राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान

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राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान (निस्टैड्स) नई दिल्ली स्थित 'वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद' (सी.एस.आई.आर.) की 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं/संस्थानों में से एक है। यह संस्थान विज्ञान, समाज तथा शासन के बीच पारस्परिक क्रिया के विविध पहलुओं के अध्ययन में समर्पित है और निरंतर विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा समाज में मिलन-बिंदु की खोज कर रहा है।

स्थापना व कार्य क्षेत्र

'वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद' (सी.एस.आई.आर.), मुख्यालय, नई दिल्ली में अगस्त, 1973 में विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा विकास अध्ययन केंद्र (सी.एस.एस.टी.डी.) की स्थापना के साथ निस्टैड्स का जन्म हुआ। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के शासी निकाय[1] ने 30 सितंबर, 1980 को उक्त केंद्र को अलग बजट के साथ 'एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करने का अनुमोदन प्रदान किया। यह राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान के नाम से जाना जाएगा। इस राष्ट्रीय संस्थान का अपना आधारिक ढांचा होगा तथा इसका प्रमुख निदेशक स्तर का वैज्ञानिक होगा। इसका कार्य क्षेत्र पूर्व स्थापित विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा विकास अध्ययन केंद्र (सी.एस.एस.टी.डी.) के कार्यों को निरंतर आगे बढ़ाना होगा। संस्थान का वर्तमान नाम 1 अप्रैल, 1981 को अस्तित्व में आया।[2]

बौद्धिक विविधता

बौद्धिक विविधता[3] इस संस्थान का मुख्य आधार है। संस्थान के संकाय में निदेशक सहित 31 सदस्य हैं, जिनमें 11 महिलाएं सम्मिलित हैं। यह संकाय विविध शैक्षिक विषयों में से चुनी गई है। इसमें 23 सदस्य विज्ञान या इंजीनियरी में डिग्री रखते हैं, जबकि शेष 8 सामाजिक विज्ञानों में। निस्टैड्स में पंजीकृत शोध छात्र/छात्राएं विभिन्न विश्वविद्यालयों से पीएच.डी. डिग्री प्राप्त हैं। इस संस्थान में सक्रिय अतिथि विद्वान् कार्यक्रम[4] जिसके अंतर्गत देश तथा विदेश के शोधार्थियों को संस्थान में शोध कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

शोध गतिविधियाँ

संस्थान की शोध गतिविधियों को निम्नलिखित व्यापक कार्यक्रमों के अंतर्गत बांटा जा सकता है[2]-

  1. आईपीआर - बौद्धिक संपदा अधिकार तथा विकास अध्ययन।
  2. आईटीबीटी - सूचना प्रौद्योगिकी तथा जैव-प्रौद्योगिकीय नीति मामले तथा नैतिक संबंध।
  3. आईएनएनपी - नवाचार नीति।
  4. आईएनकेएस - नवाचार तथा ज्ञान संस्था।
  5. टीआईएआरए - ग्रामीण शिल्पकारों को प्रौद्योगिकीय तथा समेकित सहायता।
  6. एसडी - स्थायी विकास।
  7. एसटीईवीएस - विज्ञान-प्रौद्योगिकी-शिक्षा मूल्यांकन अध्ययन।
  8. एचपीएस - इतिहास तथा विज्ञान का दर्शन/विज्ञान की जन समझ।
संस्थान से संबद्ध कुछ विविध क्षेत्र
  • जल
  • ग्रामीण क्षेत्र
  • विज्ञान व प्रौद्योगिकी व्यवस्था
  • उच्च प्रौद्योगिकी
  • उद्यमता[5]
  • लोक विज्ञान व प्रौद्योगिकी

क्षमता सिद्धि

'राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान' निम्न क्षेत्रों में अपनी क्षमता सिद्ध कर चुका है[2]-

  1. जल संसाधन, अर्थशास्त्र, प्रबंधन तथा प्राणि विज्ञान
  2. उद्यमता तथा सूक्ष्म-उद्यमता विकास
  3. नवाचार कार्ययोजना तथा प्रबंधन
  4. बौद्धिक संपदा मामले
  5. ज्ञान प्रबंधन; शोध व विकास प्रबंधन
  6. विधि, प्रौद्योगिकी तथा अर्थशास्त्र
  7. विज्ञान नीति
  8. संसाधन व्यवस्था तथा भूगोल

संस्थान में निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण क्षमता है-

  1. विज्ञान व प्रौद्योगिकी नीति अनुसंधान
  2. विकासशील देशों की चिंता तथा समस्याओं के प्रति समर्पण
  3. हमारी शक्तियां निम्नलिखित हैं:
  4. अंतर्विषयी शोध टीम
  5. बहुविषयी संकाय
  6. लंबा शोध अनुभव
  7. क्षेत्रीय अनुसंधानः मौलिक आंकड़ा रूपरेखा/संग्रह करना
  8. भारतीय और विदेशी छात्र/छात्रा, आगंतुक नेटवर्क साझीदारी
  9. सी.एस.आई.आर. संसाधन, प्रौद्योगिकी, ज्ञान तथा स्टॉफ की पहुँच
  10. विश्व स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी सुविधा
  11. विश्व स्तरीय कंप्यूटरीकृत पुस्तकालयः अनेक शोध पत्रिकाओं तथा डाटाबेस की पहुँच


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शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गवर्निंग बॉडी
  2. 2.0 2.1 2.2 राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 05 नवम्बर, 2013।
  3. जैसा कि डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर, पूर्व महानिदेशक, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने उल्लेख किया है।
  4. वाइब्रेंट विजिटिंग स्कॉलर्स प्रोग्राम
  5. एन्टरप्रिन्योरशिप

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