अर्जुन सिंह

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अर्जुन सिंह
अर्जुन सिंह
अर्जुन सिंह
पूरा नाम अर्जुन सिंह
जन्म 5 नवंबर, 1930
जन्म भूमि चुरहट, ज़िला सीधी
मृत्यु 4 मार्च, 2011
मृत्यु स्थान नई दिल्ली
अभिभावक पिता- राव शिव बहादुर सिंह
पति/पत्नी सरोज कुमारी
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद भूतपूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
कार्य काल प्रथम- 8 जून 1980 से 10 मार्च 1985 तक

द्वितीय- 11 मार्च 1985 से 12 मार्च 1985 तक
तृतीय- 14 फ़रवरी 1988 से 24 जनवरी 1989 तक

विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी सन 1985 में हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद अर्जुन सिंह मात्र एक दिन के लिए मध्य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे।

अर्जुन सिंह (अंग्रेज़ी: Arjun Singh, जन्म- 5 नवंबर, 1930; मृत्यु- 4 मार्च, 2011) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में से एक थे। वह मध्य प्रदेश के भूतपूर्व 12वें मुख्यमंत्री थे। दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी माने जाने वाले भोपाल गैस कांड के दौरान उनकी भूमिका सवालों के घेरे में आ गई थी। अयोध्या में राम मंदिर विवाद मामला और कुख्यात डाकुओं के समर्पण से लेकर वर्ष 2004 में सोनिया गांधी की जगह मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने तक की सियासी हलचलों को उन्होंने नजदीक से देखा। अपने लंबे राजनीतिक कॅरियर के दौरान अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत राज्य और केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। एक समय ऐसा भी आया, जब अर्जुन सिंह एक दिन के लिए मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने और अगले ही दिन उन्‍हें दूसरे प्रदेश में बड़ी जिम्‍मेदारी दे दी गई।

परिचय

अर्जुन सिंह का जन्म 5 नवंबर 1930 को मध्य प्रदेश के सीधी जिले के चुरहट कस्बे में एक राजपूत घराने में हुआ था। इनके पिता राव शिव बहादुर सिंह भी राजनीति में थे। 1957 में अर्जुन सिंह ने पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1963 में वे द्वारका प्रसाद मिश्रा की सरकार में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री रहे और सरकार के इसी कार्यकाल में जनसंपर्क विभाग में भी मंत्री रहे। 1967 में उन्होंने एक बार फिर मध्‍य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में योजना और विकास मंत्री का कार्यभार संभाला। 1972 से 1977 के बीच वे मध्य प्रदेश के शिक्षामंत्री रहे। 1977 में मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद अर्जुन सिंह को राज्य में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।[1]

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री

सन 1980 में फिर मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई और अुर्जन सिंह को बड़ी जिम्‍मेदारी मिली। सियासत में 23 साल लंबा सफर पूरा करने के बाद अर्जुन सिंह पहली बार 1980 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 9 जून 1980 से 10 मार्च 1985 तक बतौर मुख्‍यमंत्री अपना पहला कार्यकाल पूरा किया। 1985 में हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद अर्जुन सिंह मात्र एक दिन के लिए सूबे के मुख्‍यमंत्री बने। इस बार उनका कार्यकाल 11 मार्च 1985 से 12 मार्च 1985 तक रहा, क्‍योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्‍हें पंजाब में शांति बहाली के लिए राज्यपाल नियुक्त कर दिया था। ऐसे में अर्जुन सिंह को शपथ लेने के अगले ही दिन मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वे तीसरी बार 14 फ़रवरी 1988 से 24 जनवरी 1989 तक मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे।

मानव संसाधन विकास मंत्री

1991 के आम चुनावों में अर्जुन सिंह ने सतना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इस चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस सरकार बनी और पहली बार अर्जुन सिंह को केंद्र सरकार में शामिल किया गया। उन्हें नरसिम्‍हा राव सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद 1996 और 1998 में हुए लोकसभा चुनावों में अर्जुन सिंह को सतना और होशंगाबाद सीट से हार का सामना करना पड़ा। 2000 में अर्जुन सिंह राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश से चुने गए। 2004 से 2009 के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में अर्जुन सिंह मानव संसाधन विकास मंत्री रहे।[1]

तिवारी कांग्रेस का गठन

राजीव गांधी की हत्या के बाद पी. वी. नरसिम्‍हा राव प्रधानमंत्री बने और उनसे अर्जुन सिंह की कभी नहीं बनी। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले के बाद अर्जुन सिंह ने प्रधानमंत्री के खिलाफ मुखर रूप अख्तियार कर लिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखी थी। 1994 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, तो कुछ ही समय के भीतर उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया। नरसिम्‍हा राव से चली राजनीतिक खींचतान की वजह से आखिरकार उन्हें कांग्रेस से बाहर होना पड़ा। उन्होंने एनडी तिवारी की अध्यक्षता में तिवारी कांग्रेस का गठन किया। ये कांग्रेस ज्यादा सफल नहीं हो सकी और उसके टिकट पर अर्जुन सिंह खुद 1996 में लोकसभा का चुनाव मध्य प्रदेश के सतना से हार गए। इसके बाद अर्जुन सिंह कांग्रेस में वापस लौट आए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 एक दिन के लिए मुख्‍यमंत्री बना था यह नेता, विवादों से रहा नाता (हिंदी) एक दिन के लिए मुख्‍यमंत्री बना था यह नेता, विवादों से रहा नाता। अभिगमन तिथि: 18 अक्टूबर, 2020।

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