्टि से सर्वोपरि है। यहाँ पर नौकुचिया देवी का मन्दिर है।
स्थिति
- सात झीलों का समूह सात ताल भवाली से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ के दृश्य यहाँ आए पर्यटकों को बहुत ही लुभाते हैं। एक साथ सात झीलों का आलौकिक रूप बस यहीं पर देखा जा सकता है।
- इसकी आकृति अश्वखर के समान है।
- इसकी लम्बाई 19 मीटर है, चौड़ाई 315 मीटर और गहराई 150 मीटर तक आंकी गयी है और यह समुद्र तल से 1288 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- यहाँ पर सात छोटी-छोटी झीलों का समूह है।
- नल-दमयंती ताल
- गरुड़ ताल
- राम ताल
- लक्ष्मण ताल
- सीता ताल
- पूर्ण ताल
- सूखा ताल
जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:-
नल-दमयंती ताल
सबसे पहले जो ताल पड़ती है वो है नल-दमयंती ताल। माहरा गाँव से सात ताल जाने वाले मोटर-मार्ग पर यह ताल स्थित है। जहाँ से महरागाँव सातताल मोटर मार्ग शुरू होता है, वहाँ से तीन किलोमीटर बांयीं तरफ यह ताल है। इस ताल का आकार पंचकोणी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार नल दमयन्ती झील का नाम एक राजा नल और उसकी पत्नी दमयन्ती के नाम पर पड़ा जो यहाँ पर आये थे और बाद में इस ताल में ही उनकी समाधि बन गयी। उस समय में यह ताल बहुत बड़ी थी और इससे लगभग पूरे गाँव में सिंचाई की जाती थी इसी कारण यहाँ की खेती भाबर की खेती को मात करती थी और यहाँ पर बहुत घना जंगल था जो अब खत्म होने लगा है। इसमें कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोरतम दिनों में नल दमयन्ती इस ताल के समीप निवास करते थे। जिन मछलियों को उन्होंने काटकर कढ़ाई में डाला था, वे भी उड़ गयी थीं। कहते हैं, उस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती हैं।
उसी समय एक महात्मा के द्वारा इस झील में मछलियाँ पाली गई थी और ऐसी मान्यता रही कि इस झील में कभी भी मछलियाँ नहीं मारी जा सकती हैं। यह मान्यता आज भी बनी हुई है। जिस की वजह से इस झील में आज भी काफ़ी बड़ी और प्रमुख मछलियों का अस्तित्व बचा हुआ है। इन मछलियों में प्रमुख हैं सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प और महासीर जिन्हें बिना किसी मेहनत के झील के बिल्कुल साफ़ पानी में यहाँ वहाँ घूमते हुए आसानी के साथ देखा जा सकता है।
गरुड़ ताल
इसके बाद गरुड़ ताल पड़ती है। यह छोटी सी ताल है और इसका पानी बहुत ही साफ़ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झील के पास पांडवों के वनवास के दौरान द्रौपदी ने अपनी रसोई बनाई थी। द्रौपदी द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले सिल-बट्टा आज भी यहाँ पर पत्थरों के रूप में मौजूद है। स्थानीय लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस पूरे इलाके में पांडव अपने वनवास के दौरान रहे थे।
राम, लक्ष्मण, सीता ताल
इसी ताल से कुछ आगे राम, लक्ष्मण, सीता ताल है। यह ताल सबसे बड़ी ताल है जिसमें तीनों ताल एक साथ जुड़ी हुई है। कहा जाता है की यहाँ पर राम, लक्ष्मण, सीता रहा करते थे। यहाँ पांडव लोग भी रहे थे और यहीं भीम ने हिडिंबा राक्षसी का अंत किया था।
सूखा ताल और पूर्ण ताल
सूखा ताल और पूर्ण ताल झीलों का अस्तित्व लापरवाहियों के चलते अब समाप्त हो गया है। पर इन दो झीलों के अलावा जो झीलें हैं वो आज भी अच्छी स्थिति में हैं। यहाँ एक प्राचीन चर्च भी है जो अपने शिल्प के लिये काफ़ी मशहूर है। सातताल से ही 7-8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करके हिडिंबा देवी का मंदिर भी है। इस मंदिर में जो बाबा जी रहते हैं उन्होंने कई प्रजातियों के पेड़-पौंधे, फूल और जड़ी-बूटियां यहाँ पर लगाई हैं जिस कारण इस स्थान पर विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियाँ देखने को भी मिल जाती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख