नेहरू युवा केन्द्र संगठन
नेहरू युवा केन्द्र (अंग्रेज़ी:Nehru Yuva Kendra) की स्थापना सन 1972 में हुई थी। बाद के समय में जब राजीव गाँधी की सरकार बनी, तब 1987 में यह भारत सरकार के अंतर्गत युवा मामलों और खेल मंत्रालय के तहत 'नेहरू युवा केन्द्र संगठन' बन गया। यह केन्द्र 15 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के छात्रों, गैर छात्रों को रचनात्मक कार्यों, प्रतियोगी खेलों के विकास, शारीरिक शिक्षा, समुदाय सेवा आदि के लिए प्रेरित करते हैं। विशेष रूप से यह ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, साक्षरता और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है।[1]
युवा मंडल एवं सदस्य
युवा मंडलों का गठन युवा सदस्यों द्वारा किया जाता है जो कि 15-35 वर्ष की आयु के होते हैं। युवा मंडलों के सृजन का मुख्य उद्देश्य युवा सशक्तिकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विकासात्मक पहलों की गतिविधियों के माध्यम से समाज को सहयोग करता है। युवा मंडलों की गतिविधिया एवं कार्यक्रम स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित होते हैं, जिनका कार्यान्वयन विभिन्न स्थानीय विभागों एवं एजेंसियों, जिसमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय तथा बहु आयामी संस्थान शामिल हैं, द्वारा, स्थानीय संसाधन एकत्रित करके किया जाता है। युवा मंडल एवं इसके सदस्य नेहरू युवा केन्द्रों के विशाल राष्ट्रीय ग्रामीण नेटवर्क के आधार को तैयार करते हैं।
उद्देश्य
नेहरू युवा केन्द्र संगठन के उद्देश्य दो प्रकार के है:-
- ग्रामीण युवाओं को राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में शामिल करना।
- उनमें ऐसे कौशल एवं मूल्यों को विकसित करना जिससे कि वे आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष तथा तकनीकी राष्ट्र के उत्तरदायी एवं सृजनकारी नागरिक बन सकें।
नेहरू युवा केन्द्र संगठन, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के युवा विकास संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों तथा कुछ अन्य मंत्रालयों के सहयोग एवं समन्यव द्वारा कुछ विशेष कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का कार्य कर रहा है। इन कार्यक्रमों में विशेष रूप से अच्छी नागरिकता के मूल्यों को विकासित करना, धर्मनिरपेक्ष रूप से सोच और व्यवहार को विकसित करना, कौशल विकास करना और युवाओं को सृजनकारी एवं संगठनात्मक व्यवहार को अपनाने में सहायता करने पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है।
संगठन का दृष्टिकोण
संगठन के दृष्टिकोण में जमीनी स्तर पर अच्छे नागरिक और युवा नेतृत्व के लिए दीर्घ आवधिक विकासात्मक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। युवा मंडलों का गठन किया जाता है और उन्हें खेल, सांस्कृतिक और स्थानीय गतिविधियों में प्रतिभागिताओं के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। युवा मंडलों के गठन एवं निरंतरता के लिए युवा नेतृत्व का विकास किया जाता है। यह नेतृत्व निम्नलिखित सृजनात्मक कार्यों के लिए अत्यंत लाभदायक है-
- स्वयं सेवा के नेटवर्क।
- मूलभूत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने के सुअवसर उपलब्ध कराना और विकास करना।
- युवाओं के सशक्तिकरण में सहायता करना जैसे कौशल उत्पत्ति, स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल के प्रति जागरूकता लाना एवं स्वरोजगार।
भारत की जनसंख्या का लगभग तीन चौथाई हिस्सा ग्रामीणों का है। इसलिए संपूर्ण राष्ट्र का वास्तविक विकास उनकी प्रगति एवं विकास पर निर्भर है। इसके अलावा जनसांख्यिकी लाभांश जो इस देश को मिलता है वह युवाओं की जनसंख्या अधिक होने के कारण है। इसलिए नेहरू युवा केन्द्र संगठन जैसी सबसे बड़ी युवा संस्थाओं, के लिए आवश्यक है कि वह अधिक से अधिक इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करें जैसे इसने युवाओं को सशक्त करने का बीड़ा उठाया है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय संस्कृति |प्रकाशक: स्पेक्ट्रम बुक्स प्रा. लि. |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 379 |
- ↑ नेयुकेसं के बारे में (हिंदी) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 25 अप्रैल, 2018।