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*मूर्ति अब लुप्त हो चुकी है, लेकिन स्तम्भ अब भी खड़ा है और इस पर [[संस्कृत]] में एक विस्तृत अभिलेख अंकित है। | *यहाँ पाँचवें [[गुप्त वंश|गुप्त]] सम्राट [[स्कन्दगुप्त]] (455-67 ई.) ने एक स्तम्भ निर्मित कराया था, जिसके शीर्ष पर [[विष्णु]] की मूर्ति थी। | ||
*अभिलेख में स्कन्दगुप्त की वंशावली | *इस स्तम्भ की मूर्ति अब लुप्त हो चुकी है, लेकिन स्तम्भ अब भी खड़ा है और इस पर [[संस्कृत]] में एक विस्तृत अभिलेख अंकित है। | ||
*अभिलेख के अनुसार स्कन्दगुप्त [[कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य|कुमारगुप्त प्रथम]] (413-55 ई.) का पुत्र और उत्तराधिकारी था। | *[[अभिलेख]] में स्कन्दगुप्त की वंशावली और पुष्यमित्रों तथा [[हूण|हूणों]] से हुए युद्धों का भी विवरण है। | ||
*इस अभिलेख के अनुसार स्कन्दगुप्त [[कुमारगुप्त प्रथम महेन्द्रादित्य|कुमारगुप्त प्रथम]] (413-55 ई.) का पुत्र और उत्तराधिकारी था। | |||
*1889 ई. में कुमारगुप्त द्वितीय की एक मोहर भितरी में मिली थी। | *1889 ई. में कुमारगुप्त द्वितीय की एक मोहर भितरी में मिली थी। | ||
*इस मोहर पर स्कन्दगुप्त का कोई उल्लेख नहीं है और [[पुरुगुप्त]] को कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी बतलाया गया है। | *इस मोहर पर स्कन्दगुप्त का कोई उल्लेख नहीं है और [[पुरुगुप्त]] को कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी बतलाया गया है। | ||
*भितरी में प्राप्त अभिलेख तथा मोहर की परस्पर प्रतिकूल बातों का समाधान करने के लिए यह अनुमान किया जाता है कि पुरुगुप्त, स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था और वह स्कन्दगुप्त की मृत्यु के उपरान्त सिंहासनारूढ़ हुआ था। | *भितरी में प्राप्त अभिलेख तथा मोहर की परस्पर प्रतिकूल बातों का समाधान करने के लिए यह अनुमान किया जाता है कि, पुरुगुप्त, स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था और वह स्कन्दगुप्त की मृत्यु के उपरान्त सिंहासनारूढ़ हुआ था। | ||
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07:13, 16 जून 2013 के समय का अवतरण

भितरी बनारस से पूर्व गाजीपुर ज़िले में स्थित है।
- यहाँ पाँचवें गुप्त सम्राट स्कन्दगुप्त (455-67 ई.) ने एक स्तम्भ निर्मित कराया था, जिसके शीर्ष पर विष्णु की मूर्ति थी।
- इस स्तम्भ की मूर्ति अब लुप्त हो चुकी है, लेकिन स्तम्भ अब भी खड़ा है और इस पर संस्कृत में एक विस्तृत अभिलेख अंकित है।
- अभिलेख में स्कन्दगुप्त की वंशावली और पुष्यमित्रों तथा हूणों से हुए युद्धों का भी विवरण है।
- इस अभिलेख के अनुसार स्कन्दगुप्त कुमारगुप्त प्रथम (413-55 ई.) का पुत्र और उत्तराधिकारी था।
- 1889 ई. में कुमारगुप्त द्वितीय की एक मोहर भितरी में मिली थी।
- इस मोहर पर स्कन्दगुप्त का कोई उल्लेख नहीं है और पुरुगुप्त को कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी बतलाया गया है।
- भितरी में प्राप्त अभिलेख तथा मोहर की परस्पर प्रतिकूल बातों का समाधान करने के लिए यह अनुमान किया जाता है कि, पुरुगुप्त, स्कन्दगुप्त का सौतेला भाई था और वह स्कन्दगुप्त की मृत्यु के उपरान्त सिंहासनारूढ़ हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार