सीमा सड़क संगठन

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सीमा सड़क संगठन का प्रतीक

सीमा सड़क संगठन (अंग्रेज़ी: Border Roads Organisation) भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क मार्ग के निर्माण एवं व्यवस्थापन का कार्य करता है। बीआरओ देश के सीमावर्ती इलाकों में आधारभूत संरचना विकास के क्षेत्र में अग्रणी सरकारी संगठन है। सन 1960 में इसकी स्थापना के बाद से यह 2 से लेकर 19 परियोजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके द्वारा किए गए कार्यों ने देश के दूरस्थ इलाकों में क्षेत्रीय अखंडता और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित किया है। सीमा सड़क संगठन ने 7 मई, 2020 को अपना 60वां स्थापना दिवस मनाया था।

गठन एवं कार्य

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) देश का बहुप्रतिष्ठित, बहुमुखी, पारदेशीय ख्याति प्राप्त आधुनिक निर्माण संगठन हैं। इसकी स्थापना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 7 मई, 1960 को की थी। आजादी के बाद लम्बी सीमा की सुरक्षा एवं देश के सुदूरवर्ती इलाकों में आधार भुत संरचना का निर्माण एक प्रमुख चुनौती थी। इसके लिए एक कार्यकुशल व समर्पित कार्यबल के रूप में सीमा सड़क संगठन की स्थापना की गई। गठन से अब तक यह संगठन सीमा क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण और इसके रखरखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक जरूरतें पूरी हो सकें।

गठन पर 53,000 किलोमीटर सड़कों की जिम्मेदारी है। इसने भूटान, म्यांमार, अफ़ग़ानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है। इस प्रकार पारदेशीय ख्याति प्राप्त संगठन के रूप में यह हमारे रणनीतिक उद्देश्यों में भी योगदान दे रहा है। भारत की स्थलीय सीमा 15200 किलोमीटर लंबी है और मुख्य भूमि व द्वीपों सहित तटीय सीमा की लंबाई 7516 किलोमीटर है। इसकी स्थलीय सीमा चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल और म्यांमार (सात देश) से मिलती है जबकि जलीय सीमा सात देशों पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, म्यांमार, थायलैंड और इंडोनेशिया से मिलती है। भारत की जलीय व स्थलीय सीमा से लगे देश बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान है।

जुलाई 1975 में ’द मिरर’पत्रिका में प्रकाशित एक लेख ’हाईबेज टू एडबेंचर’ में ‘सीमा सड़क संगठन’ के बारे में लिखा गया बात कि- "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस दुर्गम इलाके में सड़कें केवल सीमेंट व कंक्रीट से ही नही बल्कि भारत के सीमा सड़क संगठन के लोगों के खून से भी बनी है। बहुत से लोगों ने काम के दौरान अपनी जान गवांई है। खतरों से खेलने वाले व मौत पर हंसने वाले इन लोगों के लिए कर्त्तव्य सबसे पहले है। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए तथा पड़ोसियों की खुशहाली की कामना करने वाले यह नायक भारतमाता के हर हिस्से से आए हैं।"

उद्देश्य

सीमा सड़क संगठन का उद्देश्य निम्नलिखित है-

  1. समर्पित, प्रतिबद्ध व किफायत से बुनियादी ढाँचे का विकास करते हुए सशस्त्र बलों को उनकी सामरिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करना ।
  2. निर्माण के बदलते परिदृश्य में समय की मांग के अनुरूप अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की विशिष्ट गुणवत्ता किफायती के साथ हासिल करना।
  3. एजेंसी, अन्तर्देशीय व देशी विकास परियोजनाओं में भागीदारी बढ़ाकर अपनी क्षमता व विशेषज्ञता में वृद्धि करना।
  4. अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल, उसके अनुरूप ढ़ालना व विकास में नेतृत्व हासिल करना।
  5. सूचना प्रोद्यौगिकी के अधिकाधिक प्रयोग द्वारा सही समय पर सटीक व प्रभावी फैसला लेने का वातावरण तैयार करना।
  6. प्रतिस्पर्धा के आधार पर निर्माण गतिविधियों में उच्च स्तर की कुशलता व प्रवीणता हासिल करना।
  7. सीमा सड़क संगठन के प्रत्येक व्यक्ति में आत्म-सम्मान व नई ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए मूल्यों के प्रति समझ पैदा करना।

शांतिकाल और युद्धकाल में भूमिका

  1. सीमावर्ती इलाकों में जनरल स्टाफ की ऑपरेशनल सड़कों का विकास व रखरखाव।
  2. सीमावर्ती राज्यों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान में योगदान करना।

युद्धकाल

  1. वास्तविक इलाकों से तथा पुनर्तैनाती इलाकों से नियंत्रण रेखा के लिए सड़क का विकास व देखभाल करना।
  2. सरकार द्वारा युद्धकाल के दौरान विनिर्दिष्ट अन्य अतिरिक्त कार्यों का निष्पादन करना।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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