"नागतीर्थ मथुरा": अवतरणों में अंतर

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*यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है । यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है । भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं । श्री [[वसुदेव]] महाराज नवजात शिशु [[कृष्ण]] को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब [[यमुना नदी|यमुना]] को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी ।  
==नाग तीर्थ / Naag Tirth==
<blockquote>अत: परं नागतीर्थं तीर्थानामुत्तमोत्तमम्।<br />
अत: परं नागतीर्थं तीर्थानामुत्तमोत्तमम्।<br />
यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।<br /></blockquote>
यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।<br />
{{प्रचार}}
यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है । यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है । भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं । श्री [[वसुदेव]] महाराज नवजात शिशु [[कृष्ण]] को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब [[यमुना]] को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी ।  
==संबंधित लेख==
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{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
==अन्य लिंक==
[[Category:ब्रज]]
{{यमुना के घाट मथुरा}}
[[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]]
[[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]]
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
[[Category:पर्यटन कोश]]


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12:13, 16 जून 2011 के समय का अवतरण

  • यह उत्तम से उत्तम तीर्थ है । यहाँ स्नान करने से पुनरागमन नहीं होता है । भगवान् शेष या अनन्त देव धाम की रक्षा के लिए यहाँ सब समय विराजमान रहते हैं । श्री वसुदेव महाराज नवजात शिशु कृष्ण को लेकर वर्षा में भीगते हुए जब यमुना को पार कर रहे थे, तब यहीं अनन्त देव ने अपने अनन्त फणों को छत्र बनाकर वृष्टि से उनकी रक्षा की थी ।

अत: परं नागतीर्थं तीर्थानामुत्तमोत्तमम्।
यत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवा:।।

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