चन्दो ताल

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चन्दो/चंदो/चन्दों/चंदू ताल

बस्ती ज़िला के दक्षिण पश्चिमी सिरे पर विशाल जलाशय के रूप में अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे चन्दो ताल, गोरखपुर के रामगढ़ ताल, संतकबीरनगर के बखिरा ताल की तरह आकर्षण का केन्द्र रहा है।

विशाल झील चन्दो तल बस्ती ज़िला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर और नगर गांव की पश्चिम दिशा में स्थित है। यह झील पांच किलोमीटर लम्बी और चार किलोमीटर चौड़ी है। इसके अलावा इस झील में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पक्षियों की अनेक प्रजातियां भी देखी जा सकती है। यह मछली पकड़ने और निशानेबाज़ी करने के लिए प्रसिद्ध है।

गजेटियर के अनुसार 17 वीं शताब्दी में यहां राजभरों का राज्य चन्द्र नगर के नाम से विकसित हुआ। विकसित सभ्यता का प्रमाण खुदाई के दौरान लोगों को मिलता है। माना जाता है कि इस झील के आस-पास की जगह से मछुवारों व कुछ अन्य लोगों को प्राचीन समय के धातु के बने आभूषण और ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए थे। कुछ समय पश्चात् यह जगह प्राकृतिक रूप से एक झील के रूप में बदल गई और इस जगह को चंदू तल के नाम से जाना जाने लगा।

सन् 1857 में राजा नगर उदय प्रताप नारायण सिंह ने राजभरों को हराकर क़ब्ज़ा कर लिया। अपनी फ़ौजों के लिए घुड़साल और आवासों का निर्माण कराया। जिनका अवशेष आज भी मिलता है। यहां हण्डा, बटुला, थारा, चौखट व पत्थर के रास्तों के रूप में खुदाई के दौरान ग्रामीणों को मिले हैं।

पूर्व वन रक्षक चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव के अनुसार चन्दो ताल के दक्षिणी सिरे पर गोइरी गांव की तरफ खुदाई के दौरान दस फिट चौड़ी पत्थर की चौकी का पता चला। जिससे हमारी टीम को पुरानी सभ्यता के विकसित होने का प्रमाण मिला। तत्पश्चात् वन कर्मियों की टीम ने दोगुने उत्साह से और भी प्रमाण संग्रहित किए।

सन् 1857 में राजा उदय प्रताप नारायण सिंह व उनके बहनोई अमोढ़ा छावनी के राजा जालिम सिंह को अंग्रेजों से लड़ाई लड़ते हुए प्राणों की आहुति देनी पड़ी। राज परिवार ने नाइयों को चन्दोताल के उत्तर नाऊजोत, बारियों को बारीजोत गांव में बसा कर सभ्यता को विकसित करने का प्रयास किया, जो आज भी विरासत को दर्शा रही है।

सैकड़ों साल तक इस अथाह जलराशि की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। तब समाजसेवी सत्यदेव ओझा व तत्कालीन विधायक रामकरन आर्य ने शासन से 1996-97 में वन विभाग को धन उपलब्ध करवाया। चन्दो ताल में कटीली झाड़ियों की सफाई, रास्ते के निर्माण व पौध रोपण के लिए आवंटित रुपये इतने बड़े भू-भाग को सुसज्जित व विकसित करने के लिए ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुए।

तत्कालीन ज़िला वन अधिकारी बी.एस.प्रसाद के दिशा निर्देश में चन्दो ताल की 1400 बीघा ज़मीन वन प्रभाग बस्ती द्वारा अधिग्रहित कर द्वारों व वाटिकाओं का निर्माण किया गया। साइबेरियन व विदेशी पक्षियों की आमद की वजह से पक्षियों का शिकार वर्जित किया गया।

5 जून 2001 विश्व पर्यावरण दिवस के दिन तत्कालीन मण्डलायुक्त विनोद शंकर चौबे द्वारा कारगिल शहीद स्मृति वन का उद्घाटन किया गया, तो अधिकारी प्रमुख वन संरक्षक केदारनाथ पाण्डेय के आगमन से आम जनता व वन कर्मियों को आशा की किरण दिखाई दी, कि अब चन्दो ताल के दिन बहुरने वाले हैं। लेकिन उसके बाद स्थिति फिर ज्यौं की त्यौं बनी रही। काफ़ी समय बाद झूला पार्क व दो वाच टावरों का निर्माण हुआ। लेकिन धीमी व सुस्त रफ्तार से विकास की अच्छी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

चन्दो ताल वेट लैंड में शामिल

ऐतिहासिक चंदो ताल पर प्रवासी पक्षियों का बसेरा हर वर्ष ठंड में नवम्बर से लेकर फरवरी माह तक रहता है। इनकी सुरक्षा को लेकर वन विभाग सक्रिय रहता है, मगर यहां के वातावरण व पक्षियों को आराम करने के लिए अब तक कोई उपाय नहीं हुआ था। अब विभाग ने नए सिरे से इस पर काम शुरू किया है। चंदो ताल को वेटलैंड में शामिल किया गया था। वेटलैंड में केन्द्र सरकार ने चंदोताल के जीर्णोद्धार व प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा व संरक्षा के लिए दस लाख रुपये दिए हैं। ऐसे में वन विभाग अभी से प्रवासियों के स्वागत की तैयारी में जुट गया है।

वेट लैंड में शामिल चंदोताल जहां ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। वहीं चंदो 750 हेक्टेयर में फैला बस्ती ज़िले का सबसे बड़ा ताल है। ताल को बचाने के लिए इसे केन्द्र सरकार ने वेटलैंड सूची में शामिल किया था। चूंकि ताल में बरसाती पानी के साथ आने वाली मिट्टी से सिल्ट जमा हो गया है जिससे यह उथला होने लगा था। इसे लेकर चिंतित वन विभाग ने सरकार को इसकी सुरक्षा के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिस पर सर्वे हुआ और फिर यह सूची में स्थान बना सका। अब केन्द्र सरकार ने पहले चरण में यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों को लुभाने के लिए योजना के तहत कार्य शुरू करने के लिए धन दिया है। इस धन से वन विभाग ताल के बीच-बीच में पक्षियों को आराम करने के लिए दर्जन भर से अधिक टीले बनवाएगा। इन टीलों पर प्रवासी पक्षी आराम तो कर ही सकेंगे साथ ही अंडे भी देंगे। इनकी पूरी सुरक्षा के लिए एक नया वाच टावर, ताल के चारो ओर बंधा तथा ग्रास लैंड को साफ़ सुथरा किया जाएगा।

उप प्रभागीय वनाधिकारी एम के खरे कहते हैं कि चंदो ताल ज़िले की धरोहर है। इस धरोहर को बचाने के लिए केन्द्र सरकार की पहल पर अब काम शुरू होगा। धन मिल गया है। प्रवासी पक्षियों के स्वागत की तैयारी अभी से होने लगी है। ताल के सुंदरीकरण व सिल्ट निकालने का भी प्रस्ताव है। जैसे-जैसे धन मिलेगा काम होता रहेगा।


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