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'''भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Science Congress Association'' or ''ISCA'') 'विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग', [[भारत सरकार]] के अधीन एक पेशेवर संस्था है। इस संस्था की स्थापना सन [[1914]] में की गई थी। प्रत्येक [[वर्ष]] [[जनवरी]] के प्रथम [[सप्ताह]] में इसका सम्मेलन होता है। आईएससीए की स्थापना | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | ||
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'''भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Indian Science Congress Association'' or ''ISCA'') 'विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग', [[भारत सरकार]] के अधीन एक पेशेवर संस्था है। इस संस्था की स्थापना सन [[1914]] में की गई थी। प्रत्येक [[वर्ष]] [[जनवरी]] के प्रथम [[सप्ताह]] में इसका सम्मेलन होता है। आईएससीए की स्थापना [[भारत]] में [[विज्ञान]] को बढ़ावा देने के लिये की गई थी। | |||
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10:20, 23 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था
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विवरण | 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है। यह 'विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग', भारत सरकार के अधीन एक पेशेवर संस्था है। |
स्थापना | 1914 |
संस्थापक | जे. एल. सायमनसेन और पी. एस. मॅकमोहन |
उद्देश्य | संस्था का मुख्य उद्देश्य भारत में विज्ञान को उन्नत करना व उसे बढ़ावा देना है। |
वार्षिक सम्मेलन | प्रत्येक वर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' का सम्मेलन होता है। |
अन्य जानकारी | वार्षिक विज्ञान कांग्रेस की पहली बैठक 'एशियाटिक सोसाइटी', कोलकाता के परिसर में 15 जनवरी से 17 जनवरी, 1914 तक हुई थी, जिसके महाध्यक्ष कलकत्ता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति सर आशुतोष मुखर्जी थे। |
भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था (अंग्रेज़ी: Indian Science Congress Association or ISCA) 'विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग', भारत सरकार के अधीन एक पेशेवर संस्था है। इस संस्था की स्थापना सन 1914 में की गई थी। प्रत्येक वर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है। आईएससीए की स्थापना भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
स्थापना
'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की ही तरह 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' की स्थापना भी अंग्रेज़ों ने ही की थी। जे. एल. सायमनसेन और पी. एस. मॅकमोहन नामक दो ब्रिटिश रसायनविज्ञों ने सन 1914 ई. में 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' की बुनियाद रखी थी। इस संघ के तत्वाधान में ही प्रतिवर्ष जनवरी माह में वार्षिक विज्ञान कांग्रेस का आयोजन होता है। आशुतोष मुखर्जी की अध्यक्षता में इसकी प्रथम सभा 15 जनवरी से 17 जनवरी, 1914 के मध्य कोलकाता के 'एशियाटिक सोसायटी सभागार' में सम्पन्न हुई थी। तमिलनाडु के चिदम्बरम् नामक नगर में 94वीं विज्ञान कांग्रेस का आयोजन सम्पन्न हुआ।[1]
उद्देश्य
'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' का गठन निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किया गया था-
- भारत में विज्ञान को उन्नत करना एवं उसे बढ़ावा देना।
- भारत में उपयुक्त स्थान पर वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करना।
- ऐसी कार्यवाहियों, सम्पादनों, कार्य-विवरणों एवं अन्य प्रकाशनों का प्रकाशन किया जाएगा, जिसे वांछनीय माना जाए।
- निधियों और प्राभूतों का प्रबंध और सुरक्षा करना, ताकि विज्ञान की उन्नति हो सके। इसके अंतर्गत संस्था की संपत्तियों को पूरा या किसी एक भाग को बेचने का अधकिार भी हो।
- उपर्युक्त उद्देशों और कारणों के लिए अन्य कोई या सभी कार्यों, मामलों और वस्तुओं का संचालन या आनुषंगिक या ज़रूरतों को पूरा करना।
प्रथम बैठक
वार्षिक विज्ञान कांग्रेस की पहली बैठक 'एशियाटिक सोसाइटी', कोलकाता के परिसर में 15 जनवरी से 17 जनवरी, 1914 तक हुई, जिसके महाध्यक्ष कलकत्ता विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति माननीय न्यायमूर्ति सर आशुतोष मुखर्जी थे। भारत एवं विदेश के विभिन्न संभागों से आए एक सौ पाँच वैज्ञानिकों ने बैठक में भाग लिया और छ: अनुभागीय अध्यक्षों के अधीन वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, नृजाति विज्ञान, भू-विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं प्राणि विज्ञान अनुभागों में विभाजित 35 लेख प्रस्तुत किए गए।[2]
अनुभाग तथा समितियाँ
प्रारंभ में मात्र 105 सदस्यों वाली 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था' में अब सदस्यों की संख्या बढ़कर लगभग 10,000 हो गई है। प्रस्तुति के लिए प्राप्त लेखों की संख्या 35 से बढ़कर 1000 हो गई है। सन 2000 तक 16 अनुभागें, 2 समितियाँ और 6 जनसभाएँ निम्नलिखित थीं-
- अनुभागें - कृषि विज्ञान, मानव विज्ञान और पुरातत्त्व विज्ञान, जैव रसायन, जैव भौतिकी और आण्विक जैविकी, पादप विज्ञान, रसायन विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, पृथ्वी तंत्र विज्ञान, अभियांत्रिकी, पदार्थ विज्ञान, गणितशास्त्र, आयुर्विज्ञान और पशु-चिकित्सा, भौतिक विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र, सांख्यिकी, जैव विज्ञान, कीट विज्ञान एवं मात्स्यिकी।
- समितियाँ - गार्हस्थ्य-विज्ञान, विज्ञान और समाज।
- जनसभाएँ - संचार एवं सूचना विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, न्यायालयीय विज्ञान, विज्ञान शिक्षा, विद्यालयी छात्रों के लिए विज्ञान और महिलाएँ और विज्ञान।
सत्र आयोजन
- रजत जयंती
विज्ञान कांग्रेस का रजत जयंती सत्र कोलकाता में सन 1938 में नेलसन के लॉर्ड रथरफोर्ड की अध्यक्षता में होना था, लेकिन उनकी अकस्मात मृत्यु के कारण सर जेम्स जिन्स ने अध्यक्षता की। 'भारतीय विज्ञान कांग्रेस' के इस रजत जयंती सत्र में ही सर्वप्रथम विदेशी वैज्ञानिकों ने भाग लिया था।
- स्वर्ण जयंती
विज्ञान कांग्रेस ने अक्टूबर, 1963 में दिल्ली में प्रो. डी. एस. कोठारी की अध्यक्षता में स्वर्ण जयंती मनाई। इस सुअवसर में दो विशेष प्रकाशनों को प्रकाशित किया गया-
- 'ए शर्ट हिस्ट्री ऑफ़ दि इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन'
- फ़िफ़्टी इयर्स ऑफ़ साइंस इन इंडिया'[3]
- हीरक जयंती
3 जनवरी से 9 जनवरी, 1973 में चण्डीगढ़ में विज्ञान कांग्रेस का हीरक जयंती सत्र डॉ. एस. भगवनतम की अध्यक्षता में मनाया गया। इस सुअवसर पर दो विशेष प्रकाशन लाये गए-
- ए डिकेड (1963-72) इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन (विथ लाइफ - स्केचेस ऑफ़ जेनेरल प्रेसिडेन्टस)
- ए डिकेड (1963-72) ऑफ़ साइंस इन इंडिया[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विज्ञान, कांग्रेस और भारतीय वैज्ञानिक (हिन्दी) पर्यावरण डाइजेस्ट। अभिगमन तिथि: 23 दिसम्बर, 2014।
- ↑ भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था (हिन्दी) आधिकारिक बेवसाइट। अभिगमन तिथि: 23 दिसम्बर, 2014।
- ↑ 12 खंडों में, प्रत्येक खंड में विज्ञान के विशिष्ट शाखा के पुनरवलोकन मौजूद हैं।
- ↑ अनुभाग के प्रकार से
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